प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में निर्माण क्षेत्र की कंपनी सुपरटेक के मालिक आरके अरोड़ा को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। एजेंसी पिछले तीन दिन से अरोड़ा से पूछताछ कर रही थी। इसके बाद मंगलवार को केंद्रीय एजेंसी ने उन्हें हिरासत में लिया था। सुपरटेक वही कंपनी है जिसने नोएडा में ट्विन टॉवर बनाया था जिसे पिछले साल अगस्त में जमींदोज कर दिया गया था। आइये जानते हैं आरके अरोड़ा और उनकी कंपनी सुपरटेक के बारे में…
पहले जानिए अभी क्या हुआ है?
ईडी सुपरटेक कंपनी के मालिक आरके अरोड़ा से तीन दिन से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ कर रही थी। इसी सिलसिले में मंगलवार देर शाम अरोड़ा की उनके दिल्ली कार्यालय से गिरफ्तारी की गई। देर शाम ईडी की ओर से अरोड़ा के परिजनों को उनकी गिरफ्तारी की जानकारी दी गई।
ईडी ने अरोड़ा को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया है। एजेंसी बुधवार को अरोड़ा को विशेष कोर्ट में पेश कर उनकी हिरासत मांग सकती है। सुपरटेक समूह के खिलाफ दिल्ली, हरियाणा व उत्तर प्रदेश में कई एफआईआर दर्ज हैं। इसी आधार पर ईडी ने सुपरटेक समूह, उसके निदेशकों व प्रमोटरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। अप्रैल में ईडी ने सुपरटेक और उसके निदेशकों की 40 करोड़ से अधिक की संपत्तियां जब्त की थीं।
आरके अरोड़ा को क्यों गिरफ्तार किया गया?
एफआईआर में अरोड़ा और सुपरटेक पर फ्लैट बुक कराने वालों से अग्रिम राशि लेकर धोखाधड़ी करने के आरोप हैं। ईडी के मुताबिक, सुपरटेक और समूह की कंपनियों ने फ्लैट खरीदारों की राशि के आधार पर बैंक से कर्ज लिए और राशि का गबन कर लिया। दूसरी कंपनियों के नाम से जमीन खरीदी गई और उनके आधार पर भी बैंकों से कर्ज ले लिया। कर्ज नहीं चुकाने से करीब 1,500 करोड़ के कर्ज गैर निष्पादित संपत्तियां बन गए।
अब जानते हैं आरके अरोड़ा के बारे में
आरके अरोड़ा हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में एक रियल एस्टेट कारोबारी हैं। वह सुपरटेक लिमिटेड के मालिक हैं। अरोड़ा ने 34 कंपनियां खड़ी की हैं। ये कंपनियां सिविल एविएशन, कंसलटेंसी, ब्रोकिंग, प्रिंटिंग, फिल्म्स, हाउसिंग फाइनेंस, कंस्ट्रक्शन तक के काम करती हैं। यही नहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आरके अरोड़ा ने तो कब्रगाह बनाने तक की कंपनी भी खोली है।
पहले कब चर्चा में आए आरके अरोड़ा?
आरके अरोड़ा ने नोएडा के सेक्टर 93ए में ट्विन टावरों का निर्माण किया जिसमें दो आवासीय परिसर थे। वह उनकी कंपनी सुपरटेक द्वारा निर्मित ट्विन टावरों को ध्वस्त करने के बाद देशभर में सुर्खियों में आए। यह पता चलने के बाद कि ट्विन टॉवर नोएडा की इमारत एक गैरकानूनी निर्माण थी, अरोड़ा की गैरकानूनी करतूतें दुनिया के सामने आईं। देश की सर्वोच्च अदालत के आदेश के अनुसार, यूपी सरकार ने 28 अगस्त, 2022 को नोएडा में उनकी कंपनी द्वारा निर्मित ट्विन टावर को ढहा दिया।
अरोड़ा ने ऐसे शुरू की कंपनी
रिपोर्ट्स के अनुसार, आरके अरोड़ा ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर सात दिसंबर 1995 को इस कंपनी की शुरुआत की थी। कंपनी ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना विकास प्राधिकरण क्षेत्र, मेरठ, दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के करीब 12 शहरों में रियल स्टेट के प्रोजेक्ट लॉन्च किए। देखते ही देखते अरोड़ा ने रियल स्टेट में अपना नाम बना लिया। इसके बाद अरोड़ा ने एक के बाद एक 34 कंपनियां खोलीं। ये सभी अलग-अलग कामों के लिए थीं।
सुपरटेक लिमिटेड शुरू करने के चार साल बाद 1999 में उनकी पत्नी संगीता अरोड़ा ने सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी खोली थी। इसके अलावा आरके अरोड़ा ने अपने बेटे मोहित अरोड़ा के साथ मिलकर पॉवर जेनरेशन, डिस्ट्रीब्यूशन और बिलिंग सेक्टर में भी काम शुरू किया। इसके लिए सुपरटेक एनर्जी एंड पॉवर प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई।
ऐसे दिवालिया हुई सुपरटेक
ट्विन टावर गिराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से आरके अरोड़ा की स्थिति खराब होने लगी। करीब 200 करोड़ से ज्यादा की लागत से इसे बनाया गया था। इनमें 711 फ्लैटों की बुकिंग भी हो चुकी थी। इसके लिए कंपनी ने लोगों से पैसे भी ले लिए थे। लेकिन जब इसे गिराने का आदेश दिया गया तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुकिंग अमाउंट और 12 प्रतिशत ब्याज की रकम मिलाकर 652 निवेशकों के दावे सेटल कर दिए गए।
इनमें 300 से अधिक ने रिफंड का विकल्प अपनाया, जबकि बाकी ने मार्केट या बुकिंग वैल्यू और ब्याज की रकम जोड़कर जो राशि बनी उसके अनुसार दूसरी परियोजनाओं में प्रॉपर्टी ले ली। प्रॉपर्टी की कीमत कम या ज्यादा होने पर पैसा रिफंड किया या अतिरिक्त रकम जमा कराई गई।
ट्विन टावर के 59 निवेशकों को रिफंड नहीं मिला। 25 मार्च को सुपरटेक के इंसोल्वेंसी में जाने से रिफंड की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। 14 करोड़ रुपये से अधिक का रिफंड दिया जाना बाकी है। इंसोल्वेंसी में जाने के बाद पिछले साल मई में कोर्ट को बताया गया कि सुपरटेक के पास रिफंड का पैसा नहीं है।
इसके चलते कंपनी को भारी नुकसान हुआ। पिछले साल मार्च में सुपरटेक कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया गया। सुपरटेक ने यूनियन बैंक से करीब 432 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। कर्ज नहीं चुकाने पर बैंक ने कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की थी। जिसके बाद एनसीएलटी ने बैंक की याचिका स्वीकार कर इन्सॉल्वेंसी की प्रक्रिया का आदेश दिया था।
Bureau Report
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