कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र में भगवान राम के नाम पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। शरद पवार वाली एनसीपी के नेता डॉ. जितेंद्र आव्हाड द्वारा भगवान राम को मांसाहारी बताए जाने पर गुस्सा भड़क गया है। भाजपा नेता राम कदम ने पुलिस में शिकायत दी है। वहीं, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भी बयान की निंदा की है।
घमंडी गठबंधन की मानसिकता साफ
कदम ने कहा, ‘घमंडी गठबंधन की मानसिकता साफ है कि राम भक्तों की भावनाओं को आहत पहुंचाई जाए। वे वोट जुटाने के लिए हिंदू धर्म का मजाक नहीं उड़ा सकते। राम मंदिर का निर्माण घमंडी गठबंधन को रास नहीं आ रहा है। बार-बार हिंदू समाज का मजाक बनाओ और एक सांप्रदाय को खुश करो, यही उनकी ओछी राजनीति है।’
क्या जानते हैं आव्हाड?
आहाव्ड के संघ पर दिए गए बयान पर भाजपा नेता ने कहा कि वे जानते क्या हैं आरएसएस के बारे? उन्होंने आगे पूछा कि क्या वे कभी संघ की किसी शाखा में गए हैं? संघ की परिभाषा जानते हैं? संघ के जो स्वयंसेवक हैं, वो मां भारती के लिए जीते हैं। उन्हें क्या पता हैं संघ के बारे में?
कदम ने कहा कि क्या वे केवल अपनी राजनीतिक दुकान चलाने के लिए कुछ भी बोल देंगे। संघ को समझने के लिए आव्हाड को 100 जन्म लेने होंगे। इसके बाद संघ क्या होता है तब उन्हें समझ आ जाएगा।
ऐसे झूठे को हमारे भगवान राम…
आव्हाड के बयान पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है, ‘एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड जो बोल रहे हैं वह पूरी तरह से गलत है। हमारे शास्त्रों में कहीं नहीं लिखा है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान मांसाहारी भोजन किया था। इसमें लिखा है कि वह फल खाते थे। ऐसे झूठे को हमारे भगवान राम का अपमान करने का कोई अधिकार नहीं है। हमारे भगवान हमेशा शाकाहारी थे। वह हमारे भगवान राम का अपमान करने के लिए अपमानजनक शब्द बोल रहे हैं।’
यह है मामला
महाराष्ट्र के शिरडी में बुधवार को एक कार्यक्रम में आव्हाड ने कहा था कि भगवान राम शाकाहारी नहीं थे, वह मांसाहारी थे। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति 14 साल तक जंगल में रहेगा वो शाकाहारी भोजन खोजने कहां जाएगा? उन्होंने जनता से सवाल करते हुए कहा कि क्या यह सही बात है या नहीं? उन्होंने आगे कहा था, ‘कोई कुछ भी कहे, सच्चाई यह है कि हमें आजादी गांधी और नेहरू की वजह से ही मिली। यह तथ्य कि इतने बड़े स्वतंत्रता आंदोलन के नेता गांधी जी ओबीसी थे, उन्हें (आरएसएस को) स्वीकार्य नहीं है। गांधीजी की हत्या के पीछे का असली कारण जातिवाद था।
Bureau Report
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