Nirjala Ekadashi 2024: सात साल बाद बन रहा पंचयोग, स्वाति नक्षत्र में निर्जला एकादशी व्रत रखेंगे लोग

Nirjala Ekadashi 2024: सात साल बाद बन रहा पंचयोग, स्वाति नक्षत्र में निर्जला एकादशी व्रत रखेंगे लोग

एकादशियों में श्रेष्ठ निर्जला एकादशी व्रत 18 जून को रखा जाएगा। सात साल बाद इस बार पंच योग और स्वाति नक्षत्र में लोग निर्जला व्रत रखेंगे, जो काफी फलदायी होगा। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। व्रती भगवान श्रीहरि विष्णु का पूजन करेंगे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद घाट से 1008 महिलाएं कलश यात्रा निकालेंगी और बाबा विश्वनाथ मंदिर जलाभिषेक करेंगी। लोकाचार के अनुसार गांवों में भी पूजन होगा।

हिंदू पंचांगों में अलग-अलग नामों से कुल 24 एकादशी पर लोग व्रत और भगवान विष्णु का पूजन-अर्चन करते हैं। इन 24 एकादशियों में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी सबसे श्रेष्ठ होती है। इसे भीमसेनी, पांडव एकादशी भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से सालभर की एकादशियों के व्रत का फल मिल जाता है।

संयोजक निधिदेव अग्रवाल ने बताया कि सुबह राजेंद्र प्रसाद घाट से विश्वनाथ मंदिर तक सुप्रभातम संस्था की ओर से कलशयात्रा निकालकर बाबा का अभिषेक किया जाएगा। कलश शोभायात्रा में डमरू के निनाद के साथ भगवान शिव-पार्वती के स्वरूप और नंदी की झांकी रहेगी।

शुभ मुहूर्त

ज्योतिष विमल जैन एवं आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि इस बार स्वाती नक्षत्र और जययोग, त्रिपुष्कर, रवि, शिव, ध्वज योग बन रहा है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून (सोमवार) को 5:11 बजे पर लगेगी, जो 18 जून (मंगलवार) को सुबह 6:26 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर निर्जला एकादशी व्रत 18 जून को रखा जाएगा। वहीं, स्वाती नक्षत्र सोमवार को दोपहर 1:51 बजे से अगले दिन शाम 3:57 बजे मिनट तक रहेगा।

इस दौरान भगवान विष्णु का ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जप करना चाहिए। गो, वस्त्र, छत्र, फल आदि का दान करना चाहिए। व्रती को घड़े का दान करना काफी फलदायी है। भक्तिभाव से निर्जला एकादशी के व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भीम ने रखा था निर्जला एकादशी का व्रत

महाभारत के अनुसार ऋषि व्यास ने भीम को अपनी भूख पर नियंत्रण के लिए निर्जला एकादशी व्रत रखने की सलाह दी। उन्होंने इस व्रत से 24 एकादशियों के पुण्य का फल प्राप्त किया।

नेपाली करते हैं तुलसी का बीजारोपण
काशी में रहने वाले नेपाली लोग निर्जला एकादशी पर तुलसी का बीजारोपण करते हैं। नेपाल के मूल निवासी रामप्रसाद घिमीरे ने बताया कि इस एकादशी को तुलसी के बीज की नर्सरी डालते हैं। फिर हरिसैनी एकादशी पर रोपण करने के बाद हरिप्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी जी का विवाह किया जाता है।

Bureau Report

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