लखनऊ: कानपुर पुलिस के ऊपर एक बार फिर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. मामला 13 जुलाई का है लापता युवक के परिजनों ने पुलिस के कहने पर अपहरणकर्ता को पैसे देने का फैसला किया था. पुलिस को विश्वास था कि वो बदमाशों को पकड़ लेगी. लेकिन शातिर बदमाशों पुलिस के सामने ही 30 लाख रुपये की फिरौती लेकर फरार हो गए और पुलिस देखती रह गई.
दरअसल, बीती 22 जून को कानपुर में एक युवक लापता हो गया था. जिसके करीब एक हफ्ते बाद से परिजनों के पास लगातार फिरौती के लिए फोन आ रहे थे. जब पूरी वारदात की जानकारी पुलिस को दी गई तो उन्होंने परिजनों से फिरौती की रकम जमा कर आरोपियों को देने के लिए कहा. पुलिस ने परिजनों को विश्वास दिलाया कि फिरौती की रकम देने के दौरान वो अपराधियों को दबोच लेंगे. पहले युवक की सकुशल बरामदगी हो जाए फिर पैसे तो वापस हम ला ही देंगे.
जिसके बाद परिजनों ने पुलिस की बातों पर विश्वास करते हुए 13 जुलाई को अपहरणकर्ताओं की बताई जगह पर फिरौती की रकम लेकर पहुंच गए. लेकिन बदमाश इतने शामिर थे कि उन्होंने पुलिस को भी चकमा दे दिया और पैसों से भरा बैग भी ले गए और अपह्रत का भी कुछ पता ना चला. आरोप है कि लापता युवक के पिता से आरोपी करीब आधा घंटे तक बात करते रहे और पुलिस उसे पकड़ न सकी. पुलिस की पूरी प्लेनिंग पर पानी फैरते हुए बदमाश सामने आने के बाद फरार हो गए और पुलिस कुछ नहीं कर सकी. इस पूरे घटनाक्रम ने पुलिस कार्रवाई पर वापस सवाल खड़े कर दिए हैं.
बताते चलें कि कानपुर के बर्रा इलाके में रहने वाला युवक संजीत यादव ( 27 ) एक निजी पैथोलॉजी में काम करता था. 22 जून की रात वो घर नही लौटा तो परिजनों ने काफी तलाश की, लेकिन उसका कुछ पता न चला. इसके बाद परिजनों ने पुलिस में सूचना दी. लेकिन पुलिस ने 23 जून को गुमशुदी का मामला दर्ज कर खाना पूर्ति कर दी. करीब एक हफ्ते बाद अपहरणकर्ताओं का फिरौती के लिए फोन आने लगे. पुलिस उसे ट्रैक करने में लगी रही.
अब घटना के एक महीने बाद पुलिस ने परिजनों को सूचना दी कि संजीत की मौत हो चुकी है. यह खबर सुनते ही परिजनों का रो रो कर बुरा हाल हो गया . परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस की लापरवाही के चलते उनके बच्चे की जान चली गई. पुलिस ने इस मामले में फिलहाल चार युवकों को हिरासत में लिया है. जिन्होंने यह कबूला है कि उन्होंने 26 या 27 तारीख को ही संजीत यादव की हत्या कर दी और उसके शव को पांडु नदी में फेंक दिया था.
इस मामले में कानपुर एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु का कहना है कि थाना बर्रा क्षेत्र में एक युवा संजीत की 23 जून को गुमशुदगी लिखी गयी थी, बाद में 26 जून को उसको एफआईआर में तब्दील किया गया. 364 में 29 जून को फिरौती के लिए परिवार के पास फोन आया, इस मामले में अलग से टीम गठित की गयी थी उनके द्वारा कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया, जो की संजीत के 2 खास दोस्त हैं. इसके अलावा पैथोलॉजी में संजीत के साथ काम कर चुके हैं , उनके द्वारा ये कबूला गया है की 26 या 27 जून को ही उनके द्वारा मर्डर कर दिया गया था और पाण्डु नदी में शव को ठिकाने लगा दिया है, शव की तलाश के लिए प्रयास किये जा रहे हैं.
कब क्या हुआ था-
22 जून की रात हॉस्पिटल से घर आने के दौरान संजीत का अपहरण हुआ.
23 जून को परिजनों ने जनता नगर चौकी में उसकी गुमशुदगी की तहरीर दी.
26 जून को एसएसपी के आदेश पर राहुल यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई.
29 जून को अपहरणकर्ता ने संजीत के परिजनों को 30 लाख की फिरौती के लिए फोन किया.
5 जुलाई को परिजनों ने शास्त्री चौक पर जाम लगाकर पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया
12 जुलाई को एसपी साउथ कार्यालय में इस बाबत दोबारा प्रार्थना पत्र दिया गया
13 जुलाई को परिजनों ने फिरौती की रकम 30 लाख से भरा बैग गुजैनी पुल से नीचे फेंक दिया, लेकिन फिर भी संजीत नहीं आया.
14 जुलाई को परिजनों ने एसएसपी और आईजी रेंज से शिकायत की, जिसके बाद संजीत को 4 दिन में बरामद करने का भरोसा दिया गया
16 जुलाई को बर्रा इंस्पेक्टर रंजीत राय को सस्पेंड कर सर्विलांस सेल प्रभारी हरमीत सिंह को चार्ज दे दिया गया.
Bureau Report
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