पटना: भारतीय रेल प्रशासन द्वारा यात्रियों को हर सुविधा मुहैया कराने का दावा एक बार फिर खोखला साबित हुआ. इलाज के अभाव में एक गर्भवती महिला की मौत हो गई. इस दौरान महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई. ट्रेन में यात्रा कर रहे पैसेंजर और मृत गर्भवती महिला के परिजन रेलवे प्रशासन के अधिकारियों के पास बार-बार मदद की गुहार लगाते रहे और अधिकारी सिर्फ टाल-मटोल करते रहे.
आखिरकार इलाहाबाद स्टेशन के समीप महिला की मौत हो गई. महिला की मौत के बाद भी कई स्टेशन गुजरने के बावजूद भी रेलवे का न कोई अधिकारी और न ही किसी स्टेशन की जीआरपी पुलिस ही सुध लेने पहुंची.
मगध एक्स्प्रेस (20802) से मधुबनी जिला के बाबुबरही निवासी मोहम्मद मोजाहिद अपनी पत्नी नसिमा खातून के साथ पटना आ रहा था. S-6 बोगी में दोनों यात्रा कर रहे थे. नसिमा गर्भवती थी. मोजाहिद पत्नी को दिल्ली से अपने गांव मधुबनी लेकर आ रहा था. इलाहाबाद स्टेशन आने से पहले ही नसिमा की हालत बिगड़ने लगी. स्थिति देख परिजन व ट्रेन में यात्रा कर रहे अन्य यात्रियों ने इसकी तत्काल सूचना रेलवे हेल्पलाइन नंबर-182 दी. चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराने की गुहार लगाई.
रेलवे हेल्पलाइन के अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिया गया कि इलाहाबाद स्टेशन पर उन्हें चिकित्सकीय सुविधा रेलवे की ओर से दी जाएगी. लेकिन स्टेशन पर किसी तरह की सुविधा नहीं मिली. उसी ट्रेन में यात्रा कर रहे एक यात्री चिकित्सक ने गर्भवती को मदद करते हुए उसके पेट से बच्चे को निकाला, लेकिन तबतक काफी देर हो चुकी थी. ट्रेन जैसे ही इलाहाबाद स्टेशन से निकली, उसी दौरान जच्चा और बच्चा दोनों की मौत हो गई.
रेलवे के टीटी द्वारा सीट मुहिया कराने के नाम पर 1500 रुपये भी वसूले गए. हालत बिगड़ने पर टीटी ने फटकार लगते हुए कहा कि कोई भी सुविधा नहीं मिलेगी. इतना ही नहीं ऐसी परिस्थिति में अगले स्टेशन पर उतर जाने के लिए कह दिया.
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