गुवाहाटी: असम में एनआरसी का मुद्दा एक बार फिर गरमा सकता है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आज राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की समीक्षा कर नए सिरे से बनाए जाने की मांग कर दी है। गुवाहाटी में एक कार्यक्रम में सरमा ने कहा कि आल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के साथ हमारी चर्चा चल रही है और जल्द ही कुछ इसपर कुछ निर्णय पर आ सकते हैं।
कृषि मंत्री ने की थी सुप्रीम कोर्ट जाने की बात
इससे पहले गुरुवार को असम के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने भी एनआरसी का मुद्दा उठाया था और इसके पुन: सत्यापन के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही थी। बोरा ने बताया था कि उनकी आल असम स्टूडेंट्स यूनियन और अन्य स्वदेशी संगठन के साथ बैठक हुई है जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि हम एनआरसी की सूची को स्वीकार नहीं करेंगे जो अगस्त 2019 में प्रकाशित हुई थी।
अवैध बांग्लादेशी के नाम सूची मेंः AASU
दूसरी ओर आसू के सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा है कि कई अवैध बांग्लादेशी लोगों के नाम इस एनआरसी की अंतिम सूची में शामिल हैं और हम एक अवैध बांग्लादेशी मुक्त एनआरसी चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एनआरसी सूची का पुन: सत्यापन ही इस समस्या का हल निकाल सकता है। भट्टाचार्य ने केंद्र और राज्य दोनों से आग्रह किया की सही एनआरसी के लिए वह भी सुप्रीम कोर्ट का रुख करे।
यह है एनआरसी की कहानी
बता दें कि एनआरसी भारतीय नागरिकों के नाम वाला एक रजिस्टर है, जिसे केवल 1951 में तैयार किया गया था। अवैध अप्रवासियों को बाहर निकालने के लिए इसे अभी तक असम के लिए अपडेट किया जा रहा है। गौरतलब है कि जब 30 जुलाई 2018 को एनआरसी का मसौदा प्रकाशित किया गया था, जिसमें से 40.7 लाख लोगों को बाहर करने पर भारी विवाद हुआ था। एनआरसी के मसौदे में कुल 3.29 करोड़ आवेदनों में से 2.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल थे। इसके बाद नागरिकों की नई अपडेट सूची अगस्त 2019 में प्रकाशित हुई थी, जिसमें 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19.06 लाख लोगों को बाहर रखा गया था।
Bureau Report
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