नईदिल्लीः एम.नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किये जाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से अब जस्टिस एन वी रमन्ना ने भी खुद को अलग कर लिया है. इससे पहले CJI रंजन गोगोई और जस्टिस सीकरी ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.यानि इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने वाले जस्टिस रमन्ना तीसरे जज हैं. इस मामले पर अब नई बेंच करेगी सुनवाई. बता दें कि जस्टिस सीकरी द्वारा सुनवाई से खुद को अलग करने बाद ये केस जस्टिस रमन्ना, मोहन एम शांतनागोदर और इंदिरा बनर्जी की बेंच के सामने सुनवाई के लिए आया था.
इससे पहले 24 जनवरी को जैसे ही मामला सुनवाई के लिये आया था तब न्यायमूर्ति सीकरी ने गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे को बताया कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहते और खुद को इससे अलग कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “आप मेरी स्थिति समझते हैं, मैं इस मामले पर सुनवाई नहीं कर सकता.”
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति सीकरी सीबीआई निदेशक अलोक वर्मा को पद से हटाने वाली उच्च अधिकार प्राप्त समिति का हिस्सा थे. याचिका में कहा गया है कि बिना चयन समिति की मंजूरी के नागेश्वर राव की नियुक्ति की गई है.
अंतरिम सीबीआई निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे एम नागेश्वर राव को 18 दिसंबर को सरकार ने अतिरिक्त निदेशक के रूप में पदोन्नत किया गया था. ओडिशा कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी राव के नाम को कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने मंजूरी प्रदान की.
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच टकराव सामने आने के बाद 24 अक्टूबर को राव को अंतरिम सीबीआई निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. राव के नाम पर नवंबर 2016 में अतिरिक्त निदेशक के लिए विचार नहीं किया गया और अप्रैल 2018 में इस बैच की समीक्षा के दौरान भी उनके नाम पर विचार नहीं हुआ.
उन्होंने 2016 में संयुक्त निदेशक के रूप में सीबीआई में कामकाज शुरू किया था. उच्चतम न्यायालय ने राव से तब तक कोई नीतिगत फैसला नहीं लेने को कहा, जब तक वह वर्मा और अस्थाना के बीच झगड़े से संबंधित याचिका पर सुनवाई नहीं करता.
सीबीआई के अंतरिम निदेशक की नियुक्ति ‘गैरकानूनी’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जु्न खड़गे ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि एम नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम निदेशक के पद पर नियुक्ति ‘गैरकानूनी’ है तथा जांच एजेंसी के नए प्रमुख की नियुक्ति के निए चयन समिति की तत्काल बैठक बुलाई जाए.
CBI प्रमुख के नाम पर आज लग सकती है मुहर, PM की अध्यक्षता में होगी उच्च स्तरीय बैठक
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के प्रमुख पद के लिए नया नाम तय करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति की गुरुवार को बैठक होगी, जिसमें जांच एजेंसी के नए निदेशक के लिए संभावित नामों पर चर्चा होगी. अधिकारियों ने बताया कि समिति की बैठक में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई या उनके प्रतिनिधि और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शरीक होंगे.
बैठक में जिन अधिकारियों के नामों पर चर्चा होगी, उनमें मुंबई पुलिस कमिशनर सुबोध कुमार जायसवाल, उत्तर प्रदेश डीजीपी ओपी सिंह और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रमुख वाईसी मोदी शामिल हैं. इनके अलावा 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी जेके शर्मा और परमिंदर राय शामिल हैं. वे वरिष्ठतम हैं लेकिन सीबीआई में उनके पास अनुभव का अभाव है. राय हरियाणा कैडर के हैं, जो 31 जनवरी 2019 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. वह अभी राज्य सतर्कता ब्यूरो के महानिदेशक हैं जो उन्हें इस शीर्ष पद के लिए योग्य बनाता है.
विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा), गृह मंत्रालय, रीना मित्रा एक अन्य दावेदार हैं. वह 1983 बैच की हैं. वह सीबीआई में पांच साल तक सेवा दे चुकी हैं. वह मध्य प्रदेश राज्य सतर्कता ब्यूरो में लंबे समय तक रही हैं, जहां उन्होंने भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों को देखा.
अधिकारियों ने बताया कि यदि उनका चयन होता है तो वह सीबीआई की पहली महिला निदेशक होंगी. उन्होंने बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनॉलजी एंड फोरेसिंक साइंसेज के मौजूदा प्रमुख एवं 1984 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी जावेद अहमद भी दावेदार हैं. उन्होंने उप्र का डीजीपी रहने के दौरान ट्विटर पहुंच अभियान, यूपी 100 और महिलाओं के लिए विशेष हेल्पलाइन जैसी कई पहल का नेतृत्व किया था.
अधिकारियों ने बताया कि उनके लगभग बराबर अनुभव रखने वाले राजस्थान के पूर्व डीजीपी ओपी गलहोत्रा सीबीआई में 11 साल सेवा दे चुके हैं. उन्होंने बताया कि गलहोत्रा के ही बैच के उप्र कैडर के एचसी अवस्थी ने जांच एजेंसी में आठ साल सेवा दी है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआई) के महानिदेशक एवं 1984 बैच के असम-मेघालय कैडर के आईपीएस अधिकारी वाईसी मोदी सीबीआई में शीर्ष पद की दौड़ में पसंदीदा बताए जा रहे हैं. वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच टीम (एसआईटी) का हिस्सा रहे थे, जिसने गुजरात में हुए 2002 के दंगों की जांच की थी. एसआईटी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी.
अधिकारियों ने बताया कि बिहार कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी राजेश रंजन ने सीबीआई में करीब पांच साल सेवा दी है और इंटरपोल में भी रहे हैं. उत्तर प्रदेश कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी एवं बीएसएफ महानिदेशक रजनीकांत मिश्रा को भी सीबीआई निदेशक पद की दौड़ में आगे बताया जा रहा है. वह अगस्त 2019 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं. वह सीबीआई में पांच साल रह भी चुके हैं.
उन्होंने बताया कि अन्य दावेदारों में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के डीजी एसएस देशवाल के पास भी सीबीआई में कामकाज का पांच साल का अनुभव है. आरूषि मामले की जांच करने वाली सीबीआई की प्रथम टीम का नेतृत्व करने वाले उप्र कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी अरूण कुमार भी दौड़ में हैं.
अन्य दावेदारों में केरल कैडर के 1985 बैच के रिषी राज सिंह और लोकनाथ बेहरा शामिल हैं जिनके पास सीबीआई का क्रमश: छह और 10 साल का अनुभव है. दिल्ली के पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को भी शार्टलिस्ट किया गया है लेकिन उनके पास सीबीआई में काम करने का अनुभव नहीं है.
दरअसल, 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी आलोक वर्मा ने 10 जनवरी को सीबीआई प्रमुख पद से खुद को हटाए जाने के बाद अपनी सेवानिवृत्ति से तीन हफ्ते पहले नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. इसलिए, वर्मा के स्थान पर नये निदेशक की नियुक्ति के लिए चयन समिति की यह बैठक होने वाली है. जांच एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ उनकी तकरार हुई थी.
Bureau Report
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