चंडीगढ़ में इन दिनों शहरी निकाय चुनाव को लेकर सियासी पारा गर्म है। यहां गुरुवार (18 जनवरी को) नगर निगम के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए मतदान होने थे लेकिन इसे ऐन वक्त पर स्थगित कर दिया गया। दरअसल, पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह की तबीयत अचानक खराब हो गई। इस वजह से चुनाव को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया।
इस चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने साथ मिलकर उम्मीदवार उतारे हैं। मेयर पद के उम्मीदवार आप से हैं तो सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के उम्मीदवार कांग्रेस से हैं। चुनाव स्थगित होने पर आप सांसद राघव चड्ढा ने इसे भाजपा की साजिश करार दिया है।
आइये जानते हैं कि चंडीगढ़ में शहरी निकाय के चुनाव का कार्यक्रम क्या था? यह चुनाव कैसे होना है? किस दल से कौन उम्मीदवार है? कांग्रेस-आप ने गठबंधन क्यों किया? इस चुनाव की कितनी अहमियत है? चुनाव स्थगित होने पर भाजपा और कांग्रेस का क्या कहना है? अब आगे क्या होगा?
चंडीगढ़ में शहरी निकाय के चुनाव का कार्यक्रम क्या था?
चंडीगढ़ में नगर निगम के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए गुरुवार (18 जनवरी) को चुनाव होने थे। सुबह 11 बजे से चंडीगढ़ नगर निगम के पार्षदों को मेयर पद के उम्मीदवारों के लिए वोट डालना था। इसके बाद सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए मतदान होना था, लेकिन सुबह पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह की तबीयत खराब होने की खबर आई। इसके चलते अगली सूचना तक स्थगित कर दिया गया।
गुरुवार सुबह से ही पार्षदों को एक टेक्स्ट संदेश प्राप्त हुआ, जिसमें पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह के खराब स्वास्थ्य की बात लिखी थी। अनिल मसीह को पीठासीन प्राधिकारी के रूप में नामित किया गया था। इसके विरोध में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने विरोध शुरू कर दिया। इससे पहले पदों के लिए संबंधित उम्मीदवारों ने 13 जनवरी को सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे तक नामांकन दाखिल किया था।
चुनाव स्थगित होने पर आप और कांग्रेस ने क्या कहा?
आप के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने कहा कि हम आज भी चुनाव प्रशासन से यही विनती करेंगे कि अगर एक पीठासीन अधिकारी बीमार हुआ है तो दूसरा पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जाए। चुनाव आज निर्धारित थे… भाजपा पहले चुनाव सचिव को बीमार करती है फिर पीठासीन अधिकारी को बीमार करती है और फिर चुनाव रद्द करती है। यह साफ दिखाता है कि भाजपा INDIA गठबंधन से डर गई। इसके साथ ही आप इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट भी पहुंच गई है। आप ने कोर्ट से आज ही दूसरा पीठासीन अधिकारी नियुक्त करके चुनावी प्रक्रिया पूरी कराने की गुहार लगाई है।
वहीं, कांग्रेस नेता और चंडीगढ़ के पूर्व सांसद पवन कुमार बंसल ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि भाजपा ने मेयर चुनाव टालने की मंशा से पीठासीन अधिकारी को अस्पताल में भर्ती कराया है। उन्होंने इसे पूरी तरह से अलोकतांत्रिक काम करार दिया। बंसल ने भी उच्च न्यायालय जाने की बात कही। चुनाव स्थगित होने पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने नगर निगम परिसर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। मौके पर मौजूद चंडीगढ़ पुलिस ने दोनों पर्टियों के कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया है।
भाजपा ने चुनाव स्थगित होने पर क्या कहा?
भाजपा ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर माहौल खराब करने का आरोप लगाया है। भाजपा के दविंदर सिंह बबला ने कहा कि उन्हें भी सुबह ही पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह की तबीयत खराब होने की जानकारी मिली है। उन्हें नहीं पता कि वह किस अस्पताल में भर्ती है। वह पता कर रहे हैं।
यह चुनाव कैसे होगा?
चंडीगढ़ में हर साल मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए चुनाव कराए जाते हैं। इन सभी का कार्यकाल एक साल का ही होता है। इस साल मेयर पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। मेयर पद के चुनाव में जनता वोट नहीं करती है। जनता पार्षद चुनती है जो इस चुनाव में वोट डालते हैं।
चुनाव के चेहरे कौन हैं?
चंडीगढ़ नगर निगम में सत्ताधारी भाजपा की ओर से मनोज सोनकर मेयर पद के उम्मीदवार हैं। वहीं, सीनियर डिप्टी मेयर पद के लिए कुलजीत संधू तो डिप्टी मेयर पद के लिए राजिंदर शर्मा को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है।
इन चुनावों से पहले विपक्षी इंडिया गठबंधन के दलों कांग्रेस और आप ने गठबंधन किया है। इस समझौते के अनुसार, मेयर की सीट के लिए आप की तरफ से कुलदीप कुमार टीटा उम्मीदवार हैं। वहीं, कांग्रेस के गुरप्रीत सिंह गैबी और निर्मला देवी क्रमशः वरिष्ठ डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के पद के लिए चुनाव मैदान में हैं।
कैसा है चंडीगढ़ नगर निगम का समीकरण?
इन चुनावों में चंडीगढ़ के सभी 35 पार्षदों के साथ चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर भी वोट डालेंगी। 35 सदस्यीय चंडीगढ़ नगर निगम में मौजूदा समीरकरण देखें देखें तो भाजपा के पास सबसे ज्यादा 14 पार्षद के साथ एक सांसद का वोट है। चुनाव में पदेन सदस्य के तौर पर चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर का भी वोट है। आप के पास 13 पार्षदों के वोट हैं। इसके बाद कांग्रेस के सात तो अकाली दल का एक पार्षद है।
आप और कांग्रेस में गठबंधन से मेयर चुनाव के सारे समीकरण बदल गए हैं। दोनों में गठबंधन होने पर आप और कांग्रेस के 20 वोट हो जाते हैं, जबकि मेयर बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 19 का है। ऐसे में पिछले कई वर्षों से मेयर की कुर्सी पर बैठी भाजपा की बादशाहत खतरे में है।
निकाय चुनाव में दल बदल कानून न लागू होने के कारण मेयर चुनाव में पार्षदों की तरफ से क्रॉस वोटिंग का अंदेशा रहता है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में क्रॉस वोटिंग और वोट डैमेज घोषित होने से भी चुनाव नतीजे बदलते रहे हैं। डैमेज वोट की गिनती नहीं की जाती और उसे इनवैलिड (अयोग्य) करारा दे दिया जाता है। इन्हीं कारणों से जरूरी बहुमत नहीं होने के बावजूद भाजपा कई बार चुनाव जीत चुकी है।
2022 के अंत में हुए नगर निगम चुनावों में आप ने सबसे ज्यादा 14 सीटें, भाजपा ने भी 14 और कांग्रेस ने छह सीटें जीती थीं, एक पार्षद अकाली दल का जीता था। इस चुनाव से अकाली दल और कांग्रेस अनुपस्थित रहे थे। ऐसे में आप और भाजपा दोनों के उम्मीदवारों को 14-14 पार्षदों ने वोट किया था। भाजपा सांसद किरण खेर के वोट के चलते तीनों पदों पर भाजपा उम्मीदवारों की जीत हुई थी। कोई भी वोट डैमेज वोट नहीं करार दिया गया था।
मई 2023 में आम आदमी पार्टी की पार्षद तरुणा मेहता ने पाला बदलकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इसके बाद चंडीगढ़ नगर निगम में 14 पार्षद वाली भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी। वहीं, आप के पार्षदों की संख्या घटकर 13 हो गई थी। वहीं, छह पार्षदों वाली कांग्रेस के पार्षदों की संख्या बढ़कर सात हो गई थी।
यह चुनाव क्यों अहम है?
चुनाव से पहले आप और कांग्रेस के गठबंधन ने इस लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव इंडिया समूह और भाजपा के बीच पहला चुनावी मुकाबला होगा। आप और कांग्रेस के साथ आने से इस मुकाबले को आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव 2024 लोकसभा चुनाव की नींव रखेगा।
चुनाव तो स्थगित हो गए, अब आगे क्या?
आम आदमी पार्टी इस मामले में कोर्ट पहुंच चुकी है। वहीं, कांग्रेस ने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। हाई कोर्ट अगर याचिका स्वीकार करता है तो हो सकता है कि अब आगे की कार्यवाही के बारे में कोर्ट की तरफ से निर्देश आएं। वहीं, कोर्ट में याचिका स्वीकार नहीं होती है तो भी नया पीठासीन अधिकारी नियुक्त होने के बाद ही चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। भाजपा और विपक्षी आप-कांग्रेस गठबंधन दोनों कह रहे हैं कि उन्हें नहीं पता कि पीठासीन अधिकारी कहां भर्ती हैं। उनकी तबीयत कितनी ज्यादा खराब है ऐसे में अगर पीठासीन अधिकारी जल्द स्वस्थ्य होकर वापस आ जाएं तो वह भी चुनाव करा सकते हैं।
Bureau Report
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