मुंबई: NCP अध्यक्ष शरद पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पीएम दावेदारी की बहस बेवजह बताते हुए ऐलान किया है कि चुनावी नतीजों के बाद गैर एनडीए दलों के नेताओं में से सर्वमान्य एक चेहरा ही प्रधानमंत्री कुर्सी का दावेदार होगा. पवार ने गैर एनडीए दलों की मजबूत स्थिति में मायावती, ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू जैसे चेहरों को पीएम की कुर्सी का बड़ा दावेदार बताया है.
शरद पवार ने कहा कि लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद वो नई सरकार बनाने के लिए गैर बीजेपी दलों को एकजुट कर स्थिर सरकार बनाने के लिए हाथ पैर मारेंगे. पवार ने ऐसी स्थिति में एन.डी.ए. के घटकों को भी साथ लाने के संकेत दिए हैं. न्यूक्लियर पावर से लेकर बालाकोट हवाई हमले पर खुलकर बोले शरद पवार का पेश है खास इंंटरव्यू…
एनसीपी को कितनी सीटें मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. सरकार बनाने के लिए आप क्या भूमिका निभा रहे हैं?
शरद पवार- नतीजों से पहले सीट के नंबर के बारे में बोलना ठीक नहीं है. मगर यह मैं कह सकता हूं लास्ट इलेक्शन में जो हमारी हालत थी, इसमें बहुत सुधार हो जाएगा. मैं देख रहा हूं देश में राज्य में परिवर्तन का माहौल है.
तीसरे मोर्चे की स्तिथि क्या है खासकर तब जब प्रधानमंत्री पद के लिए आप सीनियर अनुभवी चेहरा हैं?
शरद पवार- आज देश में बीजेपी की हुकूमत देश के हितों की रक्षा करने वाली हुकूमत नहीं है. बदलाव की जरूरत है. लोगों की मानसिकता वही है और लोकसभा चुनाव से पहले हममें से कोई एक अल्टरनेटिव मिलकर तय करेंगे. कई पार्टियां ऐसी हैं जैसे कि डीएमके अपने स्टेट में शक्तिशाली है. मगर डीएमके यूपी में कोई काम करेगी इसका रिजल्ट आयेगा ऐसी स्थिति नहीं है. वे सोचते भी नहीं हैं. हम लोगों ने तय किया है. आपस में सहयोग देंगे. चुनाव होने के बाद देश को अल्टरनेटिव देने के लिये कामन मिनिमम प्रोग्राम तय करेंगे. जैसे 2004 में हमने चुनाव अलग अलग लडा तब फ्रंट नहीं था. चुनाव होने के बाद हम साथ आए.
सोनिया जी के घर पर थे वहां मनमोहनजी, प्रणवजी और मैं पहले मेरे यहां बात की. हमने बैठ कर कई नान बीजेपी पार्टियों के साथ बात की. मनमोहन जी को इलेक्ट किया और सिलेक्ट किया और एक अल्टरनेटिव सरकार बनाई. दस साल के लिये देश को स्थिर सरकार दी. अटलजी पीएम थे एक देश के सभी वर्गों में लोकप्रिय लीडरशिप थी. लेकिन आज ऐसा नहीं है. इसीलिये हमे पूरा विश्वास है कि आज लोगों को बदलाव चाहिये. . मोदी जी और अमित शाह देश को पसंद नहीं हैं. इसीलिये रिजल्ट हमारे पक्ष में आयेगा. बाद में हम सब बैठकर तय करेंगे कि किसे इलेक्ट करना और किसे सेलेक्ट करना है. मुझे विश्वास है कि कई चेहरे सरकार चलाने के लिये हमारे पास कैपेबल हैं. उनका नाम अभी लेना ठीक नहीं होगा.
सबको साथ लाने की जिम्मेदारी का जो वैक्यूम है उसे भरने की आप की जिम्मेदारी है?
शरद पवार- सबको साथ लाकर मैजिक फिगर हमारे पास होगा. तो सरकार बनाने के लिये हमारी नीति क्या रहेगी. इसके लिये कामन मिनिमम प्रोग्राम के लिये साथ बैठेंगे और राय बनाएंगे. जिसके पास ज्यादा नंबर होते हैं उसकी सरकार बनाने के लिये प्रोसीड करेंगे और इसमें मेरे जैसे आदमी को ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है जो खुद कैंडिडेट नहीं है. और खुद के लिये एक्सपेक्टेशन नहीं रखता है. वो ज्यादा काम कर सकता है मेरी नीति रहेगी.
एनडीए के अंदर कुछ गैर बीजेपी पार्टियां हैं जो बहुत बार्डर लाईन पर हैं तो आप उनसे बातचीत करेंगे?
शरद पवार- मुझे नहीं लगता है कि एनडीए अंदर की और बाहर की पार्टियां मुझे सपोर्ट करेंगी मेरा साथ देंगी और हमारे साथ जो राजनीतिक गर्भ में है. उनके उनके राज्यों में जो आज की सीटें हैं तो उससे उनको संरक्षण मिल रहा है तो हमें किसी और की मदद लेने की जरुरत ही नहीं पडेगी.
क्या अंत में वो समर्थन देंगे?
शरद पवार- राजनीति में सरकार चलाने की जिम्मेदारी आने के बाद अंत की बात नहीं होनी चाहिये. ठीक है पालिटिकल डिफरेंसेज हैं. चुनाव लडते हैं हम सब क्योंकि हम भारत के नागरिक हैं वैसे भारत के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी हमारी है. तो अंत कैसे होगा.
राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस में पदों को लेकर हिमायत दिखाई है…
शरद पवार- किसी को हमने फार्गेट नहीं किया है. 2004 में हम चुनाव लड़े थे तो मनमोहन सिंह को हमने चुनाव का चेहरा नहीं बनाया था. हमने उन्हें खुद इलेक्ट और सिलेक्ट किया था और उनके नेतृत्व में 10 साल सरकार बनाई जो ज्यादा सीट आयेगी उसका साइन रहेगा. मैं जानता हूं मेरे बाद भी कई बार हुई थी. मैंने बयान देखा राहुल जी का पीएम कैंडिडेट के लिये मेरी लडाई नहीं है.
मैं इसका दावेदार नहीं हूं. मुझे सिर्फ परिवर्तन चाहिये मोदी की सरकार जानी चाहिये. हमारे पास मैजिक फिगर आने के बाद फिर हम कलेक्टिव बैठकर किसी एक का चयन करेंगे और ये कोई भी हो सकता है जो सबको मंजूर होगा. हम सबकी मंजूरी सोच समझ कर देंगें. हमें देश के हितों की चिंता है हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. ये हमारा भी फर्ज है.
राहुल गांधी जी बयान दे रहे थे..
शरद पावर – क्यो नहीं है किसने बोला बहुत लोग हैं. हमारे पास मायावती, चंद्रबाबू नायडू, ममता बनर्जी ये सब लोग मुझे ही मिलना चाहिये ऐसा नहीं कह रहे. ये लोग बस बदलाव चाहते हैं देश की भलाई के लिये मोदी और शाह जाने चाहिये.
आपने जितने नाम लिए उसमें से सबसे अनुभवी शरद पवार हैं
शरद पवार- मेरे अनुभव की वजह से जो सरकार बनेगी सरकार चलाने के लिये मैं उनके पीछे रहूंगा.
देश की राजनीति में कई वाकये हैं, जब उन पार्टियों के प्रधानमंत्री बनते हैं जिनके पास नंबर नहीं रहता है, लेकिन फिर भी वो प्रधानमंत्री बन जाते हैं…
शरद पवार- आपने कहा तो हां कुछ ऐसी पार्टियां हैं, लेकिन हम ऐसी सरकार देश को नहीं देगे जो स्थिर ना हो जिसका कार्य़काल 5 साल तक ना हो. सरकार हर पल बदलने वाली नहीं होनी चाहिए.
दाऊद को पकड़ने की कोशिश मोदी सरकार ने भी की, लेकिन सफल नहीं हुए. आपकी सरकार ने भी किया लेकिन कहां चूक गए जो पकड़ नहीं पाए?
शरद पवार- डी कंपनी का पूरी तरह खात्मा हो गया है हम लोग नाम निकाल कर उसे पब्लिसिटी देते हैं. बहुत साल पहले ही उसका नाम खत्म हो गया है. मुंबई पुलिस ने उसका 10-15 साल पहले की बंदोबस्त कर दिया था. रही बात लाने की तो जहां वो रहता है वहां की सरकारें उसे संरक्षण देती हैं. वहां की सरकारें हमारा सहयोग नहीं करती हैं. बोला था कुछ लोगों ने सरकार आने के 1 माह बाद पकड़ के लाएंगे. पर नहीं लाए.
आप की सरकार क्यों नहीं ला पाई?
शरद पवार- उस वक्त वो पाकिस्तान में रहता था और वहां की सरकार ने कोई सहयोग नहीं किया.
रिपोर्टर- मोदी जी आप को निशाना बनाते रहते हैं. वह आपको राजनीतिक आदर्श मानते हैं. इतने सारे नेता होने के बावजूद भी आपको ही टार्गेंट क्यों बनाते हैं?
शरद पवार- जो हम परिवर्तन चाहते हैं वो हो रहा है और उससे उनकी नींद उडी हुई है. इसीलिये वो मुझे टार्गेट बनाते रहते हैं. और देश का प्रधानमंत्री मुझे टार्गेट बना रहा है अच्छी बात है ना.
बीजेपी हमेशा कांग्रेस को घेरती रहती है कि मुस्लिम तुष्टीकरण की बात आती है तो कांग्रेस नर्म हो जाती है…
शरद पवार- बीजेपी ने पांच सालों में कोई काम नहीं किया है और इसीलिये वो हिंदू मुस्लिम पर राजनीति कर रहे हैं. 2014 में तो सिर्फ विकास के नाम पर चुनाव लडा गया था. लेकिन जब काम बताने की बारी आई तो हिंदू मुस्लिम तुष्टीकरण की बात करते हैं.
बालाकोट सर्जिकल स्ट्राईक का क्रेडिट बीजेपी लेती है
शरद पवार- पिछले पांच सालों में जो वादे किये थे उनमें से एक भी नहीं निभाया.. इसीलिये अब इन सबका सहारा लेना पड रहा है. पुलवामा के बाद सर्वदलीय बैठक में विपक्षी पार्टियों खासकर मैं खुद था और हमने सरकार के साथ खडे होने के रिज्योल्यूशन पर हामी भरी थी. पूरी तरह से सरकार के साथ खड़े होने की बात कही थी, लेकिन बाद में देखा कि खुद प्रधानमंत्री इसकी क्रेडिट लेते नजर आये. और तो और बेहद गैरजिम्मेदाराना बात की प्रधानमंत्री ने कहा कि न्यूक्लियर बटन दीवाली का पटाखा नहीं है. ये बात दुनिया भर में हमें एक एग्रेसिव नेशन की इमेज देगी ठीक बात नहीं है. न्यूक्लिअर विषय पर प्रधानमंत्री को जिम्मेदारी से बोलना चाहिये.
आप का राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन होगा. कभी सुप्रिया सुले का नाम आता है तो कभी अजीत पवार का नाम आता है?
शरद पवार- ये पार्टी हजारों कार्यकर्ताओं के दम पर बनी है और उनका निर्णय बहुत अहम रहता है. पार्टी के कार्यकर्ता जिसे चुनेंगें वो उत्तराधिकारी होगा.
राज ठाकरे के साथ विधानसभा चुनाव में गठबंधन की आपकी तैयारी है ऐसा कहा जा रहा है.. कैसी तस्वीर होगी विधानसभा चुनाव में?
शरद पवार- राज ठाकरे से तीन चार महीने पहले ही मैंने पूछा कि आपका राजनीतिक प्लान क्या है. उन्होने कहा कि लोकसभा चुनाव नहीं लडूंगा और अपना कोई कैंडिडेट नहीं खडा करूंगा. मेरा इंटरेस्ट है विधानसभा में. विधानसभा के लिये काम करूंगा. और मेहनत करूंगा ..उन्होनें एक और बात मुझे कही, मैं लोकसभा का चुनाव नहीं लडूगा, लेकिन इस देश के हितों की रक्षा करनी हो तो मोदी और अमित शाह को दूर करना है और मैं लोकसभा चुनाव के वक्त देश में इनकों दूर करने की आवश्यकता क्या है ये जगह जगह पर जाकर कहने वाला हूं. ये मेरी राजनीति है. खुद कैंम्पैन करना चाहते हैं. वह बीजेपी और शिवसेना के खिलाफ करना चाहते हैं हमे क्या नुकसान..
क्या विधानसभा में और फायदे में होंगे, एनसीपी और एमएनएस साथ में दिखेंगे?
शरद पवार- हम और कांग्रेस पिछले पांच साल से इकट्ठा काम करते हैं. पिछले पांच साल छोडकर दस साल जो गवर्न्मेट थी एनसीपी और कांग्रेस की सरकार थी और इसलिये हम पार्टनर हैं. जब मेजर पालिटिकल निर्णय लेना होगा तब हम अपने साथियों को भरोसे में लेना होगा. आज हम इस पर बात नहीं कर रहे. हमारा टार्गेट सिर्फ लोकसभा है. लोकसभा का चुनाव होने दीजिये. जो हमारे साथ हैं उनको भी बुलायेंगे और इसपर मिलकर तय करेंगे आगे की राजनीति क्या होगी जब इसमें राज ठाकरे का नाम आयेगा…तो उनसे भी बात करना पड़ेगी.
राष्ट्रदोह के बारे में कांग्रेस ने मैनिफेस्टों में कहा है उसे हटाने की बात करते है, एनसीपी क्या सोचती है?
शरद पवार- राष्ट्रद्रोह हटाने की बात उन्होंने कही ही नहीं है. किसी की बात का इस्तेमाल करके धमकाना और उन्हें जेल भेजना इसके खिलाफ कानून है इसमें दो राय नहीं है. मगर इसका मिसयूज करने की बात जब आती है तब हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं.
Bureau Report
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