नईदिल्ली: जेपी ग्रुप (JP Group) के प्रवर्तकों ने संकट में फंसी समूह की रीयल एस्टेट कंपनी जेपी इंफ्राटेक पर नियंत्रण बरकरार रखने का एक और प्रयास किया है. उन्होंने कंपनी के परेशान हजारों घर खरीदारों से माफी मांगी और लंबित पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अगले चार साल में 2,000 करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया. जेपी समूह के शीर्ष अधिकारी मनोज गौड़ द्वारा बुलाई गई बैठक में घर खरीदारों के सामने यह प्रस्ताव रखा गया. इस दौरान, जेपी समूह के संस्थापक जयप्रकाश गौड़ भी मौजूद रहे.
एक हजार से ज्यादा घर खरीदार पहुंचे
बैठक में एक हजार से ज्यादा घर खरीदार शामिल हुए. हालांकि कुछ फ्लैट मालिकों ने बैठक का बहिष्कार किया और विरोध प्रदर्शन किया. बैठक नोएडा के जेपी इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के परिसर में हुई. जेपी ग्रुप की कर्ज में डूबी कंपनी जेपी इंफ्राटेक द्वारा फ्लैट देने में अत्यधिक देरी हुई है. इसकी वजह से 20,520 के करीब फ्लैट उनके ग्राहकों को नहीं सौंपे जा सके हैं. जेपी इंफ्राटेक दिवाला एवं ऋण शोधन प्रक्रिया से गुजर रही है.
जेपी ग्रुप ने समाधान योजना पेश की
सार्वजनिक क्षेत्र की एनबीसीसी तथा मुंबई का सुरक्षा समूह दिवालिया जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण की दौड़ में आगे है. जेपी समूह ने भी समाधान योजना पेश की है लेकिन कर्जदाता फिलहाल इस पर विचार नहीं कर रहे हैं. घर खरीदारों का समर्थन हासिल करने के लिए जेपी समूह के चेयरमैन ने शुक्रवार को को इन खरीदारों को प्रस्ताव पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया था. दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता कानून के तहत फ्लैट मालिकों को किसी भी समाधान योजना की मंजूरी के लिए मतदान का अधिकार मिला है.
परियोजनाओं में देरी के लिए माफी मांगी
प्रस्ताव में मालिकों ने कहा है कि 4 साल के भीतर फ्लैट सौंपने के लिए वह 1,500 करोड़ रुपये अलग ‘एस्क्रो खाते’ में रखेंगे और 500 करोड़ रुपये मूल्य की 100 एकड़ जमीन को भी इसके साथ अलग रखा जाएगा. शुरू में मनोज गौड़ ने आवासीय परियोजनाओं के पूरा होने में देरी होने पर माफी मांगी. उन्होंने कहा यह ‘हमारे नियंत्रण से बाहर’ था. उन्होंने कहा, ‘हम परिस्थितियों के शिकार हैं. जेपी समूह भारत में बेहतरीन बुनियादी ढांचे परियोजनाओं के निर्माण के लिए जाना जाता है.’
गौड़ ने लंबित पड़ी इकाइयों को पूरा करने और जल्द सौंपने का वादा किया है. उन्होंने घर खरीदारों से दूसरा मौका देने का आग्रह किया. जेपी समूह के सलाहकार अजीत कुमार ने संवाददाताओं से कहा, “हम एस्क्रो खाते में 1,500 करोड़ रुपये डालेंगे और 500 करोड़ रुपये की जमीन को चिन्हित करेंगे, जिसकी बिक्री नहीं की जाएगी. इस तरह हम करीब 2,000 करोड़ रुपये डालेंगे.” उन्होंने कहा कि घर खरीदारों के साथ-साथ 4,000 करोड़ रुपये की बिना बिकी आवासीय इकाइयों की बिक्री से अतिरिक्त कोष उपलब्ध होगा.
जेपी समूह ने अप्रैल 2018 में ऋणदाताओं के समक्ष 10,000 करोड़ रुपये की योजना पेश की थी लेकिन इसे स्वीकार किया नहीं किया गया. एक घर खरीदार पी के अरोड़ा ने कहा, “मुझे अभी भी लगता है कि अगर जेपी समूह को मौका दिया जाए तो वे इसे निर्माण तेजी से पूरा करेंगे. हालांकि, काम की गुणवत्ता चिंता का विषय है.” उन्होंने कहा कि हम सारी उम्मीद खो चुके हैं लेकिन कंपनी का इतिहास अच्छा है. जय प्रकाश गौड़ अपने वादे के पक्के हैं.
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