नईदिल्ली: दुनियाभर में क्रिसमस (Christmas 2018) का त्योहार मनाया जा रहा है. इस मौके पर हर बच्चे की ख्वाहिश होती है कि सेंटा क्लॉज आएंगे और उसे गिफ्ट देंगे. क्रिसमस (Crismus) पर कई बच्चों के घर पर या बिस्तर पर सेंटा क्लॉज गिफ्ट रखकर गए होंगे. बच्चे घर में सभी से पूछ रहे होंगे कि आखिर सेंटा क्लॉज कौन हैं और कहां से आते हैं. मां-पिता या घर के दूसरे बड़े लोग बच्चों को समझाने की कोशिश कर रह होंगे. ऐसे में हम आपको सेंटा क्लॉज का पता बता रहे हैं.
माना जाता है कि 300 ईसा पूर्व तुर्की के मायरा शहर में सेंट निकोलस (St. Nicholas) नाम के शख्स रहते थे. वह काफी अमीर थे. उन्हें लोगों की मदद करना पसंद था. वे चाहते थे कि दुनिया में किसी भी इंसान के जीवन में कोई कष्ट ना हो. वह हमेशा खुश रहे. खासकर बच्चे जब उदास होते तो वह काफी परेशान हो जाया करते थे. इसी वजह से सेंट निकोलस एक खास किस्म की ड्रेस पहनकर बच्चों के पास जाते और उन्हें तोहफे देते. मान्यता है कि जीसस की मौत के करीब 280 साल पहले सेंट निकोलस का जन्म हुआ था.
सेंट निकोलस 17 साल की उम्र में ही पादरी बन गए थे. जीवनभर सेंट निकोलस आधी रात को बच्चों को गिफ्ट पहुंचाते रहे. उनकी मौत के बाद चर्च से जुड़े लोगों ने सेंट निकोलस की इस अच्छी आदत को जारी रखा. चर्च से जुड़े कर्मचारी गरीबों और बच्चों को छिपकर खाने-पीने की चीजें और उपहार पहुंचाया करते थे. तब से यह परंपरा दुनियाभर में चल रही है. घर के बड़े बुजुर्ग रात में बच्चों के लिए गिफ्ट रख देते हैं. बच्चे समझते हैं कि सेंटा क्लॉज आए थे.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविदों ने हड्डी के इस टुकड़े को एक सूक्ष्म-नमूने पर रेडियोकार्बन परीक्षण के बाद कहा है कि यह हड्डी 1087 ईसवी की है. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस समय तक संत निकोलस का मृत्यु हो गई थी.
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