आंध्र प्रदेश का तिरुपति बालाजी मंदिर इन दिनों सुर्खियों में है। दरअसल, आंध्र प्रदेश की मौजूदा सरकार ने पिछली जगन मोहन सरकार के दौरान मंदिर के लड्डू प्रसाद में मिलावट का आरोप लगाया है। हालांकि, वाईएसआर पार्टी ने तमाम आरोपों से इनकार किया है। इसके साथ ही विपक्षी दल ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि वह बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करेगी। उधर केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है और कहा कि एफएसएसएआई लैब रिपोर्ट की जांच करेगा।
आरोप-प्रत्यारोपों के साथ आंध्र प्रदेश से लेकर पूरे देश में सियासत तेज हो गई है। कई संगठनों ने जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। आइये जानते हैं कि तिरुमला के लड्डू का क्या इतिहास है? यह कैसे बनाए जाते हैं? इसमें मिलावट की बात कब और कैसे आई? जगन सरकार पर क्या आरोप लगे? वाईएसआर पार्टी ने आरोपों पर क्या कहा है?
पहले तिरुपति मंदिर के बारे में जान लेते हैं?
आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के तिरुपति में तिरुमाला की पहाड़ियों में स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप वेंकटेश्वर को समर्पित है। इस मंदिर को तिरुमाला मंदिर, तिरुपति मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर जैसे अन्य चर्चित नामों से भी जाना जाता है। तिरुपति मंदिर का प्रबंधन आंध्र प्रदेश सरकार के अधीन तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) नामक ट्रस्ट करता है।
अब जानते हैं कि तिरुपति के लड्डू का क्या इतिहास है?
तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर न केवल अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए बल्कि अपने प्रतिष्ठित प्रसाद, तिरुपति लड्डू के लिए भी जाना जाता है। यह स्वादिष्ट लड़्डू मंदिर का प्रतीक बन गया है, जो अपने पीछे 300 से अधिक वर्षों का इतिहास भी संजोए हुए है। तिरुपति लड्डू का ऐतिहासिक महत्व भी है। लड्डू चढ़ाने की परंपरा पल्लवों के समय से चली आ रही है और बाद में विजयनगर साम्राज्य के तहत इसे औपचारिक रूप दिया गया। इतने लंबे समय में लड्डू के स्वरूप में कई बदलाव भी आए। जो लड्डू का वर्तमान स्वरूप है, वह 1940 में पहली बार आया जब गोल आकार का प्रसाद शुरू हुआ। वर्षों से यह पवित्र मिठाई तिरुमाला की यात्रा का पर्याय बनी हुई है, और कोई भी भक्त इसे लिए बिना घर नहीं लौटता।
मंदिर में कितना लड्डू बनाया जाता है?
तिरुमला मंदिर में लड्डू की तैयारी में बड़े पैमाने पर उत्पादन प्रक्रिया शामिल होती है। रोजाना लगभग एक टन बेसन, 10 टन चीनी, 700 किलो काजू, 500 किलो मिश्री और 300-500 लीटर घी का उपयोग किया जाता है। इतनी बड़ी मात्रा के बावजूद लड्डू अपने अद्वितीय स्वाद और सुगंध को बरकरार रखता है। समय के साथ-साथ लड्डू बनाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी आईं। 1984 से रसोई में लकड़ी की जगह एलपीजी ने ले ली और आज, हर दिन करीब 2.5 लाख लड्डू बनाए जाते हैं। हालांकि, इतनी बड़ी मात्रा में लड्डू के मूल स्वाद को बनाए रखना एक चुनौती बनी हुई है। गुणवत्ता बनाए रखने के लिए, टीटीडी ने कई बार सामग्री के अनुपात (दित्तम) में बदलाव किया है। लड्डू को 2009 में भौगोलिक संकेत (जीआई) का दर्जा प्राप्त हुआ।
मंदिर में कितने तरह के लड्डू मिलते हैं?
तिरुमाला में तीन प्रकार के लड्डू चढ़ाए जाते हैं। पहला है अस्थानम लड्डू जो विशेष उत्सवों के दौरान तैयार किया जाता है और गणमान्य व्यक्तियों को वितरित किया जाता है। दूसरा है कल्याणोत्सवम लड्डू, जो अर्जित सेवा में भाग लेने वाले भक्तों को दिया जाता है। तीसरा प्रोक्तम लड्डू, जो दर्शन के बाद सभी भक्तों को दिया जाता है।
तो लड्डू में मिलावट का आरोप कब और कैसे सामने आया?
हाल के समय में लड्डू की गुणवत्ता पर आलोचना हुई तो जून 2024 में आंध्र प्रदेश में आई नायडू सरकार ने श्यामला राव को टीटीडी का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। कार्यभार संभालने के बाद जुलाई में श्यामला राव ने लड्डू की गुणवत्ता की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया। एक सप्ताह बाद सभी पहलुओं की जांच करने वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी। दुनियाभर में मशहूर तिरुमला का लड्डू प्रसाद उस वक्त चर्चा में आया जब लैब रिपोर्ट से पता चला कि तिरुमाला लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घी में पशु वसा और मछली के तेल जैसे चीजें थीं।
टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि जांच करने और रिपोर्ट देने के अलावा, भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, यह सुनिश्चित करने के लिए निविदाओं के जरिए गुणवत्तापूर्ण घी खरीदने के लिए बरती जाने वाली सावधानियों पर कुछ सुझाव भी दिए गए।
तो अभी क्या हुआ है?
हाल ही में यह मामला आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री चंद्रबाबू बाबू की टिप्पणी के बाद अचानक से देश भर में सुर्खियों में आ गया। बुधवार (18 सितंबर) को एनडीए सरकार के 100 दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री चंद्रबाबू बाबू ने कहा कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की पवित्रता को भंग करने के लिए घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। मुख्यमंत्री ने यह टिप्पणी विजयवाड़ा में विधायक दल की बैठक में की। मामला यहीं नहीं रुका और अगले दिन यानी 19 सितंबर को सत्ताधारी तेलुगु देशम पार्टी ने लैब रिपोर्ट जारी की। टीडीपी प्रवक्ता अनम वेंकटरमण रेड्डी ने एक दस्तावेज की प्रतियां सार्वजनिक कीं। रिपोर्ट के बारे में रेड्डी का दावा है कि यह गुजरात में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा प्रसादम पर किए गए परीक्षणों की रिपोर्ट है। इस दस्तावेज में कहा गया है कि घी में लार्ड (सूअर की चर्बी), टैलो (गाय की चर्बी) और मछली के तेल की मौजूदगी दिखाई गई। रिपोर्ट में नारियल, अलसी, रेपसीड और कपास के बीज जैसे वनस्पति स्रोतों से मिली वसा भी पाई गई।
इस बीच, विवाद पर कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) की प्रतिक्रिया भी सामने आ गई। केएमएफ ने स्पष्ट किया कि उन्होंने बीते चार वर्षों में टीटीडी को घी की आपूर्ति नहीं की है। उन्होंने पिछले चार महीनों में तिरुमाला को अपनी आपूर्ति शुरू की है।
शुरू हुई जांच की मांग
पहले मुख्यमंत्री की टिप्पणी और फिर लैब रिपोर्ट का हवाला, इससे मसला राजनीति का केंद्र भी बन गया। आंध्र प्रदेश भाजपा ने पूरी घटना की जांच की मांग की और पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी सरकार पर ‘घोर हिंदू विरोधी’ होने और टीटीडी के फंड का गलत प्रबंधन करने का आरोप लगाया। वहीं कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष डोडारेड्डी रामभूपाल रेड्डी ने भी सीबीआई जांच की मांग की। कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि सीएम नायडू अपने आरोपों पर कायम हैं तो औपचारिक जांच की जरूरत है।
वाईएसआर ने आरोपों पर क्या जवाब दिया?
जारी विवाद के बीच वाईएसआरसीपी के राज्यसभा सांसद और टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। वाईएसआर सांसद ने कहा कि नायडू ‘सियासी लाभ के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करके मुख्यमंत्री ने ‘मंदिर की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था’ को नुकसान पहुंचाया है।
विवाद में अब आगे क्या?
तिरुमला प्रसाद में मिलावट का मुद्दा अब अदालत की चौखट तक भी पहुंच गया है। वाईएसआर कांग्रेस ने तिरुमाला लड्डू प्रसाद पर मुख्यमंत्री चंद्रबाबू द्वारा लगाए गए आरोपों को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। पार्टी की ओर से वकीलों ने आरोपों को हाई कोर्ट बेंच में जिक्र किया है। पार्टी ने मौजूदा न्यायाधीश या उच्च न्यायालय से टिप्पणियों की जांच के लिए एक समिति गठित करने को कहा है। पीठ ने कहा कि वह अगले बुधवार को दलील सुनेगी।
उधर केंद्र सरकार ने आंध्र सरकार से रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने तिरुमाला लड्डू प्रसादम में मिलावट पर मुख्यमंत्री नायडू से फोन पर बात की है और आंध्र प्रदेश सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) रिपोर्ट की जांच करेगा और पूरी जांच की जाएगी। जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
Bureau Report
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