मणिपुर में दो महिलाओं के साथ दरिंदगी से देश को शर्मसार करने वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। बता दें, शीर्ष अदालत दो महिलाओं पर भीड़ द्वारा किए गए हमले से संबंधित मामले की सुनवाई को स्थानांतरित करने के केंद्र सरकार के अनुरोध पर विचार कर रहा है।
शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि महिलाएं मामले की सीबीआई जांच और मामले को असम स्थानांतरित करने के खिलाफ हैं। सिब्बल ने आगे कहा कि पीड़ित महिलाओं में से एक के पिता और भाई की हत्या कर दी गई थी। उनके अभी तक शव नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा कि 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज की गई। जब कोर्ट ने संज्ञान लिया, तब कुछ हुआ। तो फिर हम क्या भरोसा रखें? उन्होंने कहा कि ऐसी कई घटनाएं होंगी। इसलिए हम एक ऐसी एजेंसी चाहते हैं जो मामले की जांच करने के लिए स्वतंत्र हो।
सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मुकदमे को असम स्थानांतरित करने का हमने कभी अनुरोध नहीं किया। हमारी मांग यह है कि इस मामले को मणिपुर से बाहर स्थानांतरित किया जाए।
महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस घटना का तो वीडियो सामने आया है, लेकिन यह एकमात्र घटना नहीं है जहां महिलाओं के साथ मारपीट या उत्पीड़न हुई है, अन्य महिलाएं भी हैं। उन्होंने कहा कि हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा के व्यापक मुद्दे को देखने के लिए एक तंत्र भी बनाना होगा। इस तंत्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे सभी मामलों का ध्यान रखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह दोनों पक्षों को संक्षेप में सुनेगा और फिर कार्रवाई के सही तरीके पर फैसला करेगा। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल कोई साक्ष्यात्मक रिकॉर्ड पेश नहीं किए गए हैं। सीजेआई ने कहा कि पहले याचिकाकर्ताओं को सुनते हैं उसके बाद अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल को सुना जाएगा।
कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह स्पष्ट है कि पुलिस उन लोगों के साथ मिलकर काम कर रही थी, जिन्होंने दोनों महिलाओं के खिलाफ हिंसा की और पुलिस ने इन महिलाओं को भीड़ के पास ले जाकर छोड़ दिया और भीड़ ने वही किया जो उन्होंने किया। वहीं, सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट मामले की निगरानी करेगा तो केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है।
सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा कि तीन मई को जब मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी, उसके बाद ऐसी कितनी एफआईआर दर्ज की गई हैं। इस पर वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने बताया कि केंद्र की स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, 595 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें से कितने यौन हिंसा, कितने आगजनी और हत्या से संबंधित हैं, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है।
देशभर में हंगामा
गौरतलब है, 4 मई की घटना का वीडियो वायरल होने के बाद से देशभर में आक्रोश है। संसद में भी मानसून सत्र की शुरुआत से हंगामा जारी है। भाजपा ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है, लेकिन साथ ही वीडियो वायरल करने के समय पर भी सवाल उठ रहा है। वीडियो 20 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र से एक दिन पहले वायरल हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया था स्वत संज्ञान
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया था और इसे बेहद संवैधानिक अधिकारों का घोर उल्लंघन बताया था। शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई 28 जुलाई को तय करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से स्पष्टीकरण मांगा था और यह सुनिश्चित करने को कहा था कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। वहीं, मणिपुर में जातीय हिंसा से संबंधित कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 28 जुलाई को सुनवाई होनी थी। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के खराब स्वास्थ्य के कारण सुनवाई टाल दी गई थी। इस पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। ये एक नई याचिका पर भी सुनवाई करेगी जो सीधे तौर पर मणिपुर की 4 मई की घटना से जुड़ी है।
हालांकि, इस मामले में याचिकाकर्ताओं की पहचान छिपाई गई है (उन्हें x और y के रूप में उल्लेखित किया गया है)। एक रिकॉर्ड से पता चलता है कि याचिका प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) संख्या (110)(6)(2023) के संबंध में है। इस घटना को लेकर जीरो एफआईआर कांगपोकपी जिले की सैकुल पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। बाद में इसे थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन को स्थानान्तरित कर दिया गया। इस एफआईआर में जहां घटना हुई है, उस गांव के ग्राम प्रधान ने हमलावरों की पहचान मैतेई समूहों के लोगों के रूप में हुई है। इसमें कहा गया था कि तीन कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र किया गया, नग्न घुमाया गया, उन पर हमला किया गया, उनमें से एक के साथ गैंगरेप किया गया, और उसके पिता और भाई की परिवार के साथ मारपीट के बाद भीड़ ने हत्या कर दी। वहीं आरोपियों को पुलिस टीम की हिरासत से छुड़ा लिया गया है।
मणिपुर में चार मई को क्या हुआ था?
बता दें कि, यह घटना राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले के गांव बी. फीनोम में हुई। ग्राम प्रधान द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक, चार मई को शाम लगभग तीन बजे 900-1000 की संख्या में कई संगठनों से जुड़े लोग बी. फीनोम गांव में जबरदस्ती घुस आए। इनके पास एके राइफल्स, एसएल.आर इंसास और 303 राइफल्स जैसे अत्याधुनिक हथियार थे। हिंसक भीड़ ने सभी घरों में तोड़फोड़ की और फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान, बर्तन, कपड़े, अनाज सहित नकदी को लूटने के बाद सभी चल संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया।
इसके अलावा पांच ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए जंगल की ओर भाग गए। बाद में उन्हें नॉनपाक सेकमाई पुलिस टीम द्वारा बचाया गया और वे नोंगनोक सेकमाई थाने के रास्ते में थे। इस बीच उन्हें रास्ते में एक भीड़ ने रोक दिया और नोंगपोक सेकमाई थाने से लगभग दो किलोमीटर दूर और 33 एआर सोमरेई चौकी से लगभग तीन किलोमीटर दूर भीड़ ने उन्हें पुलिस टीम की सुरक्षा से छीन लिया। इसके अलावा एक 56 साल के व्यक्ति की घटनास्थल पर ही हत्या कर दी गई।
प्रधान ने बताया कि इसी दौरान भीड़ द्वारा तीन महिलाओं को उनके कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया और भीड़ के सामने निर्वस्त्र कर दिया गया। घटना से जुड़े वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं, जो रो रही हैं और उनसे छोड़ने की गुहार लगा रही हैं। हैवानियत यहीं सीमित नहीं रही, एक 21 साल की लड़की का दिन दहाड़े बेरहमी से सामूहिक दुष्कर्म किया गया। जब 19 वर्षीय छोटे भाई ने अपनी बहन की अस्मिता और जान बचाने की कोशिश की, तो भीड़ में शामिल लोगों ने उसकी मौके पर ही हत्या कर दी। हालांकि, पीड़िता कुछ लोगों की मदद से मौके से भागने में सफल रहीं।
Bureau Report
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