जयपुर: शहर में हजारों ट्यूबवेल्स इसिलए खोदे गए थे ताकि गर्मियों में पानी की किल्लत से लोगों को जूझना ना पड़े लेकिन अब बीसलपुर बांध में इतना पानी का गया है कि रोजाना लाखों लीटर पानी की बर्बादी हो रही है. दो गेट से बनास नदी में लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है लेकिन उसके बावजूद भी रोजाना ट्यूबवेल्स का पानी पिलाया जा रहा है. ऐसे में जलदाय विभाग की इंजीनियरिंग पर बड़े सवाल उठ रहे है.
जयपुर, अजमेर, टोंक और दौसा की दो साल की प्यास बुझाने के लिए बीसलपुर बांध तो फुल हो गया है लेकिन इसके बावजूद भी जलदाय विभाग ट्यूबवेल्स के जरिए जनता की प्यास बुझा रहा है. ट्यूबवेल से पानी खींचने के कारण जमीन और प्यासी होती जा रही है. मानसून की अच्छी बारिश के बाद भी जलदाय विभाग पानी के रिचार्ज की जगह लगातार जमीन से पानी खींच रहा है. यदि फिलहाल ट्यूबवेल्स का पानी रोककर बीलसपुर बांध के पानी को ही सप्लाई किया जाए तो बीसलपुर बांध में बर्बाद हो रहा पानी भी बचेगा और उधर जमीन से भी पानी नहीं निकालना पड़ेगा और पानी का रिचार्ज भी बढ़ सकेगा.
हालांकि, जलदाय विभाग की इंजीनियरिंग तो देखिए जरा, पानी की कोई कमी नहीं होने के बाद भी जलदाय विभाग 2450 ट्यूबवेल्स से रोजाना 2060 लाख लीटर पानी जमीन से दोहित कर रहा है. शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग करने की बजाय बेवजह लाखों लीटर पानी निकालने से पीएचईडी की इंजीनियरिंग पर सवाल उठ रहे हैं. पेयजल संकट से निजात दिलाने के लिए रोजाना 2000 टैंकर ट्रिप से पानी सप्लाई किया जा रहा है, जो कि पंपहाउसों से टैंकर्स सप्लाई करते हैं. पंपहाउसों पर बीसलपुर बांध का पानी आता है. रोजाना करीब 5360 लाख लीटर पानी जयपुर को सप्लाई हो रहा है, लेकिन इसमें से सिर्फ 3300 लाख लीटर पानी बीसलपुर प्रोजेक्ट से लिया जा रहा है. जबकि 2060 लाख लीटर पानी ट्यूबवेल्स के जरिए दोहित किया जा रहा है.
Bureau Report
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