Bihar: नीतीश कैबिनेट विस्तार में दिखेगा यादव प्रभाव, विधानसभा चुनाव से पहले हर समीकरण साधने में लगा एनडीए

Bihar: नीतीश कैबिनेट विस्तार में दिखेगा यादव प्रभाव, विधानसभा चुनाव से पहले हर समीकरण साधने में लगा एनडीए

“नित्यानंद राय को भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री बनाना चाहती है।”- यह चर्चा तो कई बार उठी, लेकिन भाजपा ने औपचारिक तौर पर कभी ऐसा नहीं कहा। नित्यानंद बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे। फिर केंद्र में राज्यमंत्री बन गए। केंद्रीय राज्यमंत्री बनने के बाद भी यह चर्चा उठी थी। लेकिन, नीतीश कुमार के कद के सामने दबकर रह गई। किसी मंच पर खुलकर कोई नहीं कह सका। आज यह बात इसलिए, क्योंकि अब एक बार फिर चुनाव की तैयारी है। अधिकतम नौ महीने में नई सरकार का गठन हो जाएगा। और, बिहार में जातिगत जनगणना के रिकॉर्ड में आई सबसे बड़ी जाति को राज्य की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में औसतन सबसे कमजोर जगह मिली हुई है। सबसे बड़ी आबादी के साथ यह बात भी है कि यह बिहार की राजनीति के कद्दावर नेता लालू प्रसाद यादव की जाति है। मतलब, चुनाव में जाने के पहले मंत्रिपरिषद् में यादवों की भागीदारी बढ़ानी जरूरी भी है और मजबूरी भी।

सबसे बड़ी आबादी को एक मंत्रिपद देकर बैठी है सरकार
28 जनवरी को जनादेश 2020 की वापसी करते हुए बिहार में जब एनडीए की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री समेत नई सरकार में नौ मंत्री बनाए गए थे। उस समय मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड ने एक यादव को मंत्री बनाया। जातिगत जनगणना में सर्वाधिक 14.26 फीसदी आबादी वाली यादव जाति से केवल एक मंत्री सुपौल के जदयू विधायक बिजेंद्र प्रसाद यादव बनाए गए। तभी से यह माना जा रहा था कि राज्य मंत्रिमंडल विस्तार में यादवों की हिस्सेदारी बढ़ाई जाएगी, लेकिन 15 मार्च को जब नीतीश कुमार सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हुआ तो ऐसा कुछ नहीं दिखा। तब से अब तक, सिर्फ एक ही यादव मंत्री हैं इस सरकार में। अब चुनाव सामने है और साथ ही भाजपा नेताओं का वह वीडियो भी फिज़ा में है, जिसमें लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को लेकर गंभीर चर्चा हो रही है। मतलब, भाजपा अगर किसी यादव चेहरे को सामने लाए तो चौंकने वाली बात नहीं होनी चाहिए। भाजपा के पास छह-सात मंत्री बनाने का विकल्प है, इसलिए यह संभव भी है।

बाकी जातियों की कैसी हिस्सेदारी है और क्या संभावना है आगे
बिहार की नई सरकार का गठन 28 जनवरी 2024 को हुआ था। तब नौ मंत्री बनाए गए थे। उसके बाद 15 मार्च को मंत्रिमंडल विस्तार हुआ और मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या तीस हो गई। अब जो मंत्रिमंडल विस्तार हो रहा है, उसका इंतजार कई महीनों से किया जा रहा था। जुलाई 2024 में जब भाजपा ने अपना प्रदेश अध्यक्ष एक मंत्री दिलीप जायसवाल को बनाया, तभी से इस विस्तार का इंतजार और ज्यादा तीव्र हो गया था। अब 26 फरवरी 2025 को शाम चार बजे मंत्रिमंडल विस्तार हो रहा है तो यह देखने लायक है कि किस जाति को पहले क्या हिस्सेदारी मिली हुई थी और अब क्या संभावना बन रही है? इस विस्तार में यादवों के साथ मारवाड़ी को हिस्सेदारी मिले और ब्राह्मणों की बढ़े तो अजूबा नहीं।

दुसाध-चमार पर दोनों दलों ने दिया था ध्यान
बिहार की जातिगत जनगणना राज्य में दूसरे और तीसरे नंबर की जाति दुसाध और चमार को बताया था। सत्तारूढ़ दोनों दलों ने सबसे बड़ी जाति का ख्याल भले नहीं रखा था, लेकिन इन दोनों पर दोनों बड़े दलों ने ध्यान दिया था। जातीय जनगणना में दुसाध (पासवान) जाति की आबादी 5.31 प्रतिशत थी। भाजपा ने हरसिद्धी पूर्वी चंपारण के विधायक कृष्ण नंदन पासवान और जदयू ने कल्याणपुर समस्तीपुर के विधायक महेश्वर हजारी को मंत्री बनाया। इसी तरह, 5.25 प्रतिशत आबादी वाली चमार जाति को भी मौका मिला। भाजपा ने एमएलसी जनक राम और जदयू ने भोरे गोपालगंज विधायक सुनील कुमार को मंत्री बनाया। इन जातियों की भागीदारी थोड़ी और, मतलब एक बढ़ सकती है।

सम्राट समेत तीन कुशवाहा मंत्री हैं अभी, अब मजबूरी नहीं
जातीय जनगणना की रिपोर्ट में कोइरी की आबादी 4.21 फीसदी थी। कोइरी के लिए राजनीतिक भाषा में ‘कुश’ शब्द प्रचलित है, यानी कुशवाहा। कोइरी जाति से भाजपा कोटे के एमएलसी सम्राट चौधरी उप मुख्यमंत्री हैं। बछवाड़ा बेगूसराय के विधायक सुरेंद्र मेहता को भाजपा ने कोइरी कोटे से मंत्री बनाया। जदयू का तो लव-कुश समीकरण ही है, इसलिए उसने अमरपुर बांका के विधायक जयंत राज को मंत्रिमंडल में जगह दी। कुशवाहा की हिस्सेदारी बढ़ाना दोनों में से किसी दल की मजबूरी नहीं है, हालांकि नाम चल रहे हैं।

ब्राह्मण-राजपूत फायदे में, लेकिन एक मौका कहां संभव
28 जनवरी 2024 को नई सरकार के गठन के समय कोई ब्राह्मण मंत्री नहीं थे। जातीय जनगणना में 3.65 प्रतिशत आबादी वाले ब्राह्मणों को नीतीश कुमार सरकार के मार्च 2024 के मंत्रिमंडल विस्तार में जगह मिली। भाजपा एमएलसी मंगल पांडेय और झंझारपुर विधायक नीतीश मिश्रा को मंत्री बनाया गया। ब्राह्मण जाति से जदयू ने किसी को मौका नहीं दिया था। इस बार भी भाजपा ही हिस्सेदारी बढ़ाने वाली लग रही है। जातीय जनगणना में राजपूतों की आबादी 3.45 फीसदी थी। चकाई जमुई के निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह को नीतीश सरकार ने जदयू कोटे से सरकार बनाते समय ही जोड़ लिया था। मंत्रिमंडल विस्तार में भी तीन राजपूतों को जगह मिली थी। छातापुर सुपौल के भाजपा विधायक नीरज कुमार सिंह बबलू, भाजपा एमएलसी संतोष सिंह के साथ धमदाहा पूर्णिया की जदयू विधायक लेशी सिंह के मंत्री बनने से राजपूतों की संख्या नीतीश मंत्रिमंडल में चार है। राजपूतों की भागीदारी अब बढ़ने के आसार बहुत कम हैं, हालांकि भाजपा में तिरहुत से एक नाम आगे आ रहा है।

मुसहर जाति से दो मंत्री; मांझी प्रयास में जुटे
जातीय जनगणना पर भले बाकी सबकुछ सुप्रीम कोर्ट में अटका है, लेकिन बिहार की राजनीति में इसका पूरा प्रभाव है। उस रिपोर्ट में 3.08 प्रतिशत आबादी मुसहर की बताई गई थी। एनडीए के घटक हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा- सेक्युलर के संतोष कुमार सुमन उर्फ संतोष मांझी इसी जाति के मंत्री हैं। जदयू से रत्नेश सादा का मंत्रीपद महागठबंधन से आगे भी बरकार रहा। अब जीतन राम मांझी इस जाति के नेता होने के नाते प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।

भूमिहार मंत्री बनाएगी भाजपा, कुर्मी को लेकर क्या होगा?
भूमिहारों (सवर्ण) की बिहार में 2.89 प्रतिशत आबादी बताई गई थी। मंत्रिमंडल में इस जाति के भाजपाई डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा और जदयू कोटे के विजय कुमार चौधरी हैं। इस बार विस्तार में भूमिहार को जगह देने के लिए भाजपा तैयार है और जदयू के अंदर भी ऐसी चर्चा हैं, हालांकि केंद्र में राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को मौका दिए जाने के कारण उसकी मजबूरी नहीं है। जातीय जनगणना में इसके बाद 2.87 प्रतिशत आबादी वाली कुर्मी जाति की है। मंत्रिमंडल में इस जाति का प्रतिनिधित्व स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करते हैं और कद्दावर मंत्री श्रवण कुमार इसी जाति से हैं। भाजपा में इस जाति से कोई मंत्री नहीं है और भविष्य सुधारने के लिए वह किसी को मौका दे तो चौंकाने वाली बात नहीं होगी। 

मल्लाह, वैश्य, धानुक, नोनिया की उम्मीद पूरी, कहार पहले से
जातीय जनगणना की रिपोर्ट में 2.60 प्रतिशत आबादी मल्लाह की थी। भाजपा ने विधान पार्षद हरी सहनी और जदयू ने बहादुरपुर (दरभंगा) के विधायक मदन सहनी को मंत्रिमंडल में जगह दी। आबादी में 2.31 प्रतिशत रहे और भाजपा के कोर वोट बैंक के रूप में प्रसिद्ध बनिया-वैश्य को भाजपा एमएलसी दिलीप जायसवाल और कुढ़नी मुजफ्फरपुर के विधायक केदार प्रसाद गुप्ता के रूप में मंत्रिपद मिला था। जायसवाल का इस्तीफा होने के बाद अब एक वैश्य की कुर्सी खाली है और उसे भाजपा जरूर भरेगी। जहां तक 2.13 प्रतिशत आबादी वाले धानुक समाज का सवाल है तो फुलपरास मधुबनी की जदयू विधायक शीला मंडल मंत्री हैं। भाजपा कुर्मी-धानुक के नाम पर एक सीट रख सकती है। जातीय जनगणना में 1.91 प्रतिशत आबादी वाली नोनिया जाति से भाजपा की महिला विधायक और पूर्व उप मुख्यमंत्री रेणु देवी (बेतिया, पश्चिम चंपारण) हैं। मौजूदा मंत्रिपरिषद् में भाजपा के डॉ. प्रेम कुमार चंद्रवंशी कहार हैं। यह अति पिछड़ी जाति है। जातीय जनगणना में इसकी आबादी 1.64 बताई गई थी। यह सरकार गठन के समय से मंत्री हैं।

एक प्रतिशत से कम वाली आबादी से एक-एक मंत्री
बिहार की जातीय जनगणना में 0.98 आबादी पासी जाति की थी। इस जाति से जदयू एमएलसी डॉ. अशोक चौधरी मंत्रिपरिषद् में हैं। कुल 0.75 फीसदी आबादी वाले सवर्ण मुस्लिम वर्ग की पठान आबादी से चैनपुर कैमूर के जदयू विधायक मो. जमा खान मंत्री हैं। जातीय जनगणना में कायस्थों (सवर्ण) की आबादी महज 0.60 प्रतिशत बताई गई थी। बांकीपुर पटना के भाजपा विधायक नितिन नवीन मंत्री हैं। इस जाति से भी भागीदारी बढ़ने के आसार नहीं हैं।

Bureau Report

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