आर्टिकल 370: वकील ने कहा- कोर्ट में बहुत भीड़ है, जज ने कहा…’तो मैदान में सुनवाई करें’

आर्टिकल 370: वकील ने कहा- कोर्ट में बहुत भीड़ है, जज ने कहा...'तो मैदान में सुनवाई करें'नईदिल्‍ली: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में जब मंगलवार को सुनवाई शुरू हुई तो वकील एमएल शर्मा ने कहा कि कोर्ट में बहुत भीड़ है. लोग अंदर नहीं आ पा रहे हैं. ऐसे में या तो बड़े कोर्ट में सुनवाई हो या सीधा प्रसारण हो. इस पर जस्टिस एसके कौल ने कहा कि तो हम बाहर मैदान में सुनवाई करें. जस्टिस रमना ने वकील से कहा कि हो गया. अब सुनवाई आगे बढ़ने दीजिए. पहला याचिकाकर्ता होने के नाते वकील एमएल शर्मा ने राजीव धवन से पहले जिरह की बात कही. जजों ने शर्मा को फटकारा. लेकिन शर्मा जिरह करने वाली जगह से नहीं हट रहे थे. जजों के कड़े तेवर के बाद हटे. उन्‍होंने कहा कि आप कहें तो बाहर चला जाऊं. जज ने कहा कि आपकी मर्जी है. आखिरकार पूर्व IAS शाह फैसल की तरफ से वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने जिरह शुरू की. अब वह अपने दस्तावेजों और मुख्य बातों की कोर्ट को जानकारी दे रहे हैं.

उल्‍लेखनीय है कि जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ में मंगलवार से इस केस की सुनवाई शुरू हो गई है. पिछली सुनवाई में पांच जजों की संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई 10 दिसंबर के लिए टाल दी थी. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दर्जनों याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. दरअसल इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 5 जजों की संविधान पीठ को भेज दिया था. इसके साथ ही याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा.दरअसल, एक वकील की ओर से दायर याचिका में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को लेकर जारी की गई अधिसूचना को असंवैधानिक बताया गया है. याचिका में ये भी कहा गया है कि सरकार इस तरीके का काम करके देश में मनमानी कर रही है. राष्ट्रपति का आदेश असंवैधानिक है और केंद्र को संसदीय मार्ग अपनाना चाहिए. वहीं कश्मीर टाइम्स की एक्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन ने भी अर्जी दाखिल की थी. अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद पत्रकारों पर लगाए गए नियंत्रण समाप्त करने की मांग की गई थी.जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा लिया था.

आपको बता दें कि राष्ट्रपति ने आदेश जारी कर जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला प्रावधान अनुच्छेद 370 समाप्त कर दिया था. इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया है. अनुच्छेद 370 खत्म करने का प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों से भारी बहुमत से पास हुआ था और उसके बाद राष्ट्रपति ने आदेश जारी किया था.

Bureau Report

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