देहरादून: उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीत दिलाने वाले पुष्कर सिंह धामी लगातार दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. शपथ ग्रहण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा सहित कई अन्य केंद्रीय नेता मौजूद रहेंगे. उत्तराखंड प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने बताया शपथ ग्रहण समारोह में उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के भी शामिल होने की संभावना है.
बीजेपी को मिला दो-तिहाई बहुमत, लेकिन धामी हारे
उत्तराखंड में हाल ही में संपन्न हुए विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 70 में से 47 सीट पर जीत हासिल किया और दो-तिहाई से अधिक बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता में आई. भाजपा ने अपने गठन के बाद से राज्य में लगातार दूसरी बार सत्ता बरकरार रखने वाली एकमात्र पार्टी बनकर इतिहास रच दिया. चुनाव में भाजपा की जीत हुई लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सींह धामी खुद खटीमा से हार गए. वह दो बार खटीमा से विधायक रहे, लेकिन इस बार चुनाव हार गए. हालांकि इसके बावजूद बीजेपी ने उनपर भरोसा जताया और मुख्यमंत्री पद के लिए आगे किया. देहरादून में सोमवार को एक बैठक में भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में चुने जाने के बाद, मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार धामी ने राज्यपाल से मुलाकात की और राज्य में सरकार बनाने का आधिकारिक दावा पेश किया.
पिछले साल मुख्यमंत्री बने थे पुष्कर सिंह धामी
पिछले साल 4 जुलाई को पुष्कर सिंह धामी ने तीरथ सिंह रावत की जगह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, जिन्होंने त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद छह महीने के आवश्यक समय के भीतर विधान सभा के लिए निर्वाचित नहीं होने के कारण इस्तीफा दे दिया था. पुष्कर सिंह धामी कई सालों तक आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी में विभिन्न पदों पर काम किया है. उन्होंने दो कार्यकालों के लिए उत्तराखंड में भाजपा युवा विंग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है.
6 महीने के अंदर धामी को बनना होगा विधायक
मुख्यमंत्री बनने के बाद पुष्कर सिंह धामी को अगले 6 महीने के अंदर विधान सभा का सदस्य बनना होगा. अब पार्टी को इस पर माथापच्ची करनी होगी कि पुष्कर सिंह धामी को किस सीट से और कैसे चुनाव लड़ाया जाए. संविधान के अनुच्छेद 164(4) में प्रावधान किया गया है कि कोई शख्स यदि विधानमंडल का सदस्य नहीं है, तो वह 6 महीने से ज्यादा मंत्री पद पर नहीं रह सकता है. ऐसे में उन्हें 6 महीने के भीतर सदन की सदस्यता लेनी होगी. अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है.
Bureau Report
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