समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कासगंज में कहा कि कारसेवकों पर तत्कालीन सरकार ने संविधान और कानून की रक्षा के लिए अराजक तत्वों पर देखते ही गोली मारने के आदेश दिए थे। उस समय तत्कालीन सरकार ने अपना कर्तव्य निभाया था।
दरअसल, समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य मंगलवार को बौद्ध एकता समिति की ओर से गनेशपुर में आयोजित बौद्ध जन जागरूकता सम्मेलन में मौजूद लोगों को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस समय कारसेवकों पर गोली चलवाने का आदेश जारी किया गया था, उस समय तत्कालीन सरकार अपने फर्ज को निभा रही थी। वह अपने कर्तव्य का पालन कर रही थी।
समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिस समय अयोध्या में राम मंदिर पर घटना घटी थी, वहां पर बिना किसी न्यायपालिका और प्रशासनिक के आदेश के बड़े पैमाने पर आराजतक तत्वों ने तोड़फोड़ कर दी थी। इस पर तत्कालीन सरकार ने संविधान और कानून की रक्षा के लिए, अमन और चैन कायम करने के लिए गोलियां चलवाई थीं।
अब से 33 साल पहले सन् 1990 में अयोध्या के हनुमान गढ़ी जा रहे कारसेवकों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गईं थीं। उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी, मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे। उन दिनों प्रशासन ने अयोध्या में कर्फ्यू लगाया हुआ था, इसके चलते श्रद्धालुओं को एंट्री नहीं दी जा रही था, लेकिन फिर भी साधु-संत अयोध्या की तरफ कूच कर रहे थे। बाबरी मस्जिद के 1.5 किलोमीटर के दायरे में पुलिस ने बैरिकेडिंग की हुई थी। इसी दौरान कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई थी।
गोली लगने से पांच की हुई थी मौत
30 अक्तूबर, 1990 को पहली बार कारसेवकों पर गोलियों चलीं। गोली लगने से पांच की मौत हो गई थी। इसके बाद से अयोध्या से देशभर का माहौल गर्मा गया था। गोलीकांड के दो दिन बाद ही दो नवंबर को हजारों कारसेवक हनुमान गढ़ी के पास पहुंच गए। इस घटना के दो साल बाद छह दिसंबर, 1992 में विवादित ढांचे को गिरा दिया गया। सन् 1990 में हुए गोलीकांड के 23 साल बाद जुलाई 2013 में मुलायम सिंह ने एक बयान दिया था, इस बयान में उन्होंने कहा था कि उन्हें गोली चलवाने का अफसोस है, लेकिन उनके पास अन्य कोई विकल्प मौजूद नहीं था।
Bureau Report
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