नईदिल्ली: आज कांधार विमान अपहरण केस के 20 साल पूरे हो रहे हैं. आज ही के दिन 31 दिसंबर, 1999 को विमान में बंधक बनाए गए लोगों की घर वापसी हुई थी. हालांकि सरकार को इसके बदले तीन खूंखार आतंकियों को छोड़ना पड़ा था लेकिन 1970 के दशक में इसी तरह इजरायल का भी एक विमान अपहरण अफ्रीकी देश युगांडा में हुआ था लेकिन इजरायल ने मिलिट्री कार्रवाई कर अपने बंधकों को रिहा करा लिया था. कांधार कांड की पृष्ठभूमि में इन दोनों ही विमान अपहरण केस पर आइए डालते हैं एक नजर:
IC-814 की वो फ्लाइट…
24 दिसंबर 1999 को नेपाल की राजधानी काठमांडू से दिल्ली आ रहे इंडियन एयरलाइंस के विमान IC-814 का अपहरण कर लिया गया. अमृतसर, लाहौर और दुबई में रुकने के बाद इस विमान को अफगानिस्तान के कांधार ले जाया गया था और 31 दिसंबर तक ये विमान कांधार एयरपोर्ट पर ही खड़ा था. उस दौर में अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा था.
उस विमान में क्रू-मेंबर समेत समेत 191 लोग सवार थे. अपहरण-कर्ताओं ने यात्रियों को छोड़ने के बदले में भारत की जेलों में बंद 36 खूंखार आतंकवादियों को छोड़ने की मांग की थी. साथ ही मारे गए आतंकवादी सज्जाद अफगानी की लाश…और 200 मिलियन डॉलर यानी करीब 1400 करोड़ रुपये भी आतंकवादियों ने मांगे थे.
शुरुआत में भारत सरकार आतंकवादियों की मांग मानने के लिए तैयार नहीं थी. इसलिए, बड़ी चालाकी से अपहरणकर्ताओं से बातचीत की अवधि को बढ़ाया गया. अंत में मसूद अज़हर, उमर शेख और मुश्ताक अहमद ज़रगर नामक आतंकवादियों की रिहाई पर फैसला लिया गया. और इसके बाद 31 दिसंबर 1999 को विमान में बंधक बनाए गए लोगों की घर वापसी हुई थी.
बाद में इसी मसूद अज़हर ने आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की..और ये आतंकवादी संगठन अब तक 331 भारतीयों की जान ले चुका है. जैश ए मोहम्मद के आतंकवादियों ने ही…2001 में संसद भवन और जम्मू-कश्मीर की विधानसभा पर हमला किया था. इस साल पुलवामा में CRPF के 40 जवानों की जान लेने वाले आतंकवादी संगठन का नाम भी जैश-ए-मोहम्मद ही है.
Operation Entebbe
वर्ष 1976 में फलस्तीन के आतंकवादियों ने एक यात्री विमान का अपहरण करके इजरायल के 98 लोगों को अफ्रीकी देश युगांडा के एंटेबे एयरपोर्ट में बंधक बना लिया था. इन बंधकों की रिहाई के लिए इजरायल के सामने सामने 53 आतंकवादियों को रिहा करने की शर्त रखी गई थी. ये आतंकवादी इजरायल और दूसरे देशों की जेलों में बंद थे.
इजरायल ने इस मांग को मानने के बदले अपने कमांडोज को युगांडा भेज दिया. सिर्फ 90 मिनट के ऑपरेशन एंटेबे या ऑपरेशन थंडरबोल्ट में लगभग सभी बंधकों को रिहा किया गया था. हालांकि इसमें इजरायल के एक कमांडो और 3 बंधकों की जान चली गई थी. इसे दुनिया के सबसे शानदार आतंकवाद रोधी मिशन में एक माना जाता है. इस ऑपरेशन की तैयारी में करीब 1 हफ्ते का समय लगा था.
इसी तरह वर्ष 1972 में फलस्तीन के आतंकवादियों ने एक विमान का अपहरण करके इजरायल के तेल अवीव में बेन गुरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतार दिया था. 21 घंटे के बाद इजरायल के कमांडो दस्ते ने सभी बंधकों को सुरक्षित बचा लिया था. उस ऑपेरशन में इजरायल के वर्तमान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी शामिल थे. वह उस समय इजरायल की स्पेशल फोर्स (Special Force) का हिस्सा थे.
यानी आतंकवाद के ऐसे ही खतरे का सामना इजरायल भी करता रहा है…लेकिन वहां सरकार और देश की जनता आतंकवादियों की मांगों के आगे…आसानी से नहीं झुकती.
Bureau Report
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