
मासूम चेहरे वाली प्रगति इस कदर शातिर होगी, किसी को इसका अंदाजा नहीं था। घर में गुमसुम रहने वाली प्रगति ने न सिर्फ पड़ोसी से प्यार की पींगें बढ़ाई, बल्कि दीदी के देवर पर डोरे डालकर उसे भी अपने करीब ले आई। दिल उसका प्रेमी से ही लगा रहा, लेकिन शादी करने का फैसला दीदी के देवर से किया। पति की मौत की सूचना मिलने पर दहाड़ मारकर रोने वाली प्रगति के आंसू में पति का खून भी शामिल है, इसकी किसी को भनक नहीं थी। हालांकि, अब जब हकीकत सामने आई है तो मायके से लेकर ससुराल तक सभी सदमे में हैं।
इंटर तक की पढ़ाई कर चुकी प्रगति अपने घर में ही रहती थी। पड़ोसी अनुराग से वह पिछले करीब चार साल से प्यार की पींगें बढ़ा रही थी। इंटर पास करके दिबियापुर कस्बा में अपनी मौसी के यहां रहती थी। वहां आने-जाने के दौरान वह जमाने की नजरों से बचकर भी अनुराग से मिला करती थी। बड़ी और महंगी गाड़ियों के शौकीन अनुराग की लाइफ स्टाइल पर फिदा प्रगति ने कभी किसी को अपने प्यार की भनक नहीं लगने दी।
उसके परिवार का तर्क है कि वह अक्सर अपनी बड़ी बहन पारुल से मिलने उसके ससुराल मैनपुरी के भोगांव थाना के नगला-दीपा गांव जाती थी। वहीं उसकी नजरें दीदी के देवर दिलीप से टकरा गईं। अनुराग से प्रेम प्रसंग के बावजूद उसने दिलीप पर डोरे डाले। दोनों की जिद के आगे दोनों के ही परिवारों ने भी रजामंदी दे दी।
दिलीप धूमधाम से पांच मार्च को प्रगति संग सात फेरे लेकर उसे अगले दिन छह मार्च को अपनी दुल्हन बनाकर अपने घर ले गया। वहां वह सिर्फ पांच दिन ही रही और शादी के बाद पहली होली मायके में मनाने के लिए 10 मार्च को वापस आ गई।
पहले से ही दिलीप से अलग होने का मन बना चुकी प्रगति ने यहां आकर प्रेमी अनुराग से 17 मार्च को एक होटल में मुलाकात की और पति दिलीप को रास्ते से हटाने का खाका तैयार किया। अब जब उसकी कारिस्तानी सामने आ चुकी है तो मायके से लेकर ससुराल तक कोहराम मचा हुआ है।
न सात फेरे की लाज रखी न सुहाग के जोड़े की
अपने मेहंदी रचे हाथों से प्रगति ने जिस कारिस्तानी को अंजाम दिया और दिलवाया उसने सभी को झकझोर दिया। पूरा परिवार, गांव, ससुराल गम में डूबे हैं। प्रेमी के साथ खुद तो सलाखों के पीछे गई, परिवार को भी कभी न भूलने वाली टीस दे गई। गांव के ही युवक के प्रेम में अंधी होकर अपने ही सुहाग को खत्म करने वाली इस नवब्याहता की कारिस्तानी ने मायके को पूरी दुनिया के सामने रुसवा कर दिया। उनके होठों की चुप्पी से बेटी की करतूत का गुस्सा जाहिर हो रहा है। सूनी आंखों में उसके लिए नफरत का सागर हिलोरें लेता दिख रहा है। गांव वाले कहते हैं कि उसने ऐसा किया ही क्या है कि उसके बारे में बात की जाए। बेटियां दुल्हन के जोड़े में ससुराल जाकर मायके का मान बढ़ाती हैं, इसने अपने ही सुहाग का कत्ल करके न सात फेरों की लाज रखी न ही उस सुर्ख जोड़े का, जिसमें उसे विदा किया गया था।
गांव में पड़ोसी हैं प्रगति और अनुराग
औरैया सदर तहसील का छोटा सा गांव है सियापुर। भाग्यनगर ब्लॉक और फफूंद थाना की सीमा क्षेत्र में आने वाले इस बेहद छोटे से गांव में ही सिर्फ यादव बिरादरी के ही 25 परिवारों का घर है। कुल आबादी 80 लोगों की है। उनमें से कुछ आपस में रिश्तेदार हैं। अपनी ही मांग का सिंदूर खुद से पोछने वाली प्रगति और उसका प्रेमी अनुराग इसी गांव के निवासी हैं। प्रगति का मकान गांव के मेन रोड पर दो मंजिला है। उसके मकान के ठीक पीछे उसके प्रेमी अनुराग व उसके चाचा का मकान है। प्रगति का मकान दखलीपुर पंचायत की सीमा में आता है, जबकि बमुश्किल 100 मीटर की दूरी पर अनुराग का मकान पीहरपुर पंचायत में पड़ता है। आसपास रहने वाले यह लोग अलग-अलग पंचायतों के वोटर हैं।
गांव में हर जुबान पर थी दोनों की प्रेम लीला
भले ही अब प्रगति के परिवार के लोग यह कह रहे हैं कि उन्हें प्रगति और अनुराग के बीच प्रेम संबंध की जानकारी नहीं है, लेकिन गांव के लोग दबी जुबान से बता रहे हैं कि दोनों में नजदीकियां थीं। प्रगति के माता-पिता गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। इसलिए उन तक इसकी जानकारी नहीं थी। तीन बड़े भाइयों में दो शादीशुदा आलोक राजस्थान के भिलवाड़ा में एक कंपनी में नौकरी के सिलसिले में गांव में कम रहता है। दूसरा बड़ा भाई आशुतोष मध्य प्रदेश के उज्जैन में एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक है। वह भी अपने परिवार के साथ वहां रहता है। तीसरा भाई संतोष अविवाहित है।
प्रगति के लाल जोड़े से हथकड़ी पहनने तक का सफर
■ पांच मार्च को प्रगति और दिलीप की दिबियापुर कस्बा के एक गेस्ट हाउस में धूमधाम से शादी हुई।
■ 06 मार्च को प्रगति लाल जोड़े में दिलीप की जीवन साथी बनकर ससुराल मैनपुरी के भोगांव पहुंची।
■ 10 मार्च को होली के त्योहार के मद्देनजर अपने मायके सियापुर आ गई।
■ 17 मार्च को मौसी के घर जाने की बात कहकर प्रेमी अनुराग से मिलने औरैया के होटल में पहुंची।
■ 19 मार्च को प्रेमी अनुराग के कहने पर शूटर रामजी नागर ने प्रगति के पति दिलीप को गोली मारी।
■ 21 मार्च को पति की मौत पर उसके शव के साथ ही ससुराल मैनपुरी के भोगांव पहुंची।
■ 24 मार्च को पुलिस ने प्रगति को अपने पति की हत्या करवाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
कोरोना काल में अनुराग और प्रगति के बीच प्यार चढ़ा परवान
कोविड काल साल 2020 में सियापुर गांव में प्रगति का पड़ोसी अनुराग से प्रेम प्रसंग शुरू हुआ। चार साल के लंबे प्रेम संबंध में दौलत और शोहरत का रंग चढ़ा। इसके लिए प्रगति ने अपने जीजा के छोटे भाई दिलीप से नजदीकी बढ़ाई।
आत्महत्या का रंग चढ़ाने की थी रणनीति
पुलिस ने गिरफ्तार प्रगति, उसके प्रेमी अनुराग व शूटर रामजी नागर से अलग-अलग व एक साथ पूछताछ की। इसमें उनके अपराध करने के तरीके को भी भांपा गया। प्रगति व अनुराग के बीच शादी से पहले ही दिलीप की हत्या को लेकर पटकथा की तैयारी बनाई जाने लगी थी। दिलीप को रास्ते से किस तरह से हटाया जाए। इसके लिए उन तरीकों को भी दोनों ने जानने की कोशिश की, जिससे दोनों स्वयं को सुरक्षित करते हुए दिलीप को रास्ते से हटा दें। इसके लिए दिलीप की हत्या को पहली प्राथमिकता में हादसा तो दूसरी में आत्महत्या का रंग चढ़ाने की रणनीति बनाई थी। आत्महत्या के लिए जहर देकर मारने की भी तैयारी थी, लेकिन इस तरीके में उन्हें पोल खुलने की संभावना नजर आ रही थी। शादी के बाद शूटरों के संपर्क में आने के बाद अनुराग ने हादसे को प्राथमिकता दी थी। शूटरों का मनतव्य भी दोनों ने लिया था। इसके लिए सड़क किनारे किसी सुनसान जगह पर उसके सिर पर गहरी चोटें देने की तैयारी बनाई थी। तीन शूटरों ने इसकी जिम्मेदारी ले ली।
गोली मारने से पहले तमंचे के बट से सिर पर किया हमला
क्राइम सीन के तहत अनुराग ने शूटरों को बेला में दिलीप की पहचान कराई। इसके बाद शूटरों ने बेला से कुछ आगे दिलीप को यह कहकर बुलाया कि नहर पर बिजली के खंभे रखे जाने हैं। हाइड्रा से कितनी लागत आएगी। इस पर एक शूटर उसे जगह दिखाने के लिए पलिया के पास नहर किनारे ले गया। रास्ते में बारी-बारी दो अन्य शूटरों को भी साथी बताकर बाइक पर बैठा लिया। नहर किनारे सुनसान जगह पर ले जाकर तीनों शूटरों ने दिलीप को बेरहमी से सिर के पिछले हिस्से पर मारना शुरू कर दिया। तमंचे की बट मारते हुए लहूलुहान कर दिया, लेकिन दिलीप का साहस डगमगाता न देख शूटरों का साहस जवाब दे गया।
गोली मार कर दी गलती
इस पर होश गंवाते हुए एक शूटर ने दिलीप के सिर के पिछले हिस्से में गोली मार दी थी। 19 मार्च को जब सड़क किनारे दिलीप बेसुध अवस्था में खून से लथपथ मिला तो पुलिस से लेकर ग्रामीण हादसे का ही अंदेशा जता रहे थे। बड़े ही शातिर ढंग से अंजाम दी गई इस वारदात में गोली मारने की गलती ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। मौत के बाद हुए पोस्टमार्टम में 10 घाव व सीटी स्कैन में गोली लगने की बात उभरकर सामने आ गई। हत्या पर हादसे का रंग चढ़ाने का प्रयास यहां नाकाफी रहा। प्रेमी-प्रेमिका से लेकर शूटरों का शातिर दिमाग यहां पर फेल हो गया।
आत्महत्या का रंग देने के लिए बिना मर्जी के शादी कराने की बनाई जाती कहानी
हाइड्रा चालक दिलीप के हत्याकांड के खुलासे के बाद जिस तरह से प्रगति ने परिजनों पर बिना मर्जी के शादी कराने का आरोप मढ़ा। इधर-उधर के तमाम आरोप तयशुदा बताए गए। हादसा व आत्महत्या की कहानी को लेकर भी प्रगति ने इसी तरह के आरोप-प्रत्यारोप की कहानी पहले से ही गढ़ ली थी।
Bureau Report
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