महाराष्ट्र में वर्सोवा-बांद्रा सी लिंक का नाम बदल दिया गया है। अब इसे वीर सावरकर सेतु के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का नाम भी बदलकर अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति न्हावा शेवा अटल सेतु कर दिया गया है। पिछले महीने वीर सावरकर जयंती के दिन महाराष्ट्र सरकार ने इसे लेकर फैसला लिया था।
इससे पहले केंद्र सरकार ने फरवरी में औरंगाबाद और उस्मानाबाद के बदले हुए नाम को मंजूरी दे दी थी। अब औरंगाबाद को छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद को धाराशिव के नाम से जाना जाएगा। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ट्विटर पर यह खबर साझा की थी। औरंगाबाद का नाम मुगल शासक औरंगजेब, जबकि उस्मानाबाद का नाम हैदराबाद रियासत के 20वीं सदी के शासक के नाम पर रखा गया था।
छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे बड़े बेटे छत्रपति संभाजी उनके पिता द्वारा स्थापित मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक थे। संभाजी महाराज को 1689 में औरंगजेब के आदेश पर फांसी दे दी गई थी। कुछ विद्वानों के अनुसार उस्मानाबाद के समीप एक गुफा धाराशिव आठवीं सदी की है। हिंदू दक्षिणपंथी संगठन इन दो शहरों के नाम बदलने की मांग लंबे समय से कर रहे थे।
पिछले महीने किया था एलान
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया था कि राज्य की सरकार ने सावरकर जयंती को वीर सावरकर गौरव दिन के रूप में मनाने का फैसला किया है। सरकार ने बांद्रा-वर्सोवा समुद्र सेतु का नामकरण भी वीर सावरकर के नाम पर करने का भी एलान किया था। अलग-अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले लोगों को वीर सावरकर वीरता पुरस्कार देने का फैसला भी किया गया था।
विपक्ष पर साधा था निशाना
देश के नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा था कि लोकशाही का पवित्र मंदिर का लोकार्पण वीर सावरकर की जयंती के एतिहासिक दिन पर हुआ। यह सभी लोगों के लिए एतिहासिक घटना थी। देश के 140 करोड़ लोग इसमें सहभागी बने और इसमें सभी लोगों को हिस्सा लेना चाहिए था। उनका इशारा विपक्षी दल की तरफ था।
Bureau Report
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