Supreme Court: गैंगस्टर अबू सलेम पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, कहा- 2030 तक नहीं किया जा सकता है रिहा

Supreme Court: गैंगस्टर अबू सलेम पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, कहा- 2030 तक नहीं किया जा सकता है रिहा

Supreme Court on Abu Salem: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुंबई बम धमाकों 1993 के आरोपी गैंगस्टर अबू सलेम को लेकर कहा कि सलेम को 2030 तक जेल से रिहा नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि जब सलेम की 25 साल की जेल की अवधि पूरी हो जाएगी, तो उसके बाद केंद्र सरकार राष्ट्रपति को भारत और पुर्तगाल के बीच प्रत्यर्पण संधि को लेकर सलाह दे सकती है.

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट ने अबु सलेम की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि, प्रत्यर्पण संधि कोर्ट पर लागू नहीं होती है, इसलिए जो भी सजा होगी, वह कोर्ट तय करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुर्तगाल में हिरासत के 3 साल सज़ा का हिस्सा नहीं है. उसे उम्रकैद की सज़ा मुक़र्रर करने वाली टाडा कोर्ट प्रत्यर्पण के वक़्त भारत सरकार के किए वादे से बंधी नहीं हुई है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार उस वादे से बंधी है, जो उसने अबू सलेम के प्रत्यर्पण के वक़्त किया था. सलेम का साल 2005 में प्रत्यर्पण हुआ है, ऐसे में वायदे  के मुताबिक, 2030 में  25 साल  की मियाद पूरी होने पर केंद्र सरकार उसकी रिहाई के बारे में फैसला ले.

सरकार का जवाब

सरकार ने अबू सलेम की अर्जी का विरोध किया था. सरकार का कहना था कि अबू सलेम को 2005 में भारत लाया गया था, इसलिए उसकी रिहाई पर फैसला लेने का सवाल साल 2030 में ही आएगा. अभी सलेम की ओर से रिहाई के लिए याचिका दायर करने का कोई औचित्य नहीं है. सरकार का ये कहना था कि प्रत्यर्पण के वक़्त एक सरकार का किया गया वायदा दूसरी सरकार से था. सलेम को उम्रकैद की सज़ा सुनाने वाले टाडा कोर्ट के जज उससे बंधे नहीं थे. सरकार का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट भी उस समझौते की परवाह किए बगैर सलेम की अर्जी पर केस की मेरिट को देखते हुए फैसला दे. समझौते का पालन सरकार पर छोड़ दे.

 क्या थी अबु सलेम की याचिका

दरअसल, अबु सलेम ने 2 केस में खुद को मिली उम्रकैद की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी. अबु सलेम ने अपनी याचिका में इसे आधार बनाते हुए कहा था कि वर्ष 2002 में प्रत्यर्पण के वक्त भारत की ओर से पुर्तगाल को जो आश्वासन दिया गया था उसमें कहा गया था कि सलेम को 25 साल से ज्यादा की सजा नहीं होगी, इसलिए उसे 2027 में रिहा किया जाए. 

क्या है पूरा मामला?

गैंगस्टर अबु सलेम का कहना है कि पुर्तगाल सरकार के साथ हुई प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, भारत में उसकी कैद 2027 से ज़्यादा तक नहीं हो सकती. सलेम को 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था. मुंबई के विशेष टाडा कोर्ट ने उसे 1993 मुंबई बम ब्लास्ट समेत 2 मामलों में उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. अबू सलेम ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि उसे रिहा करने के लिए 2002 की तारीख को आधार बनाया जाना चाहिए, क्योंकि तभी उसे पुर्तगाल में हिरासत में ले लिया गया था. इस हिसाब से 25 साल की समय सीमा 2027 में खत्म होती है. 

Bureau Report

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