चुनाव आयोग आज जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है। 5 अगस्त 2019 को केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से जम्मू कश्मीर उपराज्यपाल के प्रशासन के आधीन है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर यह पहला मौका होगा जब घटाी में विधानसभा चुनाव होंगे। चुनाव आयोग ने इसके लिए सभी तैयारियां कर ली हैं। नई परिस्थितियों के बाद केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर में कई बड़े बदलाव हो चुके हैं। निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन बदलना, इसमें सबसे अहम बदलाव है।
पहले जानते हैं जम्मू-कश्मीर में पिछली बार कब चुनाव हुए थे?
2014 में जम्मू-कश्मीर राज्य में चुनाव हुए थे। तब 87 सीटों वाली विधानसभा के लिए 25 नवंबर से 20 दिसंबर 2014 तक पांच चरणों में मतदान हुआ था। परिणाम 23 दिसंबर, 2014 को घोषित किये गये थे। 87 सदस्यीय विधानसभा में महबूबा मुफ्ती की जम्मू-कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को सबसे ज्यादा 28 सीटें मिलीं थीं। वहीं, दूसरे स्थान पर भाजपा थी जो 25 सीटों पर जीतने में सफल रही थी। फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 जबकि कांग्रेस को 12 सीटों पर जीत मिली थी। तीन सीटों पर निर्दलीय तो चार सीटों पर अन्य छोटे दलों को जीत मिली थी। नतीजों से साफ है कि कोई भी दल बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच सका था।
भाजपा-पीडीपी ने सरकार बनाई, अगस्त 2019 में धारा 370 हटी
नतीजों के करीब ढाई महीने बाद पीडीपी के मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। पीडीपी को 25 सदस्यों वाली भाजपा का समर्थन था। इस तरह इस गठबंधन ने बहुमत के आंकड़े को जुटा लिया। 7 जनवरी 2016 को सईद के निधन के बाद राज्य में एक बार फिर राजनीतिक अनिश्चित्ता का दौर आया। राज्य में राज्यपाल का शासन लगाना पड़ा। करीब तीन महीने की अनिश्चितता के बाद भाजपा और पीडीपी में फिर से समझौता हुआ और महबूबा मुफ्ती ने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। 4 अप्रैल 2016 को महबूबा राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी। पीडीपी-भाजपा की यह गठबंधन सरकार दो साल से ज्यादा वक्त तक चली। जून 2018 में भाजपा ने महबूबा सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके साथ ही महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई। 5 अगस्त, 2019 को राज्य का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। धारा 370 हटने के बाद अब पहली बार राज्य में विधानसभा चुनाव होंगे।
नए परिसीमन में बढ़ीं सीटें, इसी के तहत होगा चुनाव
केंद्र शासित राज्य बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में नए सिरे से हुए परिसीमन हुआ। इस बार इसी के तहत चुनाव होंगे। पिछली बार की तुलना में जम्मू में छह और कश्मीर में एक विधानसभा सीट समेत कुल सात विधानसभा सीटें बढ़ गई हैं। जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के चलते विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है। वहीं, राज्य की चार विधानसभा सीटें लेह और करगिल जिले में आती थीं। इस इलाके को अब बिना चुनाव वाला केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। नए परिसीमन में जम्मू की विधानसभा सीटें 37 से बढ़कर 43 और कश्मीर की 46 से 47 हो गई हैं।
2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया था। तब जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 87 विधानसभा सीटें थीं, लेकिन अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग केंद्र शासित राज्य बना दिया गया। इस बदलाव से जम्मू-कश्मीर की चार सीटें लद्दाख में चली गईं। यानी जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 83 सीटें हो गईं जिसे बढ़ाकर 90 किया गया है।
पीओके को भी शामिल किया गया
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुसार जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों की कुल संख्या 107 से बढ़ाकर 114 कर दी गई हैं जिनमें 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके के लिए आरक्षित हैं। पीओके के लिए आरक्षित ये 24 सीटें खाली रहेंगी। पहली बार अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए नौ सीटें आरक्षित की गई हैं, इनमें से छह सीटें जम्मू और तीन सीटें कश्मीर क्षेत्र के लिए निर्धारित हैं।
राज्य में कितने मतदाता हैं?
लोकसभा चुनाव से पहले जनवरी 2024 में चुनाव आयोग ने राज्य की अंतिम मतदाता सूची जारी की थी। विधानसभा चुनाव के लिए नई सूची 20 अगस्त, 2024 को जारी की जाएगी। जनवरी में जारी मतदाता सूची के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में कुल 86.93 लाख मतदाता हैं। इसमें 44.35 लाख पुरुष मतदाता और 42.58 लाख महिला मतदाता हैं। जम्मू-कश्मीर के 90 विधानसभा क्षेत्रों में 2.31 लाख नए मतदाताओं को शामिल किया गया था। प्रदेश में स्थानांतरण, निधन, आदि मामलों में 86,000 मतदाताओं के नाम काटे गए थे, जबकि 1.45 लाख मतदाताओं ने नाम आदि में संशोधन करवाया था। मतदाता जनसंख्या अनुपात 954 है।
Bureau Report
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