पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिया इस्तीफा, गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के आरोपियों और ड्रग माफियाओं पर कड़ी कार्यवाही न करना, विधायकों की नाराजगी बनी मुख्य वजह।

चंडीगढ़ : (लेखक ऋतिक सैनी ) पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आज शाम को राज्यपाल बीएल पुरोहित को पूरे मंत्रिमंडल का भी इस्तीफा सौंपा। कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी सांसद पत्नी परनीत कौर और बेटे रणइंदर सिंह के साथ करीब साढ़े चार बजे राजभवन पहुंचे और अपना इस्तीफा राज्यपाल बीएल पुरोहित काे सौंपा। वहीं, चंडीगढ़ में पंजाब कांग्रेस भवन में विधायक दल की बैठक हुई। विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से पंजाब में नया मुख्यमंत्री चेहरा चुनने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को दे दिया गया है। यह जानकारी ई-मेल के जरिए सोनिया गांधी को भेजी गई है। पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि पार्टी की परंपरा के मुताबिक नए सीएम का चेहरा सोनिया गांधी बताएंगी। यह प्रस्ताव विधायक ब्रह्म मोहिंदरा ने रखा। जिसका सभी विधायकों ने समर्थन किया। कांग्रेस केंद्रीय पर्यवेक्षक अजय माकन ने कहा कि विधायक दल ने कैप्टन के कामकाज की तारीफ की है। कांग्रेस को उम्मीद है कि कैप्टन भविष्य में भी पार्टी का मार्गदर्शन करते रहेंगे। हरीश रावत ने भी कैप्टन की तारीफ करते हुए कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बहुत अच्छी सरकार दी। उन्होंने चुनौतियों का सामना किया और उनका समाधान ढूंढा। कैप्टन ने सोनिया गांधी से बात करने के बाद पद छोड़ने का निर्णय लिया। चंडीगढ़ स्थित कांग्रेस भवन में करीब साढ़े पांच बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई। कैप्टन अमरिंदर सिंह और 4 अन्य विधायक मीटिंग में नहीं आये। इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिनियर कांग्रेस नेता कमलनाथ और मनीष तिवारी से बात कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाखुश करीब 60 विधायकों की चिट्ठी के बाद कांग्रेस हाईकमान ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया था। उन्होंने शनिवार शाम 5 बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने की घोषणा कर दी। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद शुक्रवार आधी रात को यह जानकारी शेयर की थी। विधायक दल की मीटिंग के लिए अजय माकन और हरीश चौधरी ऑब्जर्वर बनाए गए थे। 2017 के चुनावों में 117 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं और भारी बहुमत के साथ कैप्टन CM बने। और सिद्धू को नगरीय निकाय विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। नवजोत सिंह सिद्धू काफी समय से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर यह आरोप लगा रहे थे कि वह चुनाव के दौरान जो वायदे किए थे, उन वायदों को पूरा नहीं कर रहे हैं। गुरुगंथ साहिब की बेअदबी के जो आरोपी हैं, उनके खिलाफ उन्होंने कार्रवाई नहीं की। इसके अलावा अकाली दल के नेताओं पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। उनसे सहानुभूति और नरमी बरत रहे हैं। इन आरोपों को लेकर के कैप्टन अपनी पार्टी में पिछले 1 साल से घिरते हुए नजर आ रहे थे। पंजाब में नशाखोरी और ड्रग्स बहुत बड़ी समस्या है, और नशे के कारोबारियों के कोई बड़ी कार्यवाही ना होना। यह चीजें कैप्टन के खिलाफ गई . पंजाब के किसानों के मुद्दे हैं। बिजली की समस्या है। बिजली के महंगें बिल और एक वजह यह भी है कि आम आदमी पार्टी जिस तरीके से बिजली के मुद्दों को उठा रही है, आम आदमी पार्टी ने 300 युनिट फ्री बिजली देने का वादा किया। जिस वजह से कांग्रेस के कुछ विधायकों में बेचैनी थी और पंजाब में इसको लेकर के कैप्टन घिरते हुए नजर आ रहे थे। कैप्टन की नाराजगी के बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बना दिया। उसके बाद जो कैप्टन अमरिंदर सिंह खेमे के विधायक भी मैं धीरे धीरे नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे में आने लग गये और कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी ही सरकार में और अपनी पार्टी में कमजोर पड़ने लग गये। यह बात भी काफी हद तक सही है की कैप्टन अमरिंदर सिंह अब पहले की तरह लोकप्रिय नहीं रहे और जनता भी उनको उतना पसंद नहीं करती। जितना पहले करती थी और कहीं ना कहीं कांग्रेस को ऐसा लग रहा था कि कैप्टन के नाम पर फिर से पंजाब में चुनाव जीतना आसान नहीं होगा. शाइनिंग इंडिया न्यूज़ और शाइनिंग इंडिया सर्वे के एडिटर इन चीफ ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले की तरह पंजाब में लोकप्रिय नहीं है। जनता इस बार उनसे नाराज हैं क्योंकि उन्होंने जो 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान जो बड़े वादे किए थे, उन में से करीबन 80% वायदे को उन्होंने पूरा किया है। लेकिन गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का बड़ा मामला है। आरोपियों के खिलाफ कोई बडी़ कार्यवाही नहीं हुई और ड्रग माफिया और नशाखोरी के कारोबारीयों पर कोई बड़ी कार्यवाही नहीं हुई और दूसरी बात यह है कि काफी लोगों का ऐसा लग रहा था कि कैप्टन साहब शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के प्रति नरमी बरत रहे हैं और उनके उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहे, जो उन पर आरोप लग रहे थे। इस वजह से कैप्टन अमरिंदर सिंह की विदाई तय थी। कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब ही नहीं पूरे भारत में बहुत सीनियर और सम्मानित नेता है। दो बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं। सांसद रहे हैं। केंद्र में मंत्री रहे हैं और पिछले 52 वर्षों से उनका राजनीतिक कैरियर रहा है और पंजाब के लिए बहुत कुछ किया है। कैप्टन साहब ने इस बात से नकारा नहीं जा सकता। काफी अच्छे कार्य भी कीये है पंजाब में। इस्तीफा देने के बाद में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने टीवी चैनलों से बात करते हुए यह बात बार- बार दोहराई कि नवजोत सिंह सिद्धू अगर पंजाब का मुख्यमंत्री बनता है तो मैं उसका विरोध करूंगा, क्योंकि नवजोत सिद्धू के पाकिस्तान के PM से दोस्ताना संबंध है और यह एक नेशनल सिक्योरिटी का मामला बन सकता है।

चंडीगढ़ : (लेखक ऋतिक सैनी ) पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आज शाम को राज्यपाल बीएल पुरोहित को पूरे मंत्रिमंडल का भी इस्तीफा सौंपा। कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी सांसद पत्नी परनीत कौर और बेटे रणइंदर सिंह के साथ करीब साढ़े चार बजे राजभवन पहुंचे और अपना इस्तीफा राज्यपाल बीएलपुरोहित काे सौंपा। वहीं, चंडीगढ़ में पंजाब कांग्रेस भवन में विधायक दल की बैठक हुई। विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से पंजाब में नया मुख्यमंत्री चेहरा चुनने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को दे दिया गया है। यह जानकारी ई-मेल के जरिए सोनिया गांधी को भेजी गई है।

पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि पार्टी की परंपरा के मुताबिक नए सीएम का चेहरा सोनिया गांधी बताएंगी। यह प्रस्ताव विधायक ब्रह्म मोहिंदरा ने रखा। जिसका सभी विधायकों ने समर्थन किया।कांग्रेस केंद्रीय पर्यवेक्षक अजय माकन ने कहा कि विधायक दल ने कैप्टन के कामकाज की तारीफ की है। कांग्रेस को उम्मीद है कि कैप्टन भविष्य में भी पार्टी का मार्गदर्शन करते रहेंगे। हरीश रावत ने भी कैप्टन की तारीफ करते हुए कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बहुत अच्छी सरकार दी। उन्होंने चुनौतियों का सामना किया और उनका समाधान ढूंढा। कैप्टन ने सोनिया गांधी से बात करने के बाद पद छोड़ने का निर्णय लिया।
चंडीगढ़ स्थित कांग्रेस भवन में करीब साढ़े पांच बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई। कैप्टन अमरिंदर सिंह और 4 अन्य विधायक मीटिंग में नहीं आये।इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिनियर कांग्रेस नेता कमलनाथ और मनीष तिवारी से बात कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे

 कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाखुश करीब 60 विधायकों की चिट्ठी के बाद कांग्रेस हाईकमान ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया था। उन्होंने शनिवार शाम 5 बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने की घोषणा कर दी। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद शुक्रवार आधी रात को यह जानकारी शेयर की थी। विधायक दल की मीटिंग के लिए अजय माकन और हरीश चौधरी ऑब्जर्वर बनाए गए थे। 2017 के चुनावों में 117 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं और भारी बहुमत के साथ कैप्टन CM बने। और सिद्धू को नगरीय निकाय विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।
नवजोत सिंह सिद्धू काफी समय से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर यह आरोप लगा रहे थे कि वह चुनाव के दौरान जो वायदे किए थे, उन वायदों को पूरा नहीं कर रहे हैं। गुरुगंथ साहिब की बेअदबी के जो  आरोपी हैं, उनके खिलाफ उन्होंने कार्रवाई नहीं की।इसके अलावा अकाली दल के नेताओं पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। उनसे सहानुभूति और नरमी बरत रहे हैं। इन आरोपों को लेकर के कैप्टन अपनी पार्टी में पिछले 1 साल से घिरते हुए नजर आ रहे थे।

पंजाब में नशाखोरी और ड्रग्स बहुत बड़ी समस्या है,और नशे के कारोबारियों के कोई बड़ी कार्यवाही ना होना। यह चीजें कैप्टन के खिलाफ गई .
पंजाब के किसानों के मुद्दे हैं। बिजली की समस्या है।बिजली के महंगें बिल और एक वजह यह भी है कि आम आदमी पार्टी जिस तरीके से बिजली के मुद्दों को उठा रही है, आम आदमी पार्टी ने 300 युनिट फ्री बिजली देने का वादा किया। जिस वजह से कांग्रेस के कुछ विधायकों में बेचैनी थी और पंजाब में इसको लेकर के कैप्टन घिरते हुए नजर आ रहे थे। 
कैप्टन की नाराजगी के बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बना दिया। उसके बाद जो कैप्टन अमरिंदर सिंह खेमे के विधायक भी मैं धीरे धीरे नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे में आने लग गये और कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी ही सरकार में और अपनी पार्टी में कमजोर पड़ने लग गये।
यह बात भी काफी हद तक सही है की कैप्टन अमरिंदर सिंह अब पहले की तरह लोकप्रिय नहीं रहे और जनता भी उनको उतना पसंद नहीं करती। जितना पहले करती थी और कहीं ना कहीं कांग्रेस को ऐसा लग रहा था कि कैप्टन के नाम पर फिर से पंजाब में चुनाव जीतना आसान नहीं होगा. 
शाइनिंग इंडिया न्यूज़ और शाइनिंग इंडिया सर्वे के एडिटर इन चीफ ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले की तरह पंजाब में लोकप्रिय नहीं है। जनता इस बार उनसे नाराज हैं क्योंकि उन्होंने जो 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान जो बड़े वादे किए थे, उन में से करीबन 80% वायदे को उन्होंने पूरा किया है। लेकिन गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का बड़ा मामला है। आरोपियों के खिलाफ कोई बडी़ कार्यवाही नहीं हुई और ड्रग माफिया और नशाखोरी के कारोबारीयों पर कोई बड़ी कार्यवाही नहीं हुई और दूसरी बात यह है कि काफी लोगों का ऐसा लग रहा था कि कैप्टन साहब शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के प्रति नरमी बरत रहे हैं और उनके उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहे, जो उन पर आरोप लग रहे थे। इस वजह से कैप्टन अमरिंदर सिंह की विदाई तय थी।

कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब ही नहीं पूरे भारत में बहुत सीनियर और सम्मानित नेता है। दो बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं। सांसद रहे हैं। केंद्र में मंत्री रहे हैं और पिछले 52 वर्षों से उनका राजनीतिक कैरियर रहा है और पंजाब के लिए बहुत कुछ किया है। कैप्टन साहब ने इस बात से नकारा नहीं जा सकता। काफी अच्छे कार्य भी कीये है पंजाब में।

इस्तीफा देने के बाद में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने टीवी चैनलों से बात करते हुए यह बात बार- बार दोहराई कि नवजोत सिंह सिद्धू अगर पंजाब का मुख्यमंत्री बनता है तो मैं उसका विरोध करूंगा, क्योंकि नवजोत सिद्धू के पाकिस्तान के PM से दोस्ताना संबंध है और यह एक नेशनल सिक्योरिटी का मामला बन सकता है।

Bureau Report

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