भोपालः कमलनाथ सरकार पर लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर शिवराज सिंह चौहान अमित शाह सहित कई बीजेपी नेता तबादलों को लेकर गंभीर आरोप लगा चुके हैं. बावजूद इसके मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता हटने के तुरंत बाद तबादलों का दौर शुरू हो गया है. शनिवार देर रात 33 आईएएस अधिकारी और इसके कुछ घंटे पहले 37 आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया. कुल 165 दिन चली प्रदेश की कमलनाथ सरकार में अब तक 450 से अधिक आईएएस-आईपीएस अधिकारी के तबादले कर दिए गए. राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य पुलिस सेवा के साथ आईएफएस और निचले स्तर के ट्रांसफर को भी जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा 15 हजार से अधिक हो गया है. इसे लेकर ब्यूरोक्रेसी में हड़कंप की स्थिति है.
चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार के प्रशासन का जिम्मा संभालने वाले आईएएस अधिकारियों का तो औसतन हर दूसरे दिन एक तबादला आदेश निकला. 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री कमलनाथ के शपथ लेने के अगले ही दिन से तबादलों की शुरुआत हो गई थी. 18 दिसंबर को जारी पहले आदेश में ही रीवा कमिश्नर को हटा दिया गया और 19 दिसंबर के आदेश में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव रहे विवेक अग्रवाल और हरिरंजन राव की सीएम सचिवालय से विदाई हो गई. इस दिन से लेकर 1 जून 2019 तक आईएएस अधिकारियों के 84 ट्रांसफर आदेश निकले हैं, जिनमें 230 आईएएस अधिकारी इधर से उधर कर दिए गए. इसमें से कई का तो तीन-तीन, चार-चार बार ट्रांसफर किया गया है.
सभी दस संभाग के कमिश्नर और 52 जिलों के कलेक्टर बदले जा चुके हैं. साथ 48 एसपी भी तबादले के दायरे में आ गए हैं. सिर्फ रतलाम, ग्वालियर, भिंड, निवाड़ी, अलीराजपुर और उज्जैन एसपी ही यथावत हैं. महेशचंद्र चौधरी को 18 दिसंबर को रीवा कमिश्नर पद से हटाकर मंत्रालय में ओएसडी बनाया गया. फिर उन्हें ग्वालियर कमिश्नर बनाया गया, लेकिन 27 मई को फिर हटा दिया गया. बीएम शर्मा को 23 मार्च को ग्वालियर कमिश्नर पद से हटाकर सदस्य राजस्व मंडल बनाया गया. 27 मई को फिर शर्मा ग्वालियर कमिश्नर बना दिए गए. चौधरी को सदस्य राजस्व मंडल भेज दिया गया. प्रदेश सरकार बनने के बाद जेके जैन शहडोल कमिश्नर रहे. उन्हें हटाकर 4 मार्च को शोभित जैन को कमिश्नर बनाया गया और 27 मई को उन्हें हटा दिया गया. अब आरबी प्रजापति शहडोल कमिश्नर हैं.
भरत यादव को मुरैना कलेक्टर से ट्रांसफर करके ग्वालियर कलेक्टर बनाया गया. फिर ग्वालियर से हटाकर एमडी ऊर्जा विकास निगम बनाया गया. 13 मई को फिर आदेश निकला और छिंदवाड़ा कलेक्टर पदस्थ किए गए और 27 मई के आदेश में जबलपुर कलेक्टर बना दिए गए. अशोक कुमार वर्मा को ग्वालियर कलेक्टर पद से हटाकर मंत्रालय में अपर सचिव बनाया गया. फिर 11 जनवरी के आदेश में सीएम सचिवालय गए. फिर 23 मई के आदेश में वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के एमडी बना दिए गए.
अक्षय सिंह निवाड़ी कलेक्टर पद से 11 अप्रैल को हटाए गए. सीईओ इंटर स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी बने. अब फिर निवाड़ी कलेक्टर बना दिए गए. शशि भूषण सिंह को खरगौन कलेक्टर से हटाकर उन्हें मंत्रालय में उपसचिव पदस्थ किया गया. फिर जनवरी में उन्हें एनवीडीए इंदौर में संचालक बनाया गया. फिर दुग्ध संघ के सीईओ बने और अब 1 जून के आदेश में फिर कलेक्टर कटनी बना दिए गए. गणेश शंकर मिश्रा अलीराजपुर कलेक्टर पद से सीहोर भेजे गए. अब उन्हें फिर हटाकर मंत्रालय में उपसचिव बनाया गया है. नीरज कुमार सिंह अपर आयुक्त भू-अभिलेख रहे, फिर दमोह कलेक्टर बना गए. अब फिर दमोह से हटाकर उन्हें मंत्रालय में उपसचिव बनाया गया है.
ऐसे ही अन्य कई और अधिकारी हैं, जिन्हें लगातार 3 से 4 बार एक से दूसरी जगह भेजा जा चुका है. ऐसे में लगातार हो रहे ट्रांसफर पर सियासत तेज है. विपक्ष के निशाने पर सरकार है. विपक्ष लगातार सरकार पर निशाना साध रहा है. BJP नेता और पूर्व मंत्री विस्वास सारंग ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस का वादा था प्रदेश में उद्योग खोलेंगे तो खुल गया तबादला उद्योग. यहां हर पद हर पोस्ट की बोली लगाई जा रही है. कलेक्टर के इतने पैसे कमिश्नर के इतने पैसे चपरासी के इतने पैसे. जो पैसा देगा वो रहेगा जो पैसा नहीं देगा बदल जायेगा. 2-2 महीने में ही कलेक्टर, कमिश्नर, एसपी हटाये जा रहे है. यहां पैसे के लेनदेन से प्रशासन चल रहा है.
Bureau Report
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