केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर से ‘आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट’ हटाने की योजना बना रही है। सेना को वापस बुला कर वहां के लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति, जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले कर दी जाएगी…
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर में इस साल सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव हो जाएंगे। साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) को हटाने की तैयारी कर रही है। यानी बहुत से इलाकों से सेना को हटाया जा सकता है। केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि पिछले 1800 दिनों में जम्मू-कश्मीर काफी बदल चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री शाह के कठोर फैसलों के बाद ही जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव का माहौल तैयार हो सका है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी केंद्र सरकार को यह निर्देश दिया गया है कि सितंबर से पहले राज्य में विधानसभा चुनाव कराए जाएं।
किसने कही, खराब परिणाम मिलने की बात
जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक एवं रक्षा विशेषज्ञ कैप्टन अनिल गौर (रिटायर्ड) का कहना है, पिछले पांच साल के दौरान राज्य में कई बदलाव आए हैं। जब 2019 में यहां से अनुच्छेद 370 को हटाया गया तो कई राजनीतिक दलों ने खूब हल्ला मचाया था। इसके खराब परिणाम मिलने की बात कही थी। अगर केंद्रीय गृह मंत्री अब यह बात कह रहे हैं कि जेएंडके से ‘आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट’ हटाने की तैयारी है, तो उसके पीछे कई वजह हैं। राज्य में चुनाव का माहौल तैयार करने और स्पेशल पावर एक्ट हटाने की बात, इसके लिए मोदी-शाह के कठोर फैसलों को देखा जाना चाहिए। शाह ने कहा है कि विधानसभा चुनाव, सितंबर से पहले होंगे। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दल, जिनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी प्रमुख हैं, ये केंद्र सरकार पर हमलावर रहे थे। इन दलों ने अनुच्छेद 370 हटाने का पुरजोर विरोध किया था। लंबे समय तक इन दलों का दुष्प्रचार चलता रहा। अब गृह मंत्री के बयान के बाद ऐसे कई दलों के प्रोपेगेंडा की हवा निकल गई है। चुनाव कराने और स्पेशल पावर एक्ट हटाने की बात से लोगों में विश्वास पनपा है।
150 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर के एक मीडिया समूह को दिए अपने साक्षात्कार में कहा है कि केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर से ‘आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट’ हटाने की योजना बना रही है। सेना को वापस बुला कर वहां के लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति, जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले कर दी जाएगी। पहले, जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, मगर आज वही पुलिस, केंद्रीय बलों के साथ मिलकर बेहतरीन काम कर रही है। आतंकवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय तौर से भाग ले रही है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, केंद्र सरकार ने आतंकी गतिविधियों में शामिल एक दर्जन संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। 36 व्यक्तियों को आतंकी के रूप में नामित किया गया है। आतंकवाद को मिलने वाली वित्तीय सहायता पर अंकुश लगाया गया है। इस बाबत 22 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं। ऐसे लोगों या समूहों की 150 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है। 90 संपत्तियां कुर्क तो वहीं 134 बैंक खाते फ्रीज किए गए हैं।
इस तरह बदलता रहा ‘जम्मू-कश्मीर’
केंद्रीय गृह मंत्री शाह के अनुसार, घाटी में 30 वर्ष बाद 2021 में पहली बार सिनेमा हॉल खुला था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मुताबिक, श्रीनगर में एक मल्टीप्लेक्स बना। पुलवामा, शोपियां, बारामूला और हंदवाड़ा में चार नए थियेटर खुले हैं। 100 से अधिक फिल्मों की शूटिंग शुरू हो गई है। लगभग 100 सिनेमा हॉल्स के लिए बैंक लोन के प्रस्ताव बैंकों में विचाराधीन हैं।
अनुच्छेद 370 खत्म होने से पहले जीएसडीपी एक लाख करोड़ रुपये था, जो सिर्फ पांच साल में डबल होकर अब 2,27,927 करोड़ रुपये हो गया है। पहले 94 डिग्री कॉलेज थे, वर्तमान में 147 हैं। गृह मंत्री के अनुसार, आईआईटी, आईआईएम और दो एम्स, इस तरह की सुविधाओं वाला जम्मू कश्मीर पहला राज्य बन गया है। सात दशकों में यहां सिर्फ 4 मेडिकल कॉलेज थे, अब सात नए मेडिकल कॉलेज बनाए गए हैं। 15 नए नर्सिंग कॉलेज बनाए गए हैं, पहले मेडिकल सीटें 500 थीं। अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद 800 और सीटें जोड़ी गई हैं। पीजी सीटें 367 थीं, अब 397 नई सीटें जोड़ने का काम किया गया है।
2010 में सीजफायर उल्लंघन की 70 घटनाएं, अब केवल दो
गृह मंत्री के मुताबिक, 2010 में सीजफायर उल्लंघन की 70 घटनाएं हुईं थीं। 2019 में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद 2023 में सिर्फ दो घटनाएं हुईं। इसी तरह से जम्मू-कश्मीर में 2010 के दौरान घुसपैठ की 489 घटनाएं हुईं थीं, जबकि 2023 में सिर्फ 48 घटनाएं हुई हैं। आतंकवाद के मूल में अनुच्छेद 370 के कारण खड़ी हुई अलगाववाद की भावना थी। अनुच्छेद 370 खत्म होने से अलगाववाद में भारी कमी आ रही है। अब आतंकी घटनाओं में भी कमी आ रही है। जम्मू कश्मीर में 1994 से 2004 के बीच कुल 40,164 आतंकवाद की घटनाएं हुईं थीं। 2004 से 2014 के बीच ये घटनाएं 7,217 हुईं, जबकि मोदी सरकार के 9 वर्षों में 70 फीसदी की कमी के साथ ये घटनाएं सिर्फ 2,197 रह गईं। इनमें 65 फीसदी पुलिस कार्यवाही के कारण घटित हुईं। मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल में नागरिकों की मृत्यु की संख्या में 72 फीसदी और सुरक्षाबलों की मृत्यु की संख्या में 59 फीसदी की कमी आई है। साल 2010 में जम्मू और कश्मीर में 2,654 पथराव की घटनाएं हुई थीं, जबकि 2023 में एक भी पथराव की घटना नहीं हुई है। 2010 में 132 ऑर्गेनाइज्ड हड़तालें हुई थीं, जबकि 2023 में एक भी नहीं हुई। 2010 में पथराव में 112 नागरिकों की मत्यु हुई थी, जबकि 2023 में एक भी नहीं हुई। 2010 में पथराव में 6,235 सुरक्षाबलकर्मी घायल हुए थे, 2023 में एक भी नहीं हुआ।
1,57,967 लोग अपने ही देश में विस्थापित
जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 के पारित होने के बाद शाह ने कहा था, यह एक और मोती जोड़ने का काम करेगा। 70 वर्षों से जिन लोगों के साथ अन्याय हुआ है, जो अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी हुई, ये विधेयक उन्हें अधिकार और न्याय दिलाने वाले हैं। विस्थापितों को अपने ही देश के अन्य हिस्सों में शरणार्थी बनकर रहना पड़ा। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार, लगभग 46,631 परिवारों के 1,57,967 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए। उक्त विधेयक के पारित होने से उन्हें अधिकार व प्रतिनिधित्व मिलेगा। 1947 में 31,779 परिवार पाक-अधिकृत कश्मीर से जम्मू और कश्मीर में विस्थापित हुए थे। इनमें से 26,319 परिवार जम्मू और कश्मीर में और 5,460 परिवार देशभर के अन्य हिस्सों में रहने लगे। 1965 और 1971 में हुए युद्धों के बाद 10,065 परिवार विस्थापित हुए थे। कुल मिलाकर 41,844 परिवार विस्थापित हुए। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद, इन विस्थापितों की दशकों से न सुनाई देने वाली आवाज सुनी गई। इन्हें अधिकार दिए गए।
पाक-अधिकृत कश्मीर की 24 सीटें रिजर्व
डिलिमिटेशन कमीशन ने अब प्रावधान किया है कि दो सीटें कश्मीरी विस्थापितों और एक सीट पाक-अधिकृत कश्मीर से विस्थापित लोगों के लिए नामांकित की जाए। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जम्मू और कश्मीर के इतिहास में पहली बार नौ सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं। अनुसूचित जाति के लिए भी सीटों का आरक्षण किया गया है। पहले जम्मू में 37 सीटें थीं, जो अब 43 हो गई हैं। कश्मीर में पहले 46 सीटें थीं वो अब 47 हो गई हैं। पाक-अधिकृत कश्मीर की 24 सीटें रिजर्व रखी गई हैं। पहले जम्मू और कश्मीर विधानसभा में 107 सीटें थीं, अब 114 सीटें हो गई हैं, पहले विधानसभा में दो नामित सदस्य होते थे, अब पांच होंगे। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद लगभग 1.6 लाख लोगों को अधिवास प्रमाण-पत्र देने का काम किया गया है। पाक अधिकृत कश्मीर से आए लोगों को एकमुश्त साढ़े पांच लाख रुपये देने का काम हुआ है। कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा नियमित रूप से की जा रही है। जीरो टेरर प्लान, 2026 तक पूरी तरह से लागू हो जाएगा। कंप्लीट एरिया डॉमिनेशन प्लान, दो साल में खत्म होगा। पहले आतंकवादी ही टारगेट पर रहते थे, अब उनके पूरे इकोसिस्टम को ही खत्म किया जा रहा है। टेरर फाइनेंस के तहत एनआईए ने 32 मामले दर्ज किए हैं। ये मामले इसलिए दर्ज हुए, क्योंकि पाकिस्तान से पैसा आ रहा था। टेरर फंडिंग के 51 मामले दर्ज किए गए हैं। लगभग 229 लोग अरेस्ट हुए हैं।
58 हजार 477 करोड़ रुपये की 32 परियोजनाएं
गृह मंत्रालय के मुताबिक, जम्मू कश्मीर के लिए स्वीकृत 58 हजार 477 करोड़ रुपये की 32 परियोजनाएं लगभग पूरी हो गई हैं। 58 हजार करोड़ रुपये में से 45 हजार 800 करोड़ रुपये का व्यय समाप्त हो गया है। 5000 मेगावाट के लक्ष्य रखकर चार हजार 987 करोड़ की 642 मेगावाट की किरू हाइड्रो परियोजना, 5000 करोड़ रुपये की लागत वाली 540 मेगावाट की क्वार हाइड्रो परियोजना, 5200 करोड़ रुपये की लागत वाली 850 मेगावाट की रतले हाईवे परियोजना, 8112 करोड़ रुपये की लागत वाली 1000 मेगावाट की सोपाक दल हाइड्रो परियोजना, 2300 करोड़ रुपये की लागत वाली 1856 मेगावाट की सावलकोट हाइड्रो परियोजना और 2793 करोड़ रुपये की लागत वाली शाहपुर खंडी बांध सिंचाई और बिजली परियोजना जैसी जल विद्युत परियोजनाओं में बीते 10 साल के अंदर निवेश हुआ है। पहली बार 1600 मेगावाट सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए वहां पर प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, 38 ग्रुप स्टेशनों का निर्माण हुआ, 467 किलोमीटर नई ट्रांसमिशन लाइनें बिछाई गईं, 266 अप स्टेशन बनाए गए हैं। 11000 सर्किट किलोमीटर की एसटी और आईटी लाइनों को बचाने का काम मौजूदा सरकार ने किया है।
दो करोड़ से ज्यादा पर्यटकों के पहुंचने का रिकॉर्ड टूटा
जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगने के 59 दिन बाद ही सिंचाई के लिए गाद निकालने का काम पूरा किया गया। रेल नेटवर्क का विस्तार हुआ है। 3127 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 8.45 करोड़ की लंबी काजीकुंड बनिहाल सुरंग का निर्माण हो गया है। लगभग 8000 किलोमीटर नई सड़कें ग्रामीण क्षेत्रों में बनाई गई हैं। जम्मू कश्मीर के 10 शिल्प को जीआई टैग मिला, डोडा के गुच्छी मशरूम को जीआई टैग मिला, आरएस पुरा के बासमती चावल को जैविक प्रमाण पत्र जारी किया गया है। समग्र कृषि विकास के लिए 5013 करोड़ रुपये की योजना पूरी की गई है। जम्मू कश्मीर में सभी व्यक्तियों का पांच लाख का तक के इलाज का पूरा खर्च अब सरकार उठा रही है। मौजूदा सरकार के कार्यकाल के पहले पर्यटकों का अंतिम उपलब्ध आंकड़ा करीब 14 लाख था, जबकि वर्ष 2022-23 में दो करोड़ पर्यटक जम्मू कश्मीर पहुंचे हैं। दो करोड़ से ज्यादा पर्यटकों के पहुंचने का रिकॉर्ड टूटा है। राज्य में होम स्टे नीति की बनी है, फिल्म की नीति बनी है, हाउस बोट के लिए भी एक पॉलिसी बनाने का काम किया गया है। जम्मू रोपवे परियोजना 75 करोड़ रुपये खर्च कर पूरा कर ली गई है। इंडस्ट्रियल पॉलिसी भी पूरी कर ली गई है।
Bureau Report
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