हाल ही में जारी की गई हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर भाजपा ने सवाल उठाए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सीआर केसवन ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट बिना किसी विश्वसनीयता के जारी की गई है। यह सामान्य शूट एंड स्टूल किट जैसी है। कारण बताओ नोटिस का बदला लेने के लिए हिंडनबर्ग ने सेबी को निशाना बनाया है। साथ ही नोटिस से ध्यान भटकाने और झूठी कहानी गढ़ने का प्रयास किया है।
केसवन ने कहा कि- जुलाई में सेबी प्रमुख ने हिंडनबर्ग को नोटिस जारी किया था। इसमें उनसे शेयर बाजार के नियमों का उल्लंघन करने को लेकर जवाब मांगा गया था। इसके एक महीने बाद हिंडनबर्ग ने कारण बताओ नोटिस के जवाब में एक निराधार रिपोर्ट जारी की।
उन्होंने राहुल गांधी की तुलना ग्रेग चैपल से करते हुए कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट का सहारा लेकर कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन इंडिया हिट एंड रन की तरह काम कर रहा है। वह हमारे शेयर बाजार और नियामकों को बदनाम करने और वित्तीय प्रणाली को अस्थिर करने के लिए यह सब कर रहा है। उन्होंने अदाणी समूह की जांच को लेकर 2023 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सेबी को दिए गए आदेश का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी समूह के मामले में एसआईटी जांच से इन्कार कर दिया था और सेबी की जांच को व्यापक बताते हुए भरोसा जताया था। सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग की गतिविधियों और आचरण की जांच करने के लिए भी सेबी को कहा था। इसके बाद सेबी ने कारण बताओ नोटिस दिया। इससे साफ है कि यह रिपोर्ट बदले की भावना से जारी कीइ गई है।
कांग्रेस को लेकर सीआर केसवन ने कहा कि 2014 में हमारी अर्थव्यवस्था नाजुक थी। यूपीए सरकार ने एनपीए और क्रोनी कैपिटलिज्म को बढ़ावा दिया। इससे शेयर बाजार अस्थिर हुआ। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था सुधरी है। हम जल्द ही तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। केसवन ने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार जनता की ओर खारिज की गई कांग्रेस डर और दहशत पैदा करने की कोशिश कर रही है। लेकिन वह सफल नहीं होंगे।
रिपोर्ट के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चलाने को लेकर उन्होंने कांग्रेस पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जब भी कोई रिपोर्ट आती है तो कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन उसके कंधे पर गोली क्यों चलाती है?इसका क्या मकसद है? जिसकी कोई विश्वसनीयता नहीं है।
क्या है मामला?
गौरतलब है, अमेरिका की कंपनी हिंडनबर्ग ने 10 अगस्त को एक रिपोर्ट जारी कर दावा किया था कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति ने मॉरीशस की उसी ऑफशोर कंपनी में निवेश किया है, जिसके माध्यम से भारत में अदाणी ग्रुप की कंपनियों में निवेश करवाकर अदाणी ने लाभ उठाया था। उसने कहा कि इसे व्यापार का गलत तरीका माना जाता है। वहीं भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), उसकी प्रमुख बुच तथा उनके पति ने अदाणी की कंपनियों के प्रति नरमी बरतने के आरोपों को सिरे से नकार दिया है। बुच ने दावों को निराधार बताया और कहा कि इसमें कुछ भी सच्चाई नहीं है। वहीं, बाजार नियामक ने कहा है कि चेयरपर्सन माधवी बुच ने समय-समय पर प्रासंगिक खुलासे किए हैं। चेयरपर्सन ने संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग कर लिया था। उसने अदाणी समूह के खिलाफ लगे सभी आरोपों की जांच की है। सेबी ने बताया कि जिन मामलों में जांच पूरी हुई, उनमें कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।
Bureau Report
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