VASTU SHASTRA: घर के दरवाजे से आते हैं सुख-दुख, ये गलती बिगाड़ देगी मालिक की सेहत!

VASTU SHASTRA: घर के दरवाजे से आते हैं सुख-दुख, ये गलती बिगाड़ देगी मालिक की सेहत!
नईदिल्ली: वास्तुशास्त्रों में घर के मुख्‍य द्वार की रचना पर जोर दिया गया है. मुख्‍य द्वार को जितना मजबूत और सुंदर बनाने पर जोर देने की बजाय इस बात पर ज्‍यादा जोर देना चाहिए कि यह वास्तुपद सम्मत हो. घर का मेन गेट सभी सुखों को देने वाला होता है. यह भवन का मुख्य अंग होने के कारण एक प्रकार से मुखिया है. वास्तुपद रचना के अनुसार अगर गेट की स्थिति सही हो तो कई दोषों का निवारण खुद ही हो जाता है और सुख समृद्धि, स्वास्थ्य,धन तथा यश कीर्ति में वृद्धि होती है.   

मुख्‍य द्वार को लेकर रखें इन बातों का ख्‍याल 

– घर का मेट गेट बहुत साफ सुथरा होना चाहिए, प्रतिदिन मेन गेट को साफ करना बहुत जरूरी होता है. एक तरीके से इसे घर का मुख समझना चाहिए, जिस प्रकार सभी लोग अपना मुख साफ रखते हैं उसी प्रकार द्वार को भी साफ रखना चाहिए. ऐसा करने से धन की कभी कमी नहीं होती है. घर का मुख्य दरवाजा ही है जहां से सुख के साथ दुख भी घर में प्रवेश करते हैं, इसलिए घर में दुख व नकारात्मकता के प्रवेश को रोकने के लिए दरवाजे की साफ-सफाई का होना बहुत जरूरी है.

– यदि दरवाजे में टूट-फूट हो या दरवाजा आवाज कर रहा है तो उसकी मरम्मत करा लें. क्योंकि ऐसा प्रायः देखा गया है कि घर तो बहुत अच्छा है लेकिन मेन गेट ठीक से नहीं खुलता है, या फिर उसके पल्ले लटक कर जमीन से रगड़ने लगते हैं. ऐसे घरों में नौकरी को लेकर दिक्कतें आती हैं. ऐसे दरवाजे प्रमोशन होने में बाधा डालते हैं. 

– गेट के कब्जों की देखरेख करनी चाहिए. यदि दरवाजों के कब्जों से आवाज आने लगती है या कब्जों से पेंट निकल जाते हैं ऐसे घरों में रोग आने लगते हैं. यह भी ध्यान रखना चाहिए कि घर का मेन गेट खोलते समय दरवाजे में चरचराहट की आवाज न आए. यदि इन सब बातों का ध्यान रखा जाए तो घर में सुख-समृद्धि और आरोग्यता का वास होता है. यदि किबाड़ का जोड़ गड़बड़ हो तो भवन मालिक कई कष्ट झेलता है.

– घर का मेन द्वार बहुत छोटा या बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए. भवन के अनुपात में होना चाहिए. बहुत बड़े दरवाजे वाले घरों में धन नहीं रुकता है. आए दिन यहां कोई न कोई खर्च बने ही रहते हैं. वहीं बहुत छोटे दरवाजों में नौकरी या व्यापार में अच्छे अवसर प्राप्त होने में दिक्कत रहती है.

-द्वार पर लगाया जाने वाला किवाड़ बिल्कुल पतला नहीं होना चाहिए. ऐसा होने पर अर्थाभाव का सामना करना पड़ सकता है. यदि किवाड़ टेढ़ा-मेढ़ा हो तो यह अमंगलकारी होता है. इस कारण दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है. यह पारिवारिक शांति को प्रभावित करता है

– यदि  किवाड़ भवन के अंदर लटक जाए तो बहुत कष्टकारी साबित होता है और यदि बाहर की ओर लटका हो तो वहां पर रहने वाले निरंतर प्रवास पर ही रहते हैं. खोलते-बंद करते समय द्वार का अटकना भी अच्‍छा नहीं है. 

– एंट्री गेट पारदर्शी नहीं होना चाहिए. जिस घर में ऐसे दरवाजे होते हैं वहां की सकारात्मक जल्द ही समाप्त हो जाती है. इसके अलावा जो बात घर की घर में ही रहनी चाहिए वह भी बाहर चली जाती है. 

– मेन गेट पर किसी देवी देवता की फोटो नहीं लगानी चाहिए. ऐसा करने से उनका निरादर होता है और वह नाराज होकर घर की सम्पन्नता में कमी लाते हैं. 

– मुख्य द्वार पर स्वास्तिक, कलश, हाथ जोड़ने का चित्र आदि लगाना चाहिए. द्वार पर चिन्ह लगाना सबसे अधिक उपयुक्त होता है. 

Bureau Report

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*