नासा की डराने वाली रिपोर्ट:ग्लेशियर पिघलने से भारत के 12 शहर 3 फीट तक पानी में डूब जाएंगे, मैदानी इलाकों में भी तबाही आएगी

नासा की डराने वाली रिपोर्ट:ग्लेशियर पिघलने से भारत के 12 शहर 3 फीट तक पानी में डूब जाएंगे, मैदानी इलाकों में भी तबाही आएगी

धरती का तापमान बढ़ने से भारत में कैसी तबाही होगी, इसकी आशंका अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने अपनी एक रिपोर्ट में जताई है। यह रिपोर्ट करीब 80 साल बाद यानी 2100 तक की तस्वीर दिखाती है। इसमें कहा गया है कि समुद्र का जलस्तर बढ़ने से भारत के 12 तटीय शहर 3 फीट तक पानी में डूब जाएंगे। ऐसा लगातार बढ़ती गर्मी से ध्रुवों पर जमी बर्फ के पिघलने से होगा।

इसका असर भारत के ओखा, मोरमुगाओ, कंडला, भावनगर, मुंबई, मैंगलोर, चेन्नई, विशाखापट्टनम, तूतीकोरन, कोच्चि, पारादीप और पश्चिम बंगाल के किडरोपोर तटीय इलाके पर पड़ेगा। ऐसे में भविष्य में इन इलाकों में रह रहे लोगों को यह जगह छोड़नी पड़ सकती है।

नासा ने बनाया सी लेवल प्रोजेक्शन टूल
दरअसल, नासा ने एक सी लेवल प्रोजेक्शन टूल बनाया है। इससे समुद्री तटों पर आने वाली आपदा से वक्त रहते लोगों को निकालने और जरूरी इंतजाम करने में मदद मिलेगी। इस ऑनलाइन टूल के जरिए कोई भी भविष्य में आने वाली आपदा यानी बढ़ते समुद्री जलस्तर का पता कर सकेगा।

समुद्र के साथ मैदानी इलाकों में मचेगी तबाही
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2100 तक दुनिया का तापमान काफी बढ़ जाएगा। लोगों को भयानक गर्मी झेलनी पड़ेगी। कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण नहीं रोका गया तो तापमान में औसतन 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। अगले दो दशक में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। इस तेजी से पारा चढ़ेगा तो ग्लेशियर भी पिघलेंगे। इनका पानी मैदानी और समुद्री इलाकों में तबाही लेकर आएगा।

कई देशों का क्षेत्रफल घट जाएगा
नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन ने कहा कि सी लेवल प्रोजेक्शन टूल दुनियाभर के नेताओं और वैज्ञानिकों को यह बताने के लिए काफी है कि अगली सदी तक हमारे कई देशों की जमीन कम हो जाएगी। समुद्री जलस्तर इतना तेजी से बढ़ेगा कि उसे संभालना मुश्किल होगा। इसके उदाहरण सबके सामने हैं। कई द्वीप डूब चुके हैं। कई अन्य द्वीपों को समुद्र निगल जाएगा।

ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने का असर
भारत सहित एशिया महाद्वीप पर भी गहरे प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर से बनी झीलों के बार-बार फटने से निचले तटीय इलाकों को बाढ़ के अलावा कई बुरे असर झेलने पड़ेंगे। देश में अगले कुछ दशकों में सालाना औसत बारिश में इजाफा होगा। खासकर दक्षिणी प्रदेशों में हर साल बहुत ज्यादा बारिश हो सकती है।

तापमान में तेजी से हो रही बढ़ोतरी
वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानी दखल के चलते जिस तरह ग्लोबल वार्मिंग बढ़ी है, उससे धरती पर तेजी से बदलाव हो रहे हैं। पिछले 2000 साल में जो बदलाव हुए हैं, वे हैरान करने वाले हैं। 1750 के बाद से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन तेजी से बढ़ा है। 2019 में एनवायरनमेंट में कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल अब तक सबसे ज्यादा दर्ज किया गया है।

दूसरी ग्रीनहाउस गैसें जैसे मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड 2019 में इतना बढ़ गईं, जितना कि पिछले 80 लाख साल में नहीं रहीं। 1970 के दशक से धरती के गर्म होने की दर में तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले 2000 साल में तापमान उतना नहीं बढ़ा, जितना पिछले 50 साल में बढ़ा है।

Bureau Report

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