दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाले डीएनडी फ्लाईवे पर टोल वसूलने पर रोक बरकरार रहेगी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर निजी कंपनी की याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से डीएनडी से गुजरने वाले लाखों वाहन चालकों को मिल रही राहत बरकरार रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने समझौते को माना गलत
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में निजी कंपनी के डीएनडी फ्लाईवे पर टोल वसूलने से रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि निजी कंपनी एनटीबीसीएल को दिल्ली-नोएडा डीएनडी फ्लाईवे पर चलने वाले वाहनों सो टोल वसूलने का ठेका देना पूरी तरह से अन्यायपूर्ण और गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने निजी फर्म को टोल वसूलने का ठेका देने के लिए नोएडा प्राधिकरण को भी फटकार लगाई और कहा कि इससे अनुचित लाभ हुआ।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने साल 2016 में डीएनडी फ्लाईवे पर टोल वसूलने पर रोक लगाई थी, जिससे डीएनडी से गुजरने वाले लाखों वाहन चालकों को बड़ी राहत मिली थी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि ‘टोल वसूलना जारी रखने की कोई वजह नहीं है। हम टोल वसूलने के समझौते को अवैध मानते हैं। इसने निजी फर्म एनटीबीसीएल को टोल संग्रह सौंपने के लिए नोएडा प्राधिकरण की खिंचाई की, जिसके पास टोल वसूलने का कोई पूर्व अनुभव नहीं था।’
उच्च न्यायालय ने साल 2016 में लगाई थी टोल वसूलने पर रोक
पीठ ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण ने एनटीबीसीएल को शुल्क एकत्र करने (टोल वसूलने) की शक्तियां सौंपकर अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल किया है और इससे आम जनता को सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2016 में फैसला सुनाया था कि 9.2 किलोमीटर लंबे, आठ लेन वाले दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट (डीएनडी) फ्लाईवे का उपयोग करने वालों से अब से कोई टोल नहीं लिया जाएगा। यह आदेश उच्च न्यायालय ने फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की जनहित याचिका पर दिया था। 2012 में दायर जनहित याचिका में ‘नोएडा टोल ब्रिज कंपनी द्वारा टोल वसूलने को चुनौती दी गई थी। 100 पन्नों के फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘जो शुल्क लगाया जा रहा है, वह यूपी औद्योगिक विकास अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है’।
Bureau Report
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