नईदिल्ली: दिल्ली में अब एक ही नगर नगम होगा। लोकसभा और राज्यसभा में विधेयक के पास होने के बाद अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही तीनों निगमों को एक करने वाला विधेयक कानून बन चुका है। इसके बाद आज से ही राजधानी में दिल्ली नगर निगम होगा। मिली जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने लोकसभा और राज्यसभा से पारित विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी है। इसके साथ दिल्ली नगर निगम चुनाव को लेकर भी रास्ता साफ हो गया है।
वहीं, जानकारों की मानें तो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद विधेयक के कानून का रूप अख्तियार करने के बाद दिल्ली की तीनों नगर निगमों के एकीकरण के लिए डीलिमिटेशन की प्रक्रिया की जाएगी। डीलिमिटेशन की प्रक्रिया पूरी होने के उपरांत दिल्ली नगर निगम के चुनाव होंगे।
दरअसल, बजट सत्र में पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा से पारित हुआ दिल्ली नगर निगम निगम संशोधन विधेयक 2022 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की मंजूरी मिल गई है। इसके बाद अब राजधानी में दिल्ली नगर निगम अस्तित्व में आ गया है। अब उत्तरी,पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम न होकर दिल्ली नगर निगम होगा। जिससे चुनाव के बाद तीन की बजाय एक महापौर और तीन निगमायुक्त की बजाय एक निगमायुक्त ही होगा।
दस साल 18 दिन बाद अब निगम अपने पुराने स्वरूप में होगा। वर्ष 2011 में दिल्ली विधानसभा ने दिल्ली नगर निगम को तीन निगम में विभाजित किया था। जिसमें पूर्वी और उत्तरी के साथ दक्षिणी निगम बनाया गया था। खराब आर्थिक हालातों से जूझ रहे केंद्र सरकार ने इसकी दशा को सुधारने के लिए तीनों निगमों को एक करने का फैसला लिया था।
निगम के एक होने पर कन्फेडेरशन आफ एमसीडी एम्पलाइज यूनियंस के संयोजक एपी खान ने खुशी जाहिर की है। एपी खान ने कहा कि इससे तीनों नगर निगम के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन की समस्या का समाधान होगा। हम लगातार केंद्र सरकार से इस संबंध में कदम उठाने की मांग कर रहे थे। तीन साल से कई ज्ञापन हमने इस संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजे थे।
नगर निगम शिक्षक संघ के महासचिव रामनिवास सोलंकी ने कहा कि हम केंद्र सरकार के आभारी है कि उन्होंने हमारी समस्या को समझा। अब निगम के पास ज्यादा शक्ति होगी तो कर्मचारियों को भी परेशान नहीं होना पड़ेगा। हमारी मांग थी कि तीनों निगम एक किए जाए। जो कि केंद्र सरकार ने कर दिए। इससे अतिरिक्त जो खर्चा हो रहा था वह भी बचेगा। साथ ही वेतन और पेंशन देरी से मिलने की समस्या खत्म होगी। हमने छह-छह माह देरी से वेतन आने के हालात को देखा है। आलम यह हो गया था कि कोई बैंक निगम कर्मियों को लोन देने के लिए तैयार नहीं था।
Bureau Report
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