Uttarakhand Election 2022 Result: क्या गुल खिलाएगी विजयवर्गीय और निशंक की जुगलबंदी, कांग्रेस में हलचल

Uttarakhand Election 2022 Result: क्या गुल खिलाएगी विजयवर्गीय और निशंक की जुगलबंदी, कांग्रेस में हलचल 
देहरादून :विधानसभा चुनाव की मतगणना से ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की सक्रियता के सियासी मायने टटोले जा रहे हैं। देहरादून पहुंचकर पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जिस अंदाज में डॉ. निशंक से मंत्रणा की, सबकी निगाहें अब दोनों दिग्गज नेताओं की जुगलबंदी पर टिक गई हैं।

सियासी हलकों में चर्चा है कि दोनों नेताओं की जुगलबंदी प्रदेश की सियासत में कोई न कोई गुल तो जरूर खिलाएगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पद से विदा होने के बाद से डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की राजनीतिक सक्रियता का इंतजार हो रहा था। स्वास्थ्य कारणों से वह मुख्यधारा की राजनीति में अपने मिजाज के हिसाब से सक्रिय नहीं दिखे थे, लेकिन मतगणना से ठीक पहले उनकी सक्रियता ने सबका ध्यान खींचा है।

कांग्रेस नेता विजयवर्गीय को लेकर साध रहे निशाना
हो सकता है कि यह संयोग हो, लेकिन जिस अंदाज में उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की और फिर नई दिल्ली से लौटने के बाद राज्यपाल लेफ्टीनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) से मिले, सियासी हलकों में उसके भी मायने टटोले गए। रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी देहरादून पहुंचे। उन्होंने पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की और फिर निशंक से उनके आवास पर मिले।

दोनों नेताओं के बीच हुई मंत्रणा से सियासी हलकों में ही नहीं कांग्रेस में भी हलचल शुरू हो गई। उत्तराखंड में विजयवर्गीय की सक्रियता से कांग्रेस की पेशानी पर जो बल दिखाई दे रहे हैं, उसकी वजह वर्ष 2016 में कांग्रेस में हुई सेंधमारी है। उसका मुख्य रणनीतिकार विजयवर्गीय को ही माना जाता है। यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से लेकर अन्य कांग्रेस नेता विजयवर्गीय को लेकर निशाना साध रहे हैं।

विजयवर्गीय के साथ डॉ. निशंक की सक्रियता ने कांग्रेस नेताओं की बेचैनी और बढ़ा दी है। मतगणना से ठीक पहले निशंक की सक्रियता के यही मायने माने जा रहे हैं कि केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें खास मिशन सौंपा है, जिसे वह विजयवर्गीय के साथ अंजाम देंगे। हालांकि, विजयवर्गीय ऐसी किसी भी संभावना से साफ इनकार कर रहे हैं।

बहुमत हासिल करना टेढ़ी खीर
बकौल विजयवर्गीय, जब हमें स्पष्ट बहुमत मिल रहा है तो कांग्रेस क्यों घबरा रही है। वह दावा कर रहे हैं कि भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है, लेकिन सियासी जानकारों की निगाह में भाजपा के लिए उत्तराखंड में बहुमत हासिल करना टेढ़ी खीर है।

संख्या बल की चाभी के छल्ले में उसे कुछ चाभियां पिरोनी होंगी, तभी बहुमत का ताला खुलेगा। जानकारों का मानना है कि इन चाभियों की खोज में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी के जिन शीर्ष नेताओं को उतारा है, उनमें विजयवर्गीय और डॉ. निशंक की जोड़ी भी शामिल है।

डॉ. निशंक ही क्यों 
सियासी हलकों में यह सवाल भी मौजूं है कि विजयवर्गीय के साथ डॉ. निशंक की ही जुगलबंदी क्यों दिखाई दे रही है। इसके जवाब में संगठन के सूत्र बताते हैं कि डॉ. निशंक उत्तराखंड की राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं। सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से उनका संपर्क है। बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में यदि पार्टी को निर्दलीय के समर्थन की आवश्यकता होगी तो प्रदेश के कुछ प्रमुख नेताओं में से निशंक भी सूत्रधार की भूमिका निभा सकते हैं। 

Bureau Report

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