भारतीय रुपये का दुनिया में डंका: कई देशों ने भारतीय करंसी में लेनदेन को दी मंजूरी, जानें इससे आपको क्या फायदा

भारतीय रुपये का दुनिया में डंका: कई देशों ने भारतीय करंसी में लेनदेन को दी मंजूरी, जानें इससे आपको क्या फायदा

श्रीलंका की सरकार ने भी भारतीय रुपया को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में मंजूरी दे दी है। अब भारत और श्रीलंका के बीच भारतीय मुद्रा में व्यापार हो सकेगा। यही नहीं, भारतीय नागरिक श्रीलंका में पर्यटन के लिहाज से भी भारतीय मुद्रा का उपयोग कर पाएंगे।

श्रीलंका पहला देश नहीं है, जिसने इस तरह से भारतीय मुद्रा को अपने यहां मान्यता दी है। इसके पहले भी कई देश भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दे चुके हैं। इससे साफ है कि भारतीय रुपया का दुनियाभर में बोलबाला बढ़ने लगा है। यूं कहें कि अब भारतीय मुद्रा डॉलर और पाउंड को टक्कर देने की तैयारी में है तो गलत नहीं होगा।

आइए जानते हैं कि भारतीय मुद्रा का किस तरह से दुनियाभर में नाम हो रहा है? अब तक कितने देशों ने भारतीय मुद्रा में व्यापार को मंजूरी दी है? कितने देशों में वोस्ट्रो खाते खुलने लगे हैं? इसका आम लोगों को क्या फायदा मिलेगा? 

पहले जानिए भारत क्यों भारतीय मुद्रा को आगे बढ़ा रहा है?
अभी अमेरिकी डॉलर दुनिया की सबसे ताकतवर मुद्रा है। कुल वैश्विक व्यापार में इसकी हिस्सेदारी 80 फीसदी के करीब है। मतलब दुनियाभर में होने वाले कारोबार में 80 फीसदी से ज्यादा का लेनदेन डॉलर में ही होता है। भारत समेत दुनियाभर के कई देश विदेशी आयात-निर्यात के लिए डॉलर पर ही निर्भर रहते थे। अगर उन्हें किसी दूसरे देश से कुछ खरीदना है या बेचना है तो डॉलर में ही भुगतान करना पड़ता है। इसीलिए इसे दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी माना जाता है। अब इसमें बदलाव होना शुरू हो गया है। कई देशों ने भारतीय मुद्रा में लेनदेन की मंजूरी दे दी है। इससे डॉलर पर निर्भरता घटेगी और रुपया अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत होगा। भारत के साथ रुपये में व्यापार करने में दिलचस्पी दिखाने वाले ज्यादातर देश, विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की कमी का सामना कर रहे हैं। 

अब तक कितने देशों ने भारतीय मुद्रा में लेनदेन को मंजूरी दी?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के मुताबिक, दुनियाभर के 64 देश भारत के साथ रुपए में व्यापार करने के लि बातचीत कर रहे हैं। इसमें जर्मनी, इस्राइल जैसे बड़े देश शामिल हैं। पहली बार यूरोपीय यूनियन में शामिल देश जर्मनी एशिया की किसी मुद्रा यानी भारतीय मुद्रा रुपये के साथ व्यापार करने के लिए आगे आया है। 

अगर 30 देशों के साथ भारत का रुपये में कारोबार शुरू हो गया तो फिर रुपया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बन जाएगा। रूस और श्रीलंका के साथ-साथ चार अन्य अफ्रीकी देश इसके लिए मंजूरी दे चुके हैं। इसके अलावा 17 ऐसे देश हैं, जहां भारत ने वोस्ट्रो खाते खोले हैं। ये दूसरे देशों के साथ रुपये में बिजनेस के लिए अनिवार्य है। इन 17 देशों में 12 भारतीय बैंकों को मंजूरी दी गई है। इस लिस्ट में भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, यस बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं। इसके बाद अगर कोई भारतीय खरीदार किसी विदेशी व्यापारी के साथ रुपये में लेन-देन करना चाहता है तो सारी रकम वोस्ट्रो खाते में जमा की जाएगी। जब भारतीय निर्यातक को सप्लाई किए गए सामान के लिए भुगतान करने की जरूरत होगी तो इस वोस्ट्रो खाते से कटौती की जाएगी और पैसा निर्यातक के खाते में जमा किया जाएगा। 

भारत और भारतीय लोगों को क्या फायदा होगा? 
आर्थिक मामलों के जानकार प्रो. प्रह्लाद कहते हैं, ‘अभी तक दूसरे देशों से व्यापार के दौरान डॉलर खर्च करना पड़ता था। इसके चलते विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की कमी भी होने लगती है। इसी के चलते देश की आर्थिक विकास दर में गिरावट भी होती है और कर्ज भी बढ़ता है। लेकिन दूसरे देशों से रुपये में लेन-देन से भारतीय व्यापार पर कम खतरा होगा। कच्चे तेल समेत जो भी उत्पाद दूसरे देशों से आयात किया जाता है, उसका भुगतान रुपये के माध्यम से किया जाएगा। इससे हर साल अरबों डॉलर बचेंगे। मुद्रा की अस्थिरता से सुरक्षा मिलेगी। इससे कारोबार की लागत घटेगी और व्यापार का बेहतर तरीके से विकास होगा। यही नहीं, डॉलर समेत विदेशी मुद्रा भंडार रखने की जरुरत भी कम होगी। विदेशी मुद्रा खासकर डॉलर पर निर्भरता घटने से भारत पर बाहरी प्रभावों का कम असर होगा।’  

उन्होंने आगे कहा, ‘रुपये में व्यापार बढ़ने के साथ ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को भारतीय मुद्रा के लिए खरीदार तलाशने की जरूरत नहीं होगी। इससे भारतीय रुपये की डिमांड में इजाफा होगा। विदेशी बैंकों को कंवर्जन फीस नहीं भेजने से जो रकम जमा होगी वो देश के भीतर काम आएगी।’ 

प्रो. प्रह्लाद के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुपये के इस्तेमाल से आम आदमी को भी कई लाभ होंगे। इसमें सबसे बड़ा फायदा महंगाई से मिलेगा। कई उत्पाद सस्ते हो सकते हैं। भारत और अन्य देशों के बीच खाने के तेल, ड्राई फ्रूट्स, गैस, कोयला, दवाएं समेत कई चीजों का व्यापार होता है। रुपये में ट्रेड होने से एक्सचेंज रेट का रिस्क नहीं रहेगा और कारोबारी बेहतर बार्गेनिंग करते हुए सस्ते में डील फाइनल कर सकते हैं। इससे वह सामान आम आदमी तक सस्ते में पहुंचेगा।

Bureau Report

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