Supreme Court: मुआवजे में देरी के लिए महाराष्ट्र सरकार को ‘सुप्रीम’ फटकार, अधिकारी को भेजा गया कारण बताओ नोटिस

Supreme Court: मुआवजे में देरी के लिए महाराष्ट्र सरकार को 'सुप्रीम' फटकार, अधिकारी को भेजा गया कारण बताओ नोटिस

जस्टिस बीआर गवई, प्रशांत मिश्रा और केवी विश्वनाथन की पीठ ने महाराष्ट्र के वन और राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनसे पूछा कि विभाग की तरफ से दायर हलफनामे में की गई अवमाननापूर्ण टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए।

इस मामले में पीठ ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजेश कुमार को 9 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है।

‘राज्य टालमटोल की रणनीति अपना रहा है’
वहीं पीठ ने कहा, जब राज्य ने मुआवजे की पुनर्गणना के विशेष उद्देश्य के लिए समय मांगा है, तो ऐसा किया जाना चाहिए था। ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य टालमटोल की रणनीति अपना रहा है। पीठ ने कहा कि हलफनामे से ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार मुआवजा देने के प्रति गंभीर नहीं है।

नया हलफनामा दाखिल करने की मांग पर फटकार
पीठ ने राज्य सरकार के वकील निशांत आर कटनेश्वरकर को इस तरह का हलफनामा दाखिल करने और अधिकारी को दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए फटकार लगाई। पीठ ने कटनेश्वरकर से कहा, आप हलफनामे में कुछ भी लिखते हैं, अधिकारी हलफनामे पर हस्ताक्षर करते हैं और आप हमसे कुछ नहीं करने की उम्मीद करते हैं। पीठ ने यह बात वकील की तरफ से हलफनामा वापस लेने और नया हलफनामा दाखिल करने की मांग करने पर कही गई।

कोर्ट ने राज्य सरकार को दी कड़ी चेतावनी
पीठ ने चेतावनी दी कि यदि महाराष्ट्र सरकार आवेदक को देय मुआवजे की पुनर्गणना नहीं करती है तो वह राज्य में हाल ही में शुरू की गई लाडली बहन योजना को रोक देगी। पीठ ने कहा, कानून का पालन करना और मुआवजे के भुगतान के उचित निष्कर्ष पर पहुंचना राज्य सरकार का परम कर्तव्य है। इसके साथ ही पीठ ने कहा कि अधिकारी मनमौजी विचार का पालन नहीं कर सकते और कानून का पालन नहीं कर सकते।


लगभग 48.65 करोड़ रुपये है देय मुआवजा
पीठ ने राज्य सरकार की तरफ से दायर नए हलफनामे का हवाला दिया और कहा कि इस मामले पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक में फिर से उच्चतम स्तर पर चर्चा की गई और इसमें पुणे जिले के कलेक्टर, वन विभाग के अधिकारी और अन्य लोग शामिल हुए और नई गणना के अनुसार, देय मुआवजा लगभग 48.65 करोड़ रुपये है। न्यायालय ने कहा, आवेदक और साथ ही यह अदालत कलेक्टर, पुणे की तरफ से की गई नई गणना को मंजूरी नहीं दे सकती है, लेकिन कानून के प्रावधानों का पालन करना और उचित गणना पर पहुंचना राज्य का कर्तव्य है।

Bureau Report

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