लंदन: कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के लिए वायरस से लड़ना ही बेहद बड़ी लड़ाई होती है, लेकिन अगर व्यक्ति पहले से अन्य बीमारियों से पीड़ित होता है तो कोरोना की लड़ाई बेहद मुश्किल साबित होती है. एक अध्ययन के अनुसार अस्पताल में भर्ती 10 COVID-19 रोगियों में से एक जिन्हें मधुमेह भी है, उनकी भर्ती होने के सात दिनों के अंदर-अंदर मौत हो सकती है. और 5 में से 1 रोगी को नली लगानी पड़ सकती है और वेंटिलेटर की आवश्यकता हो सकती है.
फ्रांस के नानटेस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 10 से 31 मार्च 2020 के बीच 53 फ्रांसीसी अस्पतालों में भर्ती 1,317 COVID-19 रोगियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया.
उन्होंने कहा कि इन रोगियों में से अधिकांश यानी करीब 90 प्रतिशत लोगों को टाइप 2 डायबिटीज़ थी, जबकि केवल 3 प्रतिशत को टाइप 3 डायबिटीज़ थी, और बाकी मामलों में अन्य प्रकार की डायबिटीज़ थी.
Diabetologia जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च के अनुसार, डायबिटीज़ वाले COVID-19 रोगियों में से दो-तिहाई रोगी पुरुष थे और सभी की औसत आयु 70 वर्ष थी. शोधकर्ताओं ने पाया कि खराब ब्लड शुगर कंट्रोल ने सीधे तौर पर किसी मरीज के परिणाम पर असर नहीं डाला, लेकिन डायबिटीज़ की जटिलताओं और बुढ़ापे ने मौत के जोखिम को बढ़ा दिया.
उन्होंने कहा कि एक बढ़ा हुआ बॉडी मास इंडेक्स-BMI (लंबाई के अनुसार व्यक्ति का वजन होता है) रोगी में मकेनिकल वेटिलेशन की जरूरत और मृत्यु के जोखिम दोनों के साथ जुड़ा हुआ है.
अध्ययन में पाया गया कि 47 प्रतिशत लोगों में आंख, गुर्दे और नसों में जटिलताएं देखी गईं, जबकि 41 प्रतिशत रोगियों में हृदय, मस्तिष्क और पैरों से जुड़ी समस्याएं मौजूद थीं. शोधकर्ताओं ने कहा कि 5 में से 1 रोगी को सातवें दिन तक नली लगानी पड़ी और गहन देखभाल में वेंटिलेटर पर रखा गया था. इस समय तक 10 में से 1 की मौत को गई थी और 18 प्रतिशत ठीक होकर घर चले गए थे.
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