Shani Shingnapur: क्या है शनि शिंगणापुर मंदिर का इतिहास, किस मसले पर मचा है बवाल?

Shani Shingnapur: क्या है शनि शिंगणापुर मंदिर का इतिहास, किस मसले पर मचा है बवाल?

महाराष्‍ट्र के शनि शिंगणापुर में स्थित शनि देव का प्रसिद्ध मंदिर इस समय चर्चा में बना हुआ है. मंदिर के ट्रस्‍ट पर आम जनता और भक्‍तों के साथ ठगी करने के आरोप लगे हैं. इस मसले को लेकर बीजेपी नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने कई आरोप लगाए हैं. वहीं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने इस मामले पर जांच के आदेश दिए हैं. बता दें कि शनि शिंगणापुर ट्रस्‍ट द्वारा की गई धांधली के विरोध में आसपास के गांवों में लोग अनशन पर बैठे हैं. 

ट्रस्‍ट पर लगे हैं ये आरोप 

भारतीय जनता पार्टी के नेता और प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने नागपुर अधिवेशन के दौरान इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने विधान भवन में बताया कि कई लोग आसपास के गांव में ट्रस्ट में हो रही धांधली को लेकर अनशन पर बैठे हैं और वे उनसे मिलने भी गए. बावनकुले के अनुसार 4 तरीकों से यहां आम जनता को ठगने का काम चल रहा है. मंदिर में 62 कर्मचारियों की जरूरत है लेकिन यहां 1800 कर्मचारियों को नियुक्‍त किया गया है, जिसमें से बमुश्किल दर्जन भर कर्मचारी ही काम पर आते हैं. 

इसके अलावा शनि शिंगणापुर मंदिर के चबूतरे पर जाने के लिए भक्‍तों द्वारा कटवाई जाने वाली 500 रुपए की रसीद ट्रस्‍ट की बजाय एक निजी ट्रस्ट घनेश्वर नाम की संस्था के नाम से काटी जा रही है. इससे अब तक करीब 2 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ. वहीं शनि शिंगणापुर मंदिर में लगभग 24 घंटे बिजली रहती है, फिर भी जनरेटर के लिए डीजल खर्च के नाम पर हर साल 40 लाख रुपये का खर्च दिखाया जा रहा है. मंदिर के सौंदरीकरण और अन्य कामों के लिए 20 करोड रुपए का फंड आवंटित किया गया, लेकिन भाजपा नेता के आरोप के मुताबिक 50 करोड़ से भी ज्यादा की रकम खर्च करने के बाद भी 50 फीसदी काम अभी भी अधूरा है.

ट्रस्‍ट कानून हो लागू 

बीजेपी नेता ने सदन में मांग रखी है कि साल 2018 में मंदिर ट्रस्ट के लिए बने कानून को अमल में लाया जाए. साथ ही मंदिर के रिकॉर्ड बुक्स और उसके ऑडिट की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो या किसी विशेष अधिकारी द्वारा कराई जाए. मंदिर के ट्रस्ट को पिछले 10 सालों में कितनी आय हुई और उसका कहां-कितना खर्च किया गया, उसका हिसाब दिया जाए. 

शनि शिंगणापुर का इतिहास 

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर बेहद प्राचीन है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में बहुत अधिक बारिश की वजह से एक बार वहां का जलस्तर काफी बढ़ गया था. तभी बारिश में बहते हुए एक काले रंग की विशाल शिला शिंगणापुर के तट पर पहुंची. उसी रात शनिदेव उस गांव के मुखिया के सपने में आए और बताया कि शिला के रूप में वे स्वयं उस गांव में आए हैं. मुखिया ने ये बात सभी गांव वालों को बताई और उन सभी ने मिलकर शनिदेव की प्रतिमा गांव के बीचों-बीच स्‍थापित की. 

घरों में नहीं डाले जाते ताले 

मान्यताओं के अनुसार जब से शिंगणापुर में शनि देव विराजमान हुए हैं, उसी दिन से वहां चोरी-डकैती जैसे कोई घटना नहीं हुई. ये पूरे विश्व में एकलौता ऐसा गांव है, जहां घरों में आज भी दरवाजे नहीं हैं. ना ही यहां ताले डाले जाते हैं. कहानियों के अनुसार कई बार लोगों ने वहां चोरी करने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम हुए हैं और उन्हें उसका परिणाम भी भुगतना पड़ा. हैरत की बात है कि जो शनि देव पूरे गांव की रक्षा करते हैं, उसी मंदिर के ट्रस्‍ट पर भक्‍तों के साथ ठगी करने करने के आरोप लगे हैं. ये अनियमितताएं पिछले कुछ सालों से चल रही हैं. 

Bureau Report

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