पाकिस्तान और अमेरिका के राजनयिक सोमवार को आमने-सामने आ गए। दरअसल, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की बैठक के दौरान दिए गए एक संयुक्त बयान पर अमेरिकी दूतावास के उप प्रमुख को तलब किया। इसके बाद अमेरिका ने भी पाकिस्तान को कड़े शब्दों में जवाब देकर आंतक खिलाफ कार्रवाई तेज करने की हिदायत दे डाली।
आइये जानते हैं कि आखिर हुआ क्या है?
पिछले दिनों अमेरिका में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की बड़ी मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय मुद्दों से लेकर वैश्विक मसलों पर खुलकर बात की। इस बीच दोनों वैश्विक नेताओं की आतंकवाद पर टिप्पणी से पाकिस्तान बौखला गया और सोमवार को अमेरिकी दूतावास के उप प्रमुख को तलब कर लिया।
इस दौरान विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका को ऐसे बयान जारी करने से परहेज करना चाहिए जो पाकिस्तान के खिलाफ भारत के बेबुनियाद और राजनीतिक रूप से प्रेरित एजेंडे को बढ़ावा देते हों। इस बात पर भी जोर दिया गया कि आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान और अमेरिका का सहयोग आगे बढ़ रहा है और दोनों देशों के संबंध और मजबूत होने के लिए विश्वास भरा माहौल बनाना जरूरी है।
पाकिस्तान की आपत्ति पर अमेरिका ने क्या प्रतिक्रिया दी?
मामले में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैट मिलर ने कहा कि यह बात सच है कि पाकिस्तान ने आतंकवादी समूहों का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन वाशिंगटन ने हमेशा इसे लेकर और अधिक कदम उठाए जाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद सहित सभी आतंकी समूहों को जड़ से खत्म करने के लिए जरूरी और सख्त कदम उठाता रहे। अमेरिका अपने इस रुख पर भी लगातार कायम रहे हैं। हम इस मुद्दे को पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ नियमित रूप से उठाते रहेंगे।
पाकिस्तान की आपत्ति की वजह क्या थी?
दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका और भारत के एक संयुक्त बयान का जिक्र करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री और सेवानिवृत्त पाकिस्तानी सेना जनरल कमर जावेद बाजवा का मजाक उड़ाया था। इमरान ने बाजवा की दोनों की ‘अनगिनत यात्राओं’ की प्रभावशीलता पर सवाल उठाया।
शुक्रवार को एक ट्वीट में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ नेता ने लिखा, ‘जनरल बाजवा ने अपने पीडीएम साथियों के साथ दावा किया कि मैंने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर दिया है। सवाल हम उनसे और पीडीएम से पूछना चाहते हैं कि एक साल की सरकार और पाकिस्तान के विदेश मंत्री की अमेरिका की अनगिनत यात्राओं के बाद भारत-अमेरिका के संयुक्त बयान से पाकिस्तान भारत में सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला बन गया है और इससे ज्यादा कुछ नहीं।’
उन्होंने कहा, ‘अब आयातित सरकारी प्रयोग ने न केवल पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अप्रासंगिक बना दिया है, बल्कि हमारा लोकतंत्र, कानून का शासन और संपूर्ण आर्थिक और संस्थागत ढांचा भी हमारी आंखों के सामने ढह रहा है।’
आखिर क्या था मोदी-बाइडन का बयान?
पीएम मोदी और बाइडन के बीच बैठक के बाद अमेरिका और भारत ने एक संयुक्त बयान में कहा था कि वह वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक साथ खड़े हैं और अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं।
राष्ट्रपति बाइडन और प्रधान मंत्री मोदी ने अल-कायदा, आईएसआईएस, लश्कर ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्ब उल-मुजाहिदीन सहित सभी संयुक्त राष्ट्र-सूचीबद्ध आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने को कहा था।
बयान में कहा गया, ‘दोनों न नेताओं ने सीमा पार आतंकवाद, प्रॉक्सी आतंकवादियों के इस्तेमाल की कड़ी निंदा की और पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया कि उसके नियंत्रण वाले किसी भी क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी हमले शुरू करने के लिए न किया जाए। उन्होंने 26/11 मुंबई और पठानकोट के अपराधियों को जिम्मेदार ठहराया। गुनहगारों को न्याय के कठघरे में लाया जाएगा। उन्होंने आतंकवादी उद्देश्यों के लिए मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी), ड्रोन और सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों के बढ़ते वैश्विक उपयोग पर चिंता व्यक्त की और इस तरह के दुरुपयोग से निपटने के लिए मिलकर काम करने के महत्व की पुष्टि की।’
Bureau Report
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