पिछले साल रामकथा के फिल्मी संस्करण ‘आदिपुरुष’ देखकर मायूस हुए रामभक्तों के लिए इस साल के पहले महीने में ही रिलीज हुई है फिल्म ‘हनुमान’। ‘आदिपुरुष’ के 600 करोड़ रुपये के बजट के मुकाबले इसका पांच फीसदी बजट भी नहीं है ‘हनुमान’ का। लेकिन, कम्प्यूटर ग्राफिक्स, स्पेशल इफेक्ट्स, कहानी, संवादों और संगीत में ये फिल्म उससे कहीं बेहतर है। ये कहानी है हनुमान की जन्मस्थली अंजनाद्रि की, जहां इंद्र के वज्र के प्रहार से हनुमान की ठुड्डी से गिरी रक्त की एक बूंद नदी की तलहटी में खुली सीप के भीतर जाकर रुद्रमणि बन चुकी है। ये रुद्रमणि जब अंजनाद्रि गांव के एक टप्पेबाज छोकरे को मिलती है तो क्या कुछ गुल खिलते हैं, इसी की कहानी है फिल्म ‘हनुमान’। युवा निर्देशक प्रशांत वर्मा ने इस फिल्म में इसकी सीक्वल ‘जय हनुमान’ की भी एलान किया है, जो अगले साल रिलीज होगी।
नायक से पहले खलनायक का किस्सा
फिल्म ‘हनुमान’ के टीजर ने बीते साल इंटरनेट पर खूब सनसनी जगाई थी। फिल्म का ट्रेलर भी उत्सुकता जगाने वाला रहा। लेकिन, बाल कलाकार के रूप में अपनी अभिनय यात्रा शुरू करने वाले तेजा सज्जा को लेकर दर्शकों के मिश्रित भाव ही रहे। अब फिल्म सिनेमाघरों में पहुंच चुकी है और इसकी समीक्षा में आगे बढ़ने से पहले ही ये बता देना जरूरी है कि ये फिल्म एक संपूर्ण पारिवारिक मनोरंजन चित्र है। बच्चों के साथ इसे सिनेमाघरों में देखा जा सकता है। ये फिल्म भारतीय सिनेमा के एक नए सुपरमैन की ऐसी कहानी है जिसमें विलेन भी सुपरमैन बनना चाहता है और उसका साथी बात बात में ‘शजाम’ भी बोलता रहता है। फिल्म की अंतर्धारा एक प्रेम कहानी है और दक्षिण में एक ऐसे काल्पनिक गांव अंजनाद्रि में घटती है जिसके पास बहती नदी के दूसरे छोरे पर हनुमान की एक विशाल मूर्ति गांव को देखती सी दिखती है।
हिंदी सिनेमा की फिजूलखर्ची का जवाब
सुपरमैन वाली फिल्मों में भारतीय सिनेमा में कृष फ्रेंचाइजी की फिल्मों का खासा नाम रहा है। ऋतिक रोशन जैसे सुपरस्टार के कंधों पर सजी ये फ्रेंचाइजी फिलहाल सुस्त पड़ी है। वजह? इसके निर्माता-निर्देशक राकेश रोशन कहते हैं कि इसकी अगली फिल्म का कम से कम बजट हजार करोड़ रुपये होना चाहिए। मुंबई फिल्म जगत की लफ्फाजियों से दूर कुछ उभरते कंप्यूटर ग्राफिक्स की मदद से बनी फिल्म ‘हनुमान’ सिर्फ राकेश रोशन की चिंताओं का ही जवाब नहीं है, ये हिंदी में स्पेशल इफेक्ट्स से लैस फिल्में बनाते रहे यशराज फिल्म्स, डिज्नी स्टूडियोज और टी सीरीज जैसी फिल्म कंपनियों की भी वेकअप कॉल है। फिल्म ‘हनुमान’ सिर्फ 25 करोड़ रुपये में बनी फिल्म बताई जाती है और ये फिल्म देखने के बाद कहीं से भी ये फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’, ‘आदिपुरुष’, ‘वॉर’, ‘पठान’ और ‘एनिमल’ के स्पेशल इफेक्ट्स से कमजोर नहीं दिखती।
कथा रुद्रमणि के प्रताप की
फिल्म ‘हनुमान’ शुरू होती है बैंक डकैती की एक वारदात से, जिसे रोकने के लिए काले कपड़ों वाला एक सुपरमैन माइकल प्रकट होता है। उसने तकनीक के सहारे शक्तियां पाई हैं। उसका जोड़ीदार सिरी उसे सुपरमैन एम बनाने में मदद कर रहा है। और, कहीं दूर एक गांव में एक लड़का अपनी गुलेल से पेड़ों पर उछलकूद करते बंदर से कंपटीशन कर रहा है। घर उसकी बड़ी बहन चला रही है जो हर शादी से इसलिए इंकार करती रहती है क्योंकि उसे अपने भाई की बहुत फिक्र है। भाई उसका हथलपका है। बचपन से वह जिसे प्रेम करता आया है, वह युवती डॉक्टरी की पढ़ाई करके गांव लौटी है और अपने इस प्रेमी से अनजान है। एक घनघोर रात को अपनी इस प्रेमिका को डकैतों से बचाने के प्रयास में जब वह मरणासन्न हालत में नदी में फेंका जाता है तो तलहटी में उसे मिलती है रुद्रमणि। रुद्रमणि की रक्षा त्रेता युग से विभीषण करते आए हैं। इस मणि में देवों और असुरों के भीषण संग्राम की गाथा है और इसे पाने के लिए माइकल हर जतन करता है। कहानी एक ऐसे रोचक मोड़ पर आकर थमती है, जहां भविष्य के अनिष्ट की आशंकाएं इसकी सीक्वल का आधार बनाती हैं।
स्पेशल इफेक्ट्स फिल्मों का नया प्रस्थान बिंदु
हिंदी अखबारों में ‘अमर उजाला’ ने ही सबसे पहले फिल्म ‘हनुमान’ के निर्देशक प्रशांत वर्मा से बीते साल एक्सक्लूसिव बातचीत की थी और तभी प्रशांत वर्मा ने न सिर्फ अपने सिनेमैटिक यूनिवर्स के बारे में विस्तार से बताया था बल्कि ये भी बताया था कि कैसे बहुत कम लागत में वह ये फिल्म तैयार करते आ रहे हैं। उनकी सिनेमाई दुनिया के क्रम के अनुसार ‘हनुमान’ के बाद फिल्म ‘अधीरा’ आनी है लेकिन अब ये फिल्म ‘जय हनुमान’ से पहले आएगी या बाद में, देखना दिलचस्प रहेगा। ‘कल्कि’, ‘अद्भुतम’ और ‘जॉम्बी रेड्डी’ जैसी फिल्मों में अपना कौशल दिखा चुके प्रशांत की नई फिल्म ‘हनुमान’ हिंदी सिनेमा का वह प्रस्थान बिंदु है जहां पौराणिक कथाओं के किस्से लेकर आज के समय की काल्पनिक कथाएं गढ़ने का एक नया संदर्भ बिंदु बनता नजर आ रहा है। बतौर, लेखक और निर्देशक प्रशांत वर्मा ने एक ऐसी तेलुगु फिल्म बनाई है जिसके टीजर ने इस फिल्म को हिंदी, तमिल, कन्नड़, मलयालम और मराठी जैसी देसी भाषाओं के अतिरिक्त स्पैनिश, चीनी, कोरियाई और तमाम दूसरी विदेशी भाषाओं में भी इसे डब करके मूल फिल्म के साथ ही रिलीज करने का मार्ग प्रशस्त किया।
प्रशांत वर्मा के प्रताप का बेहतरीन नमूना
फिल्म ‘हनुमान’ को प्रशांत वर्मा ने एक ऐसी सुपरहीरो फिल्म के रूप में बनाया है जिसे पूरा परिवार बच्चों के साथ देख सके। फिल्म के हिंदी संवाद भी रुचिकर हैं, खासतौर से हनुमंत और कासी के बीच होने वाले मजाकिया संवाद। प्रशांत वर्मा ने पूरी फिल्म में किरदारों के रंग रूप उनके चरित्र के हिसाब से ही रखे हैं। हनुमंत का किरदार बहुत ही बेखबर किस्म के युवा का है जिसे जिंदगी से ज्यादा कुछ पड़ी नहीं है। उसका प्रेम बहुत ही निश्छल है। और, प्रेमिका उसकी बहुत खूबसूरत तो है लेकिन वह सामाजिक कार्यों के लिए भी उतनी ही उत्सुक रहती है। हनुमंत की बहन का शरीर सौष्ठव उसे अपने भाई की रक्षा करने वाले दृश्य में उसकी मजबूती बनकर सामने आता है। प्रशांत वर्मा की ये निर्देशकीय दृष्टि ही फिल्म ‘हनुमान’ को एक मनोरंजक फिल्म बनाती है।
तेजा सज्जा और अमृता के अनूठे अंदाज
हनुमंत के किरदार में तेजा सज्जा ने फिल्म में बहुत ही अच्छा काम किया है। बचपन से गुलेल का शौकीन हनुमंत अपने इस हुनर को जिस तरह से प्रयोग में लाता है, उसे कहानी में तो अच्छे से बुना ही गया है, तेजा सज्जा ने इस गुलेल को अपने किरदार का हिस्सा बनाने में भी बहुत सहज प्रयास किए हैं। उनके हाव भाव खासतौर से प्रशंसनीय हैं। प्रेम के दृश्यों में उनकी सरलता और एक्शन दृश्यों में भावों की विकटता लाने में वह पूरी तरह से सफल रहे हैं। अमृता अय्यर ने भी अपने किरदार मीनाक्षी को अच्छे से निभाया है। माइकल के रूप में विनय राय, सिरी के किरदार में वेन्नेला किशोर और अंजम्मा के किरदार में वरलक्ष्मी शरतकुमार ने पूरा ताना बाना रचने में खूब मदद की है। लेकिन, फिल्म में दो उल्लेखनीय किरदार साउथ सिनेमा के दो मशहूर कॉमेडियन सत्या और बोडुपल्ली श्रीनु उर्फ गेटअप श्रीनु ने निभाए हैं। दोनों का अभिनय फिल्म में हास्य के कुछ बेहद दिलचस्प दृश्य रचते हैं।
प्रचार, प्रसार पर टिका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन
तकनीकी रूप से फिल्म ‘हनुमान’ के सबक भारतीय सिनेमा में फंतासी फिल्मों का बजट आश्चर्यजनक रूप से कम कर सकते हैं। दशरथी शिवेंद्र ने फिल्म की सिनेमैटोग्राफी को इसकी स्पेशल इफेक्ट्स टीम के सामंजस्य से बहुत करीने से डिजाइन किया है। श्रीबाबू तलारी का संपादन भी नोटिस करने लायक है। फिल्म का संगीत इसकी कहानी के हिसाब से मुफीद है। हिंदी संस्करण में एक गाना फिल्म का कैलाश खेर ने गाया है। लेकिन, उनके गायन में भक्ति भाव से ज्यादा एक तरह के अहं की प्रतिध्वनि सुनाई देने लगी है जो उन्हें अपने प्रशंसकों से धीरे धीरे दूर भी कर रही है। इस हफ्ते सिनेमाघरों में नई फिल्मों का पूरा मेला लगा है, लेकिन अगर फिल्म ‘हनुमान’ का हिंदीभाषी राज्यों में अच्छे से प्रचार प्रसार किया गया तो ये साल की पहली सरप्राइज हिट हो सकती है।
Bureau Report
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