Bahraich Wolf Attack: भेड़िए को मारने-पालने पर होती है सजा, तो बहराइच में शूट के आदेश किस कानून के तहत? समझें

Bahraich Wolf Attack: भेड़िए को मारने-पालने पर होती है सजा, तो बहराइच में शूट के आदेश किस कानून के तहत? समझें

उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों का आतंक अभी भी जारी है। मार्च 2024 से अब तक बहराइच में 10 लोगों की जान चली गई है। बहराइच जिले में आदमखोर भेड़ियों का पहला हमला इसी साल मार्च की शुरुआत में हुआ था। हालांकि, जुलाई के बाद हमलों की संख्या बढ़ गई है। इन्हें पकड़ने के लिए ‘ऑपरेशन भेड़िया’ चलाया जा रहा है।

उधर भेड़ियों को पकड़ने के लिए वन विभाग की कई टीमें लगी हुई हैं। वन विभाग सुरक्षा के लिए ड्रोन मैपिंग कर रहा है। साथ ही थर्मल ड्रोन से भी भेड़ियों को पकड़ने के लिए निगरानी जारी है। अब तक चार भेड़ियों को पकड़ा भी जा चुका है। इसके बावजूद भेड़ियों के हमले नहीं रुक रहे हैं। अब इन्हें देखते ही गोली मरने के आदेश दिया गया है। यह आदेश वन्यजीव से जुड़े कानून के तहत जारी किए गए हैं। 

यूपी के बहराइच में भेड़ियों के आतंक का मामला क्या है? 
बहराइच के महसी तहसील क्षेत्र में भेड़ियों ने दहशत मचा रखी है। मार्च की शुरआत से अब तक भेड़ियों के झुंड ने महिलाओं और बच्चों समेत 10 लोगों की जान ले ली है। इसके अलावा, भेड़ियों ने 35 से ज्यादा लोगों को घायल कर दिया है, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। बहराइच के करीब 50 गांवों में भेड़ियों के हमले से लोगों में डर का माहौल है। महिलाएं अपने बच्चों के साथ घर के अंदर रहती हैं, जबकि पुरुष रात में अपने इलाकों में पहरा देने को मजबूर हैं। कुछ परिवारों ने तो अपने बच्चों को दूसरे शहरों में अपने रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है। 

भेड़ियों को पकड़ने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे?
बीते डेढ़ महीने से राजस्व टीम, पुलिसकर्मी, मंडलीय समेत वन विभाग की अलग-अलग टीमें भेड़ियों को काबू करने के लिए मशक्क्त कर रही हैं। इन्हें पकड़ने के लिए ऑपरेशन भेड़िया चलाया जा रहा है जिसकी मॉनिटरिंग खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं। इस अभियान के तहत ड्रोन कैमरों, इन्फ्रारेड कैमरों और थर्मल इमेजिंग कैमरों की मदद से भेड़ियों को पकड़ने की कोशिश की जा रही है। भेड़ियों को बस्तियों में घुसने से रोकने के लिए जाल के साथ पिंजरा भी लगाया गया है। 

29 अगस्त की सुबह एक नरभक्षी भेड़िया पकड़ा गया था। वन विभाग की टीम ने पिंजरा लगाकर उसे पकड़ा। इससे पहले वन विभाग की टीम तीन भेड़ियों को पकड़ चुकी थी। हालांकि, अभी दो नरभक्षी भेड़िए मिलने बाकी हैं। हमलों की संख्या बढ़ने के कारण, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने नागरिकों के लिए खतरा बने भेड़ियों को देखते ही गोली मारने का निर्देश जारी किया है। स्थानीय अधिकारियों और वन विभाग के साथ हाल ही में हुई बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भेड़ियों को पकड़ने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जानवरों को गोली मारने पर केवल अंतिम उपाय के रूप में विचार किया जाना चाहिए। इसके बाद प्रमुख मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव संजय श्रीवास्तव ने इन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने का आदेश जारी कर दिया है। 

कैसे तय होता है कि जानवर को मारना ही अंतिम विकल्प बचा है?
उन्मूलन प्रक्रिया के तहत, जानवर के व्यवहार, उससे होने वाले जोखिम और मानव जीवन के लिए खतरे के बारे में रिपोर्ट तैयार की जाती है। एक आकलन किया जाता है, जिसमें वन अधिकारी आदमखोर जानवर के शिकार का निर्णय लेता है। इस मामले में प्रधान मुख्य वन संरक्षक रेणु सिंह, मारने का अंतिम निर्णय लेती हैं। 

आदेश के बाद शिकार कैसे किया जाता है?
उत्तर प्रदेश के मुख्य वन्यजीव संरक्षक ने बताया कि शूटर फील्ड ऑपरेशन का हिस्सा होंगे, लेकिन दूसरी पंक्ति में। हम भेड़ियों को पकड़ने के लिए जाल, पिंजरे, जाल या ट्रैंक्विलाइजिंग गन के जरिए प्रयास जारी रखेंगे और आखिरी क्षण तक कोशिश करते रहेंगे। बाघ या तेंदुए के उलट यह जानवर आकार में छोटा होता है, इसलिए इसे मारना अभी भी बेहतर विकल्प है।’

किसी भी वन्य प्राणी का अवैध शिकार करने पर क्या सजा होती है?
भेड़िया वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत एक संरक्षित प्राणी है। इसका मलतब है कि इसे मारना या कैद करना या पालना गैर कानूनी है।अधिनियम की धारा 39 के तहत किसी भी जंगली जानवर को नुकसान पहुंचाने पर रोक है। इसके तहत अपराध की सजा या दंड तीन साल की कैद या 25000 रुपये का जुर्माना या दोनों है। और दूसरी बार अपराध करने पर सात साल की कैद और 10000 रुपये का जुर्माना होगा।

1 जुलाई से लागू हुई भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में भी भारत में जानवरों की सुरक्षा के बारे में जिक्र है। बीएनएस की धारा 325 किसी भी जीव को मारने, जहर देने, अपंग करने या उसे बेकार करने जैसे अपराध करने के दोषी पाए जाने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान करती है। धारा 325 में पांच साल तक की कैद और/या जुर्माना शामिल है। इसके अलावा, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 में जानवरों को अनावश्यक पीड़ा या कष्ट पहुंचाना रोकना और पशुओं के प्रति क्रूरता को बताता है। 

Bureau Report

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