बीजेपी नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा को उनके दिल्ली स्थित आवास से गिरफ्तार करने की पंजाब पुलिस की नाकाम कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। इसको लेकर किरकिरी का सामना करना पड़ रहा है। मामले को गलत तरीके से संभालने के कारण दिल्ली पुलिस के बीच आमना-सामना हुआ और भगवंत मान सरकार और आम आदमी पार्टी की व्यापक आलोचना हो रही है।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “चूंकि गिरफ्तारी पंजाब के बाहर की जानी थी, इसलिए छापेमारी करने वाली पुलिस को संबंधित स्थानीय पुलिस स्टेशन को सूचित करना पड़ता है। प्रक्रिया के अनुसार गिरफ्तारी के समय स्थानीय क्षेत्र के एक पुलिस अधिकारी को छापेमारी दल के साथ जाना चाहिए था।”
4 अप्रैल को पंजाब पुलिस के साइबर सेल ने बग्गा के खिलाफ भड़काऊ, झूठे और सांप्रदायिक बयान देने और आपराधिक धमकी देने के लिए मामला दर्ज किया। मीडिया को दिए इंटरव्यू और ट्विटर पोस्ट को इसके लिए हथियार बनाया गया।
पंजाब पुलिस ने कहां कर दी गलती
पंजाब पुलिस के सूत्रों ने कहा कि राज्य पुलिस को मोहाली अदालत से गिरफ्तारी वारंट हासिल करना चाहिए था। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “चूंकि गिरफ्तारी राज्य के बाहर की जानी थी, इसलिए छापेमारी करने वाली पुलिस को संबंधित स्थानीय पुलिस स्टेशन को सूचित करना चाहिए था। प्रक्रिया के अनुसार गिरफ्तारी के समय स्थानीय क्षेत्र के एक पुलिस अधिकारी को छापेमारी दल के साथ जाना होता है।”
पंजाब पुलिस ने हालांकि दावा किया है कि जांच में शामिल होने के लिए भाजपा नेता को पांच नोटिस दिए गए थे। जांच में शामिल नहीं होने पर उन्हें उनके घर से गिरफ्तार कर लिया गया।
दिल्ली और हरियाणा पुलिस का पलटवार
हालांकि, दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि पंजाब पुलिस ने बग्गा को गिरफ्तार करने से पहले उन्हें सूचित नहीं किया और खुद उन्हें हिरासत में ले लिया। वहीं, मोहाली के एसएसपी ने भी कुरुक्षेत्र के एसएसपी को पत्र लिखकर पंजाब पुलिस टीम को करनाल-कुरुक्षेत्र हाईवे पर अवैध रूप से हिरासत में लेने का दावा करते हुए इसे आपराधिक न्याय प्रशासन में दखलंदाजी करार दिया।
दिल्ली पुलिस को द्वारका कोर्ट से सर्च वारंट मिला तो पता चला कि हरियाणा पुलिस ने पंजाब पुलिस को पिपिली के पास रोक लिया है। पंजाब पुलिस पर अपहरण का मामला चल रहा है।
Bureau Report
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