गुरदासपुर: यहां से चार बार लोकसभा सांसद रहे दिवंगत एक्टर विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना ने गुरदासपुर सीट से बीजेपी का टिकट नहीं मिलने पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ”मुझे पीड़ा हुई. ऐसा इसलिए क्योंकि मैं यह समझती हूं कि पार्टी को प्रत्याशियों के चयन का अधिकार है. ऐसा करने का एक तरीका होता है, लेकिन जिस तरह से ऐसा किया गया उससे ऐसा लगा कि मुझे बेगाना समझकर खारिज कर दिया. मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरी कोई अहमियत नहीं है.” हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैंने इसको निजी मुद्दा बनाने का फैसला नहीं किया है और अपना समर्थन पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति व्यक्त करती हूं.
सन्नी देओल को गुरदासपुर से टिकट
इससे पहले भाजपा ने मंगलवार शाम गुरदासपुर से देओल को पार्टी प्रत्याशी बनाने की घोषणा की थी. इस निर्णय से कविता की आशाओं पर तुषारापात हो गया क्योंकि वह स्वयं यहां से पार्टी का टिकट पाना चाहती थीं. कविता खन्ना ने कहा था कि वह अभिनेता सन्नी देओल को गुरदासपुर लोकसभा सीट से टिकट मिलने से ‘छला’ हुआ महसूस कर रही हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ने सहित दूसरे विकल्पों पर विचार कर रहीं हैं.
उन्होंने बुधवार को कहा था, ‘‘मैं छला हुआ महसूस कर रही हूं. मैं यह भी महसूस करती हूं कि जो लोग मुझे सांसद बनना देखना चाहते थे, उनकी उम्मीदों को अनदेखा किया गया है.’’ जब उनसे पूछा गया कि क्या वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर गुरदासपुर संसदीय सीट पर उतरेंगी, तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं सारे विकल्पों पर विचार कर रही हूं. मैंने (अभी तक) कोई फैसला नहीं किया है. मैंने किसी मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं किया है.’’
उन्होंने बताया कि दिवंगत विनोद खन्ना के साथ उन्होंने गुरदासपुर के लोगों की 20 साल सेवा की है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे ईश्वर में विश्वास है. जीवन एक यात्रा है. मैंने यहां 20 वर्ष कार्य किया है. जब विनोद जी अस्वस्थ थे, तो मैं लोगों से मिलती थी. लोग मुझे सांसद बनते देखना चाहते हैं.’’ टिकट पाने की आशा से ही कविता गुरदासपुर के लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं से पिछले कई सप्ताहों से बैठक कर रही थीं.
2017 के उपचुनाव में कांग्रेस के सुनील जाखड़ जीते थे
विनोद खन्ना के निधन के बाद अप्रैल 2017 में यहां हुये उपचुनाव में कांग्रेस के सुनील जाखड़ ने विजय प्राप्त की थी. तब जाखड़ ने भाजपा के स्वर्ण सालारिया को 1,93,219 वोटों के अंतर से पराजित किया था. उस समय भी कविता टिकट पाने के लिए प्रयत्नरत थीं लेकिन तब भी उनका पत्ता कट गया था. विनोद खन्ना ने यहां से 1998, 1999, 2004 और 2014 में जीत हासिल की थी. उन्हें यहां लोग प्यार से ‘पुलों का सरदार’ कहते हैं. उन्होंने दूरदराज के कई गांवों को आपस में जोड़ने का अनोखा कार्य किया था.
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