Delhi Election 2025 Date: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को मतदान, 8 को आएंगे नतीजे

Delhi Election 2025 Date: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को मतदान, 8 को आएंगे नतीजे

चुनाव आयोग ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी 2025 को मतदान होगा। 8 फरवरी 2025 को मतगणना होगी और इसी के साथ यह तय हो जाएगा कि दिल्ली में अगली सरकार किसकी बनने जा रही है? 

दिल्ली में इस तरह है चुनाव कार्यक्रम
चुनाव की अधिसूचना- 10 जनवरी 
नामांकन की आखिरी तारीख- 17 जनवरी    
नामांकन पत्रों की जांच-    18 जनवरी
नाम वापसी का अंतिम दिन- 20 जनवरी
मतदान की तारीख- 5 फरवरी
मतगणना की तारीख- 8 फरवरी

‘दुनिया के देशों में तो एक-एक महीने काउंटिंग चल रही है’
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि हम पर यह सवाल उठाए गए कि शाम पांच बजे के बाद कैसे मतदान का आंकड़ा बढ़ जाता है? करोड़ों वोट कैसे बढ़ जाते हैं? यह ध्यान रखना होगा कि सुबह 9:30 बजे, 11:30, दोपहर 1:30, 3:30 और शाम 5:30 बजे के बीच सेक्टर मजिस्ट्रेट मतदान का आंकड़ा इकट्ठा करते हैं। वोटिंग खत्म होने के समय फॉर्म 17-सी दिया जाता है। जब शाम 7:30 बजे तक अधिकारी तक सारी मशीनें इकट्ठा करता है, तब उसके मतदान केंद्र का अंतिम आंकड़ा पता चल पाता है, जबकि हमसे कहा जाता है कि छह बजे ही आंकड़ा बता दें। लोग ये भूल जाते हैं कि दुनिया के बड़े देशों में तो एक-एक महीना मतगणना चल रही है।

‘ईवीएम को नई बैटरी डालकर सील किया जाता है’
उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले ईवीएम में नई बैटरी डाली जाती है। उसी दिन उसे सील किया जाता है। जिस दिन मतदान होता है, उस दिन सील पोलिंग एजेंट के सामने तोड़ी जाती है। मॉक पोल किया जाता है। पोलिंग एजेंट रिकॉर्ड रखते हैं कि कौन आया, कौन गया। किसमें कितने वोट पड़े, इसकी संख्या उनको दी जाती है। काउंटिंग के दिन भी पूरी प्रक्रिया दोहराई जाती है। फॉर्म 17 सी से मिलान होता है। उसके बाद किसी भी पांच वीवीपैट से भी मिलान किया जाता है। हमारी प्रक्रिया पर कई बार सवाल उठाए गए हैं।

फॉर्म सात के बिना नाम नहीं हटाया जा सकता: चुनाव आयोग
चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि भारतीय मतदाता बेहद जागरूक हैं। मतदाता सूचियों को लेकर अब भी कहानियां चल रही हैं। करीब 70 सीटें हैं। जिसमें राजनीतिक दल और उम्मीदवार हमारे साथ रहते हैं, जितने भी दावे और आपत्तियां आती हैं। उन्हें सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जाता है। फॉर्म सात के बिना नाम नहीं हटाया जा सकता।

ईवीएम मतगणना के लिए फुलप्रूफ डिवाइस: चुनाव आयोग
चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि ईवीएम में अविश्वसनीयता या किसी खामी का कोई सबूत नहीं है। ईवीएम में वायरस या बग आने का कोई सवाल ही नहीं है। ईवीएम में अवैध वोट होने का सवाल ही नहीं है। कोई धांधली संभव नहीं है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट अलग-अलग फैसलों में लगातार यही कह रहे हैं और क्या कहा जा सकता है? ईवीएम मतगणना के लिए फुलप्रूफ डिवाइस है। टेम्परिंग के आरोप बेबुनियाद हैं। हम अभी बोल रहे हैं क्योंकि चुनाव के समय हम नहीं बोलते।

अंतिम मतदाता सूची हो चुकी है जारी
चुनाव आयोग ने बीते सोमवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर अंतिम मतदाता सूची जारी की थी। इस चुनाव में दो लाख के करीब मतदाता 18 से 19 वर्ष के हैं। वह पहली बार विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इस सूची में कुल एक करोड़ 55,24,858 मतदाता हैं। इसमें पुरुष मतदाता 85,49,645 हैं, जबकि 71,73,952 महिला मतदाता हैं। थर्ड जेंडर 1,261 हैं। 

प्रक्रिया के तहत नाम जोड़े और हटाए जाते हैं
चुनाव आयोग ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया और मतदाता सूची के लिए नाम प्रक्रिया के तहत जोड़े और हटाए जाते हैं। इसके लिए फॉर्म 6 और फॉर्म सात होता है। नामों के घटाने और जोड़ने की जानकारी समय-समय पर राजनीति दलों को दी जाती है।

1,67,329 नए मतदाता जुड़े
चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में एक महीने में 29 अक्टूबर से 28 नवंबर तक 1,35,089 मतदाताओं ने फॉर्म-6 और 83,825 ने फॉर्म-8 के तहत मतदाता सूचियों में नाम जुड़वाने, पता बदलने, नाम को सूची से हटाने और आपत्तियां और सुझाव के लिए आवेदन किया। चुनाव आयोग के संबंधित अधिकारियों ने सभी आवेदनों को 24 दिसंबर तक सुलझा दिया। इस तरह से अंतिम मतदाता सूची जारी होने तक 3,08,942 नए नाम मतदाता सूचियों में जुड़े। 1,41,613 नाम हटाए गए। इस दौरान कुल 1,67,329 मतदाता नए जुड़े।

हर आवेदन को जांचा गया
चुनाव आयोग ने पाया की 16 दिसंबर से एक माह में 5.10 लाख नए लोगों ने अपना नाम जुड़वाने के लिए आवेदन किया। ऐसा पहली बार हुआ। ऐसा तब हुआ, जबकि तय समय में तीन लाख से ज्यादा मतदाता नई सूची में जुड़ चुके थे क्योंकि ऐसा 20 दिन के भीतर हो रहा था, जब आपत्तियां, जांच का समय गुजर चुका था। यह तत्काल जांच का विषय था। सभी चुनाव पंजीकरण अधिकारियों- ईआरओ को जांच के लिए निर्देशित किया गया। हर आवेदन को जांचा गया। संबंधित अधिकारियों को सौ फीसदी सत्यापन के लिए कहा गया है।

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