मुंबई हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण से बचने की आखिरी कोशिश की है। राणा के वकील ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर निचली अदालत के फैसले की समीक्षा करने की अपील की है। इस याचिका में राणा के वकील ने दोहरे खतरे के सिद्धांत (principle of double jeopardy) का हवाला दिया है। ये सिद्धांत एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा चलाने से रोकता है। भारत लंबे समय से पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है। वह साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के मामले में वांछित है।
इस आधार पर अपील की है राणा ने
राणा ने तर्क दिया कि उसे इलिनोइस (शिकागो) की संघीय अदालत में 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले से संबंधित आरोपों पर मुकदमा चलाया गया और बरी कर दिया गया था। अब भारत भी उन्हें आरोपों के आधार पर प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है, जिनके आधार पर शिकागो की अदालत ने राणा को बरी कर दिया था। हालांकि अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि सरकार यह नहीं मानती कि जिस आचरण के लिए भारत प्रत्यर्पण चाहता है, वह इस मामले में कवर हो चुका है। तहव्वुर राणा अमेरिकी अपील न्यायालय सहित निचली अदालतों और कई संघीय अदालतों में कानूनी लड़ाई हार चुका है। अब उसने ताजा याचिका से अपना प्रत्यर्पण रोकने की संभवतः आखिरी कोशिश की है।
अमेरिकी सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट से राणा की याचिका खारिज करने की अपील की
बता दें कि अमेरिकी सरकार भी राणा के प्रत्यर्पण के लिए तैयार है और बीती 16 दिसंबर को ही अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी प्रीलोगर ने सुप्रीम कोर्ट से राणा की याचिका को खारिज करने की अपील की थी। राणा के वकील ने अमेरिकी सरकार की सिफारिश को चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि उसकी रिट स्वीकार की जाए। राणा की याचिका पर 17 जनवरी को सुनवाई होगी। राणा, वर्तमान में लॉस एंजेलिस की जेल में बंद है। राणा पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली से जुड़ा हुआ था, जो 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकियों सहित कुल 166 लोग मारे गए थे। इस हमले में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 60 घंटे से अधिक समय तक मुंबई के अहम स्थानों पर हमला किया था और लोगों की हत्या की थी।
Bureau Report
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