नईदिल्ली: कोरोना महामारी की दूसरी लहर झेल रहे केरल में जीका वायरस और अब निपाह वायरस से लोगों में भय बना हुआ है। दो महीने पूर्व केरल में जीका वायरस के 14 मामले पाए जाने के बाद तमिलनाडु और केरल में अलर्ट जारी किया गया था। कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे केरल में रविवार को उस समय एक और झटका लगा जब कोझिकोड में 12 वर्षीय एक लड़के की मौत निपाह वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद हो गई। राज्य में दो और लोगों में निपाह वायरस से संक्रमण के लक्षण मिले हैं। बता दें कि मई, 2018 में केरल में सबसे पहले निपाह वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इस वायरस की चपेट में आने के बाद 17 लोगों की मौत हुई थी। आखिर क्या है निपाह वायरस। क्या है इसके लक्षण। यह कैसे फैलता है। आखिर कैसे यह जानलेवा हो जाता है।
सुअर और चमगादड़ों के अलावा इंसान से वारयरस का हुआ प्रसार
विश्व स्वास्य संगठन के मुताबिक निपाह वायरस (NiV) एक खतरनाक वायरस है। यह जानवरों एवं इंसानों में एक गंभीर बीमारी को जन्म देता है। निपाह वायरस के बारे में सर्वप्रथम 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था। इसके चलते इस वायरस का नाम निपाह रख दिया गया। उस वक्त इस वायरस के वाहक सूअर होते थे। हालांकि, वर्ष 2004 में बांग्लादेश में निपाह वायरस तेजी से फैला। उस वक्त निपाह वायरस के प्रसार के लिए कोई माध्यम नहीं था। हालांकि, निपाह वायरस से संक्रमित लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल पदार्थ को चखा था। उस वक्त माना गया कि इस तरल पदार्थ तक वायरस को लाने वाले चमगादड़ थे। चौंकाने वाली बात यह है कि हाल में वायरस के एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंचने की पुष्टि हुई है।
इस बीमारी से दिमाग को होती है क्षति
इंसानों में निपाह वायरस के संक्रमण से सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है। इसके साथ जानलेवा इंसेफ्लाइटिस भी अपनी चपेट में ले सकता है। यह एक जानलेवा बीमारी है। इंसानों या जानवरों को इस बीमारी को दूर करने के लिए अभी तक कोई इंजेक्शन या औषधि नहीं बनी है। सेंटर फार डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक निपाह वायरस का संक्रमण एंसेफ्लाइटिस से जुड़ा है। इस बीमारी से दिमाग को क्षति होती है। पांच से 14 दिन तक इसकी चपेट में आने के बाद यह वायरस तीन से 14 दिन तक तेज बुखार और सिरदर्द की वजह बन सकता है।
बीमारी के लक्षण
- निपाह वायरस से संक्रमित रोगी 24 से 48 घंटे में मरीज को कोमा में पहुंचा सकता है। संक्रमण के शुरुआती दोर में मरीज को सांस लेने में दिक्कत आती है। कुछ मरीजों में न्यूरो से जुड़ी दिक्कतें भी होती है।
- वर्ष 1998-99 में केरल में यह बीमारी तेजी से फैली थी। उस वक्त इस वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे। अस्पतालों में भर्ती हुए इनमें से करीब 40 फीसद मरीज ऐसे थे, जिन्हें गंभीर नर्वस बीमारी हुई थी और ये बच नहीं पाए थे।
- आम तौर पर यह वायरस इंसानों में इंफेक्शन की चपेट में आने वाली चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है। मलेशिया और सिंगापुर में इसके सूअरों के जरिए फैलने की जानकारी मिली थी, जबकि भारत और बांग्लादेश में इंसान से इंसान का संपर्क होने पर इसकी चपेट में आने का खतरा ज्यादा रहता है।
Bureau Report
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