नईदिल्ली: 29 सितंबर 2008 को मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में अभियोजन पक्ष के की ओर से पेश किए गए 20वें गवाह जो एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी हैं, उन्होंने आरोपी कर्नल प्रसाद पुरोहित को कोर्ट में पहचानने से इनकार कर दिया। गवाह ने अपने बयान में दावा किया महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ता (एटीएस) को ऐसा कोई बयान नहीं दिया था कि वो मामले में गवाह के तौर पर पेश किया जाए।
मिली जानकारी के अनुसार, बुधवार को एनआईए ने विस्फोट मामले में अभियोजन पक्ष के 245वें गवाह को विशेष अदालत के समक्ष पेश किया। विशेष लोक अभियोजक अविनाश रसाल द्वारा अपने परीक्षा-इन-चीफ के दौरान, गवाह ने दावा किया कि उसने एटीएस को कभी कोई बयान नहीं दिया था। जब उनसे पूछा गया कि क्या इस मामले में कोई आरोपी अदालत में मौजूद है, तो गवाह ने विशेष एनआईए न्यायाधीश प्रशांत आर सित्रे को सूचित किया कि वह अदालत में मौजूद किसी को नहीं जानता है, उस वक्त कोर्ट रूम में ब्लास्ट का आरोपी कर्नल प्रसाद पुरोहित अदालत में मौजूद था।
इससे पहले गवाह ने 7 मार्च 2009 को महाराष्ट्र एटीएस को तीन पन्नों का बयान दिया था, जिसने शुरू में मामले की जांच की थी। उनका बयान सितंबर 2008 में नासिक के देवलाली में पुरोहित की यात्रा और चतुर्वेदी के देवलाली में किराए के कमरे से संबंधित था, जहां विस्फोट के लिए इस्तेमाल किए गए विस्फोटक उपकरण को कथित रूप से इकट्ठा किया गया था।
गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में बंधा विस्फोटक उपकरण फट जाने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे। मामले में पुरोहित और चतुर्वेदी के अलावा, भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी बम विस्फोट की साजिश रचने के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। मामले की सुनवाई 2 नवंबर, 2018 को शुरू हुई और अभियोजन पक्ष ने 286 गवाहों की सूची दी, जिसमें डॉक्टर, पुलिस अधिकारी, फोरेंसिक विशेषज्ञ और पंच गवाह शामिल हैं।
Bureau Report
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