नईदिल्ली: रायबरेली उत्तर प्रदेश की वह सीट, जो हाई प्रोफाइल की टॉप पांच सीटों में शुमार है. राजधानी से करीब 82 किलोमीटर दूर बसा रायबरेली का इतिहास कहता है कि यह कांग्रेस का गढ़ रहा है. मौजूदा समय में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और यूपीए की चेयरमैन सोनिया गांधी सांसद हैं. यहां पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने जीत हासिल कर कांग्रेस का खाता खोला था. रायबरेली लोकसभा सीट का राजनीतिक रूप के साथ साहित्य रूप से भी काफी महत्वपूर्ण है. महावीर प्रसाद द्विवेदी, मालिक मोहम्मद जायसी आदि कई ऐसी हस्तियां हैं, जिन्होंने रायबरेली के नाम को रोशन किया है.
साल 2014 में ऐसा था मत
साल 2014 में रायबरेली सीट पर एक बार फिर से सोनिया गांधी ने विजयी हासिल की. साल 2014 में बीजेपी के प्रत्याशी अजय अग्रवाल को हराकर संसद तक पहुंची थी. सोनिया गांधी ने अजय अग्रवाल को 3 लाख 52 हजार 713 मतों से मात दी थी. सपा ने अपना कोई भी प्रत्याशी रायबरेली लोकसभा सीट से नहीं उतारा था. बीजेपी के अजय कुमार को 1,73,721 वोट और बहुजन समाज पार्टी के प्रवेश सिंह को 63,633 वोट मिले थे.
ऐसा है राजनीतिक इतिहास
आजादी के बाद साल 1957 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने जीत हासिल की. साल 1962 की लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट दलित वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई तब यहां पर कांग्रेस के बैजनाथ कुरील सांसद चुने गए थे. इसके बाद 1967 के आम चुनाव में रायबरेली लोकसभा सीट फिर से सामान्य कर दी गई. हालांकि रायबरेली सुर्खियों में तब आई जब पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की पुत्री और देश की पहली महिला प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी यहां से चुनावी मैदान में उतरीं. 1967 में इंदिरा गांधी यहां से सांसद बनी. इसके बाद वो लगातार 2 बार जीती, लेकिन 1977 में भारतीय लोक दल के उम्मीदवार राज नारायण ने इंदिरा गांधी को हराया और खुद सांसद पहुंचे.
साल 1980 में इंदिरा गांधी ने एक बार फिर से चुनावी मैदान में पहुंचीं और फिर जीतकर संसद तक पहुंची. साल 1984 और 1989 में जवाहर लाल नेहरु के भतीजे अरुण कुमार नेहरु यहां से सासंद चुने गए. साल 1991 में शील कौल यहां से जीती. साल 1996 और 1998 में बीजेपी से अशोक सिंह यहां बीजेपी का कमल खिलाया. लेकिन उसके बाद से अब तक बीजेपी यहां जीत नहीं पाई है. साल 1999 में कैप्टन सतीश शर्मा यहां से सांसद बने.
साल 2004 में सोनिया गांधी ने यहां से चुनाव लड़ा. इसके बाद से लगातार वह यहां से जीत दर्ज कराती आ रहीं हैं. लेकिन साल 2006 में ‘लाभ के पद’ के विवाद के बाद रायबरेली की सांसद रहीं सोनिया गांधी ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया क्योंकि सोनिया संसद की सदस्य होने के साथ राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष भी थीं, जिससे यहां 2006 में उपचुनाव हुआ, जिसमें सोनिया गांधी ने दोबारा से इस सीट पर बड़ी जीत अर्जित की और तब से लेकर अब तक वो ही रायबरेली की सांसद हैं.
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