नईदिल्लीः केंद्र की मोदी सरकार में विदेश मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी संभालने वाले पूर्व राजनायिक एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कहा कि यदि हम आर्थिक विकास को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो भारतीय विदेश नीति को इसके बाह्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा. जयशंकर दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय पर रणनीतिक महत्व वाले कार्यक्रमों के क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने की बड़ी जिम्मेदारी है. विदेश मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत में बदलाव की उम्मीद को जीवित रखा है और शायद इसे मजबूत ही किया है. उन्होंने कहा कि भारत में ज्यादातर लोगों ने माना कि पिछले पांच साल में विश्व में भारत का कद बढ़ा है.
विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्विक पुनर्संतुलन (Rebalancing) हो रहा है और इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण चीन का उदय तथा कुछ हद तक भारत का उदय है. हम क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं के माध्यम से क्षेत्र में नजदीकी ला सकते हैं.
जयशंकर ने यहां एक संगोष्ठी में कहा, “विश्व में नया संतुलन” स्थापित हो रहा है और चीन का उभार तथा कुछ हद का भारत का उभार भी इसका “ज्वलंत उदाहरण’’ है. पूर्व विदेश सचिव ने मंत्रालय का प्रभार संभालने के कुछ दिन बाद इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. किसी करियर डिप्लोमेट का ऐसे महत्त्वपूर्ण मंत्रालय का मंत्री बनना दुर्लभ मामलों में से एक है. जयशंकर ने कहा, “भारत में ज्यादातर लोगों ने यह स्वीकारा है कि पिछले पांच साल में दुनियाभर में भारत का कद बढ़ा है.” जयशंकर ने कहा कि सरकार ने भारत में परिवर्तन की संभावना को जीवित रखा है और संभवत: इसे मजबूत ही किया है.
उन्होंने 2015-18 के बीच विदेश सचिव के तौर पर सेवा दी. जयशंकर ने कहा, “हम क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं के माध्यम से क्षेत्र में नजदीकी ला सकते हैं.” मंत्री ने कहा, “अगर हम आर्थिक विकास को बढ़ावा देना चाहते हैं तो भारतीय विदेश नीति पर इसके बाहरी पहलू पर ध्यान केंद्रित करने की बड़ी जिम्मेदारी है.” जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्रालय पर रणनीतिक महत्व वाले कार्यक्रमों के क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने की बड़ी जिम्मेदारी है.
एस जयशंकर को विदेश मंत्री बनाने का भारतीय-अमेरिकियों ने स्वागत किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को विदेश मंत्रालय का जिम्मा सौंपे जाने का अमेरिका के टेक्सास में रहने वाले भारतवंशियों ने स्वागत किया है. उनका कहना है कि जयशंकर ने अमेरिका के साथ हुए भारत के असैन्य परमाणु करार में अहम भूमिका निभाई थी.
पूर्व विदेश सचिव की महत्त्वपूर्ण पद पर नियुक्ति को भारत के दूसरे देशों के साथ समन्वय स्थापित करने के मोदी के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. ‘इंडो-अमेरिकन चैम्बर ऑफ कॉमर्स ऑफ ग्रेटर ह्यूस्टन’ (आईएसीसीजीएच) के संस्थापक सचिव/कार्यकारी निदेशक जगदीप अहलूवालिया ने कहा कि 2013 में अमेरिका में भारत के राजदूत नियुक्त होने के बाद जयशंकर पहली यात्रा पर ह्यूस्टन आए थे.
उन्होंने कहा कि अपनी यात्रा के दौरान जयशंकर ने कहा था कि ह्यूस्टन का भारत के साथ खास रिश्ता है क्योंकि इसका भारत के साथ कारोबार करीब आठ अरब अमेरिकी डॉलर का है जो कुछ देशों के साथ होने वाले व्यापार से ज्यादा है. चैम्बर के अध्यक्ष स्वप्न धैर्यवान ने कहा कि चैम्बर इस साल अपनी 20वीं वर्षगांठ पर ह्यूस्टन में उनका (जयशंकर) फिर से स्वागत करने का इंतजार कर रहा है.
‘साउथ एशिया हेरिटेज फाउंडेशन’ में रिसर्च फेलो और ‘कोल्ड पीस :चाइना इंडिया राइवलरी’ और ‘एशियाज क्वेस्ट फॉर बेलेंस’ के लेखक जैफ एम स्मिथ ने ट्वीट किया कि जयशंकर एक बेहद कुशल राजनयिक हैं और उन्हें मोदी की दूसरी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना भारत के लिए और चीन तथा अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों के लिए फायदेमंद होगा. जयशंकर को चीन और अमेरिका का विशेषज्ञ माना जाता है. वह जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक भारत के विदेश सचिव रहे.
वह भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार पर बातचीत करने वाली भारतीय टीम के प्रमुख सदस्य थे. इस करार पर बातचीत 2005 में शुरू हुई थी और 2007 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के दौरान इस पर हस्ताक्षर किए गए थे.
Bureau Report
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