जयपुर: राजस्थान के करौली में दो अप्रैल को हुए उपद्रव में अपनी ढ़ाई साल की बेटी की जान बड़ी मुश्किल से बचने से विनिता अग्रवाल खुश तो है, लेकिन उनकी आंखों के सामने अब भी वह डरावती तस्वीरें आ जाती हैं, जिनमें उपद्रवी दुकानों और घरों को आग लगा रहे थे। विनिता का कहना है कि वह अपनी रिश्तेदार और बेटी पीहू के साथ बाजार में साड़ी और चूडियां खरीदने गए थे। इस बीच अचानक शाम करीब साढ़े पांच बजे जिस दुकान से चूडिंया खरीद रहे थे, उस दुकानदार ने हमें दुकान से बाहर निकाल दिया और कहा, रैली आ रही है। कुछ ही देर में लगभग सभी दुकानें बन्द हो गई। बाजार से बचकर भाग रहे लोग एक घर के अन्दर चले गए।
विनिता बोली, हम भी लोगों के साथ एक घर में घूस गए। बाहर से पथराव और आगजनी की आवाज आ रही थी। लोग चिल्ला रहे थे। पति और अन्य स्वजन भी बाजार में थे। उनका मोबाइल पर फोन आया और कहा कि हम लेने आते हैं। उन्होंने हमारा पता पूछा, लेकिन मैने इसलिए नहीं बताया, क्योंकि मुझे उनकी जान की चिंता थी। भय इस बात का था कि कहीं उपद्रवी उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा दे। जिस घर में छिपे थे, उसकी खिड़की में से देखा तो चारों तरफ भयानक नजारा था। सिर पर टोपी और मास्क पहन लोग जो दिखाई दे रहा उस पर लोहे के सरिए और तलवारों से हमला कर रहे थे। कुछ देर में उपद्रवी वहां से निकले। फिर कुछ देर बाद पुलिस की गाड़ी पर लगे माइक से आवाज आई कि जो घरों में है वह बाहर आ जाएं, घबराए नहीं। पुलिस चारों तरफ तैनात है।
विनिता ने बताया कि माइक से पुलिसकर्मी की आवाज सुनकर हम घर के दरवाजे पर आए तो एक कान्स्टेबल आया और उसने बेटी को अपनी गोद में लिया और हमें सुरक्षित निकाल कर पुलिस की गाड़ी तक ले गया। विनिता का कहना है कि कान्स्टेबल नेत्रेश शर्मा हमारे लिए भगवान से कम नहीं थे, जिसने हमारी जान बचाई।
Bureau Report
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