उपेंद्र कुशवाहा को आखिरकार वही करना पड़ा। जदयू का इलाज करने की योजना थी, मगर कोई रास्ता नहीं देख उन्होंने नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल की घोषणा कर दी। पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष उन्हें चुन लिया गया। उन्होंने जदयू के MLC पद छोड़ने की औपचारिकता भी एक-दो दिन के अंदर पूरी करने की घोषणा की। सोमवार को उन्होंने साफ कहा कि अंत बुरा तो सब बुरा। नीतीश जी ने अच्छा नहीं किया। वह जबतक खुद निर्णय लेते थे, तब तक ठीक था। कुशवाहा ने कहा कि उनके पास निर्णय लेने का अधिकार नहीं। उनके पास कुछ नहीं। घिरे हुए हैं। गलत सलाहकारों से घिरे हैं। उन्हीं के हिसाब से जदयू को बर्बाद करने की साजिश रची जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ देने की स्थिति में ही नहीं हैं। जदयू की इन बीमारियों को खत्म करने का प्रयास किया तो मुझे बताया गया कि मैं तो कुछ हूं ही नहीं।
राजनीतिक विरासत बचाने को यह पार्टी बनाई
जदयू के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष का पद तो नीतीश कुमार ने खुद मुझे दिया था और उन्हें पता भी नहीं चला कि यह पद मुझसे कब छीन लिया गया। जब नीतीश कुमार इस स्थिति में पहुंच गए तो हमलोगों को यह तय करना पड़ा कि इस विरासत को बंधक नहीं बनने देंगे। हिस्सेदारी की नहीं, विरासत को बचाने की चिंता है।राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए, बर्बाद होती पार्टी को बचाने के लिए जवाबदेही अपने ऊपर लेते हुए हम नया दल बना रहे हैं।
Bureau Report
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