दर्दनाक: मेरठ में दस नहीं 11 की हुई मौत… फरहाना के साथ दफन हुई गर्भ में पल रही 11वीं जिंदगी; तस्वीरें

दर्दनाक: मेरठ में दस नहीं 11 की हुई मौत... फरहाना के साथ दफन हुई गर्भ में पल रही 11वीं जिंदगी; तस्वीरें

मेरठ की जाकिर कॉलोनी में हुए हादसे में प्रशासन के मुताबिक 10 लोगों की मौत हुई। नफ्फो के पुत्र नदीम की पत्नी फरहाना सात माह की गर्भवती थी। फरहाना के साथ दुनिया में आने से पहले ही गर्भ में पल रहे बच्चे की भी हादसे में 11 वीं मौत हुई। फरहाना करीब दो माह बाद मां बनने वाली थी। इसे लेकर परिवार के सभी सदस्य काफी खुश थे। नदीम और फरहाना ने बच्चे को लेकर कई सपने संजो रखे थे। 

किसी को इस बात का अंदेशा नहीं था कि कुदरत का कहर परिवार पर इस कदर टूटेगा कि गर्भ में पल रहा यह बच्चा जन्म से पहले ही जान गंवा देगा। फरहाना को हादसे के करीब साढ़े 14 घंटे बाद रविवार सुबह चार बजे मलबे के नीचे से निकाला गया। तब तक उसकी और गर्भस्थ शिशु की मौत हो चुकी थी।

सूफियान को अस्पताल से छुट्टी, सायमा की हालत में सुधार
हादसे में घायल बालक सूफियान को रविवार को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। उसके घर पहुंचते ही परिजन उसे गले लगाकर रोने लगे। उधर, निजी अस्पताल में भर्ती सायमा की हालत में सुधार बताया जा रहा है।

परिवार के बाकी सदस्यों के सामने सिर छिपाने का ठिकाना भी नहीं बचा। पोस्टमार्टम के बाद शव भी रिश्तेदार के यहां ले जाए गए। हादसे में बचे नदीम, नईम और साकिब अपने भाई आबिद के यहां शिफ्ट हो गए। 

मासूम को आगोश में लेकर मलबे में मौत से लड़ी ममता
तीन मंजिला मकान के मलबे से जिंदगी के लिए मौत से जंग के कई निशान मिले हैं। इनमें एक दृश्य झकझोरने वाला था। रविवार सुबह बचाव दल के मलबा हटाने के दौरान नईम की पत्नी अलीशा के आगोश में उनकी छह माह की मासूम बच्ची हिमशा उर्फ रिमशा लिपटी मिली।

यह दृश्य देखकर लोग यह कहते दिखे कि अलीशा ने मलबे में भी मासूम बच्ची को बचाने के लिए जिंदगी की जंग लड़ी है। मकान गिरते समय अलीशा ने बेटी को बचाने का प्रयास किया होगा, लेकिन हादसे में मां-बेटी की जान चली गई।

मकान के द्वितीय तल पर शनिवार शाम एक कमरे में साजिद, उसकी पत्नी सायमा, बेटी सानिया और रिजा व बेटा साकिब और रिश्तेदार का बेटा सूफियान थे। दूसरे कमरे में घर की मुखिया नफ्फो थी।

प्रथम तल पर एक कमरे में अलीशा पुत्री हिमशा के साथ थी। जबकि दूसरे कमरे में नदीम की पत्नी फरहाना और उसके भाई की पुत्री आलिया थी। तभी अचानक तेज धमाके के साथ मकान गिरकर मलबे के ढेर में तब्दील हो गया। धूल का गुबार काफी ऊंचाई तक दिखाई देने लगा।

कुछ देर तक तो आसपास के लोग कुछ समझ ही नहीं पाए। धूल छंटी तो मलबे का ढेर देख शोर मच गया। लोग पुलिस को सूचना देकर मलबा हटाने में जुट गए। कुछ देर बाद पुलिस और दमकलकर्मी मौके पर पहुंच गए।

नगर निगम की टीम को भी बुलाया गया। गाजियाबाद से एनडीआरएफ और सहारनपुर व अमरोहा से एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची। आठ लोगों को मलबे के ढेर से निकाला गया।

इनमें से छह की मौत हो चुकी थी। सायमा और सूफियान घायल हुए। रविवार सुबह फरहाना, आलिया, अलीशा और हिमशा के शव निकाले गए। तब भी मासूम हिमशा अपनी मां के आगोश में लिपटी थी। बचाव कार्य में जुटी टीम भी कुछ पल के लिए इस दृश्य को देखने पर विवश हुई।

मलबे में दबने से मरने वालों की संख्या पहुंची दस
आपको बता दें कि मेरठ की जाकिर कॉलोनी में शनिवार शाम गिरे मकान में मरने वालों की संख्या रविवार सुबह दस पहुंच गई। छह शव शनिवार को निकाले गए थे, जबकि रातभर चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद चार शव रविवार सुबह निकाले गए। जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया कि प्रत्येक मृतक के परिजनों को 4-4 लाख रुपये और मकान क्षतिग्रस्त होने के कारण 1.20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है। मृत पशुओं के लिए भी शासन से मुआवजा दिलाया जाएगा।

एक ही परिवार के 10 लोगों की मौत से जाकिर कॉलोनी में कोहराम मचा रहा। शवों का पोस्टमार्टम होने के बाद दोपहर डेढ़ बजे तक सभी शव वापस जाकिर कॉलोनी लाए गए। यहां से शाम को दस शवों को दफनाने के लिए हापुड़ रोड ताला फैक्टरी हंडिया वाले कब्रिस्तान में ले जाया गया, रात 10 बजे तक दफनाने की प्रक्रिया चली। हादसे के चलते कॉलोनी की सभी दुकानें बंद रहीं।

ऐसे हुआ हादसा
लगातार हो रही बारिश के चलते शनिवार शाम करीब साढ़े चार बजे जाकिर कॉलोनी में नफ्फो उर्फ नफीसा (65) पत्नी अलाउद्दीन का तीन मंजिला मकान गिर गया था। मलबे में मकान के प्रथम और द्वितीय तल पर मौजूद नफ्फो और उसका पुत्र साजिद (36), साजिद की पुत्री सानिया (15) और पुत्री रिजा (10) व पुत्र साकिब (12) दब गए।

साजिद के भाई नईम की पत्नी अलीशा (25), अलीशा की छह माह की पुत्री रिमशा उर्फ हिमसा, दूसरे भाई नदीम की पत्नी फरहाना (27), तीसरे भाई आबिद की पुत्री आलिया (8), पड़ोसी रिश्तेदार सरफराज की पुत्री समरीन (4) समेत 15 लोग दब गए थे। 

एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ पुलिस, फायर ब्रिगेड और स्थानीय लोगों ने 16 घंटे तक रेस्क्यू कर इन्हें अस्पताल भिजवाया, जहां नफ्फो, साजिद, सानिया, रिजा, साकिब, अलीशा, रिमशा, फरहाना, समरीन और आलिया को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया, जबकि सायमा उर्फ सायना हालत गंभीर बनी हुई है। सूफियान को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है।

रविवार को अलीशा, रिमशा, आलिया और फरहाना के शव मलबे से निकाले गए। नफ्फो के तीन पुत्रों शाकिब, नदीम और नईम को शनिवार को ही सुरक्षित निकाल लिया गया था।

Bureau Report

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